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    केवली प्राणायाम :- Kevali Pranayam in Hindi.1

    केवली प्राणायाम
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    हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस लेख में हम केवली प्राणायाम पर चर्चा करेंगे।
    केवली प्राणायाम को कुम्भकों का राजा कहा जाता है। केवली प्राणायाम को साधना नहीं पड़ता दूसरे सभी प्राणायामों का अभ्यास करते रहने से केवली प्राणायाम स्वतः ही घटित होने लगता है। लेकिन फिर भी साधक इसे साधना चाहे तो साध सकता है। लेकिन साधना भी जरूरी है। साधना क्यों जरूरी है इसके बारे में हम आगे जानेंगे। इस केवली प्राणायाम को कुछ योगाचार्य प्लाविनी प्राणायाम भी कहते हैं। हालांकि प्लाविनी प्राणायाम करने का और भी तरीका है।
    इस लेख में केवली प्राणायाम के आसन को करने का तरीका और इस आसन के अभ्यास से होने वाले फायदों के बारे में बताया गया है। साथ में यह भी बताया गया है कि केवली प्राणायाम करने के दौरान क्या सावधानी बरतें।

    केवली प्राणायाम की विशेषता।

    इस कुम्भक की विशेषता यह है कि जो साधक इस प्राणायाम का अभ्यास करते है उसका श्वास-प्रश्वास इतना अधिक लंबा और मंद हो जाता है कि यह भी पता नहीं रहता कि व्यक्ति कब श्वास लेता और छोड़ता है। इसके सिद्ध होने से ही योगी कई घंटों तक समाधि में बैठें रहते हैं। यह भूख-प्यास को रोक देता है।

    घेरण्ड संहिता के अनुसार।

    महर्षि घेरण्ड के अनुसार प्रत्येक जीवात्मा साँस छोड़ते समय ‘हं’ अक्षर और साँस लेते समय ‘सः’ (सो) अक्षर का उच्चारण करता है। इस प्रकार प्रत्येक प्राणी 24 घंटे में 21,600 बार सांस लेता है। ‘हं’ अक्षर शिवानंद है और ‘सः’ अक्षर शक्ति रूप है जिसे ‘अजपा नाम गायत्री’ कहा जाता है और सभी प्राणी इस ‘हंस:’ और इसके विपरीत ‘सोहं’ का निरंतर जप करते रहते हैं।

    नासिका द्वारों से वायु को खींचकर केवल अंतःकुम्भक करें। पहले दिन 64 बार तक श्वास-प्रश्वास को धारण करें। केवली कुंभक का अभ्यास प्रतिदिन आठ प्रहर में आठ बार करना चाहिए (अर्थात् 8×8=64)। सुबह, दोपहर और शाम को तीनों समय, समान संख्या में अभ्यास करें। इस प्रकार केवली कुंभक की सिद्धि होने तक अजपा जप गायत्री के साथ प्रमाण से पाँच-पाँच बार वृद्धि करता जाए।

    हठ योग के अनुसार।

    सर्वप्रथम स्वस्तिक आसन में बैठ जाएँ। रेचक और पुरक किए बिना केवल अंतःकुम्भक करें। अर्थात्  रेचक और पुरक किए बिना ही सामान्य स्थिति में श्वास लेते हुए जिस अवस्था में हो, उसी अवस्था में श्वास को रोक दें अर्थात् केवल अंतःकुम्भक करें।

    रेचक व पूरक किए बिना ही श्वासों को जहाँ का तहाँ ही स्तब्ध कर देना ‘केवली प्राणायाम’ होता है।

    केवली प्राणायाम करने का सही तरीका।

    केवली प्राणायाम करने की विधि।

    • केवली प्राणायाम करने की दो विधियां हैं।

    प्रथम विधि।

    केवली प्राणायाम

    • सर्वप्रथम सिद्धासन में बैठ जाएं। 
    • अब धीरे-धीरे दोनों नासिका छिद्रों से वायु अंदर खींचें और फेफड़ों के साथ-साथ इसे पेट में भी पूरी तरह भर लें।
    • अब अपनी क्षमता के अनुसार अंतःकुम्भक करे।
    • अब दोनों नासिका छिद्रों से धीरे-धीरे सांस छोड़ें, यानी वायु को बाहर निकालें। 
    • इस क्रिया को आप अपनी क्षमता के अनुसार कितनी भी बार कर सकते हैं।

