हेलो दोस्तों आपका INDIA TODAY ONE blog में स्वागत है। इस लेख में हम सुप्त पादांगुष्ठासन करने का तरीका और फायदो के बारे में जानेंगे और साथ में यह भी जानेंगे कि योगासन करने के क्या नियम होते हैं।
सुप्त पादांगुष्ठासन करने का सही तरीका
- सुप्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
सुप्त पादांगुष्ठासन करने के फायदे
सुप्त पादांगुष्ठासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे
- सुप्त पादांगुष्ठासन, पैरों को मजबूत व सुडौल बनाने के लिए यह एक अच्छा योगासन है। और साथ ही यह दौड़ के लिए भी अच्छा व्यायाम (stretching exercises) है।
- सुप्त पादांगुष्ठासन के अभ्यास से पैरों की क्वाड्रिसेप्स और हैमस्ट्रिंग मांसपेशियों में खिचाव लगता है। जिससे पैरों में रक्त (blood circulation) व पोषक तत्वों (nutrients) का प्रवाह तेज होता हैं। और इन क्वाड्रिसेप्स और हैमस्ट्रिंग मसल्स को मजबूत बनाने में मदद मिलती है।
- हैमस्ट्रिंग मांसपेशि :- हैमस्ट्रिंग मांसपेशी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी है,जो दौड़ने की क्रिया में शरीर की मदद करती है। खिलाड़ियों के लगातार दौड़ते रहने से इस मांसपेशी में खासा दबाव महसूस होता है।
- क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां :- यह जांघ के सामने की मांसपेशियों का एक समूह है। क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां का उपयोग विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को करने के लिए करते हैं, जैसे :- दौड़ना, किक करना (to kick), कूदना और चलना आदि है।
- सुप्त पादांगुष्ठासन के नियमित अभ्यास से कटिस्नायुशूल (sciatica) और वैरिकाज़ नस की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है।
- कटिस्नायुशूल (sciatica) :- sciatic nerve आपकी रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर आपके कूल्हों से लेकर पैरों तक जाती है। यह मानव शरीर की सबसे महत्वपूर्ण तंत्रिकाओं में से एक है। आमतौर पर यह दर्द लोगों को 30 साल के बाद ही होता है।
sciatic nerve में हुई समस्या से जूझ रहे मरीजों को कमर दर्द, पैरों में सुन्नापन आना या दर्द का अनुभव होना आदि।साइटिका को कटिस्नायुशूल के नाम से भी जाना जाता है। - वैरिकाज़ नस :- जब त्वचा के नीचे की नसें फैल जातीं हैं, पतली और तनी हुई होती है, तो इसे वैरिकाज़ नस के रूप में जाना जाता है। यह नसों की दीवारों का पतला होना, भीतर के वाल्वों की विफलता के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप रक्त का जमाव होने लगता है, और नसें त्वचा पर पतली, नीली व बैंगनी रंग की उभरी हुई दिखने देने लगती हैं। जिनके कारण दर्द व तकलीफ होती हैं।
- अंडवृद्धि या (hydrocele) की समस्या नहीं होने देता, सुप्त पादांगुष्ठासन
- अंडवृद्धि या (hydrocele):- उस स्थिति को कहते हैं जब अंडकोष की थैली के बाहरी आवरण में तरल पदार्थ (