    दूसरी विधि।

    केवली प्राणायाम

    • रेचक और पुरक किए बिना केवल अंतःकुम्भक करें। अर्थात्  रेचक और पुरक किए बिना ही सामान्य स्थिति में श्वास लेते हुए जिस अवस्था में हो, उसी अवस्था में श्वास को रोक दें अर्थात् केवल अंतःकुम्भक करें। फिर चाहे श्वास अंदर जा रही हो या बाहर निकल रही हो। केवल अंतःकुम्भक करना ही केवली प्राणायाम है।

    केवली प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

    केवली प्राणायाम करने के फायदे।

    केवली प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • हठयोग प्रदीपिका में लिखा है कि तीनों लोकों में ऐसी कोई वस्तु नहीं है जिसे केवली कुम्भक के सिद्ध हो जाने के बाद साधक प्राप्त न कर सके।
    • अपनी इच्छा के अनुसार प्राणवायु के धारण से राजयोग पद तक प्राप्त हो जाता है।
    • यह मन को स्थिर व शांत रखने में भी सक्षम है।
    • दिव्य दृष्टि की प्राप्ति होती है।
    • इससे स्मरण शक्ति का विकास होता है।
    • इसके सिद्ध होने से ही योगी कई घंटों तक समाधि में बैठें रहते हैं। यह भूख-प्यास को नियंत्रित सकता है।
    • ध्यान में दृढ़ता प्रदान करता है।
    • इससे प्राणशक्ति शुद्ध होकर आयु बढ़ती है।
    • तैराक लोग इसे आसन को अनंजाने में ही साध लेते हैं। फिर भी वे इसे आसन को विधि पूर्वक करके साधें तो तैरने की गति और सहनशक्ति (stamina) और बढ़ सकता है। और तैराक पानी में घंटों बिना हाथ-पैर हिलाएं रह सकता है।
    • इसके माध्यम से सिद्धियां भी प्राप्त की जा सकती है।

    सावधानियां।

    • इसका अभ्यास किसी योग शिक्षक की उपस्थिति में ही करें।

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    सारांश।

    योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक  योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं। 

    केवली प्राणायाम, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

    FAQs

    Ques 1. केवली प्राणायाम करने के क्या फायदे  है?

    Ans. केवली प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • हठयोग प्रदीपिका में लिखा है कि तीनों लोकों में ऐसी कोई वस्तु नहीं है जिसे केवली कुम्भक के सिद्ध हो जाने के बाद साधक प्राप्त न कर सके।
    • अपनी इच्छा के अनुसार प्राणवायु के धारण से राजयोग पद तक प्राप्त हो जाता है।
    • यह मन को स्थिर व शांत रखने में भी सक्षम है।
    • दिव्य दृष्टि की प्राप्ति होती है।
    • इससे स्मरण शक्ति का विकास होता है।
    • इसके सिद्ध होने से ही योगी कई घंटों तक समाधि में बैठें रहते हैं। यह भूख-प्यास को नियंत्रित सकता है।
    • ध्यान में दृढ़ता प्रदान करता है।
    • इससे प्राणशक्ति शुद्ध होकर आयु बढ़ती है।
    • तैराक लोग इसे आसन को अनंजाने में ही साध लेते हैं। फिर भी वे इसे आसन को विधि पूर्वक करके साधें तो तैरने की गति और सहनशक्ति (stamina) और बढ़ सकता है। और तैराक पानी में घंटों बिना हाथ-पैर हिलाएं रह सकता है।
    • इसके माध्यम से सिद्धियां भी प्राप्त की जा सकती है।
    4 thoughts on “केवली प्राणायाम :- Kevali Pranayam in Hindi.1”
    1. obviously like your website but you need to test the spelling on quite a few of your posts Several of them are rife with spelling problems and I to find it very troublesome to inform the reality on the other hand Ill certainly come back again

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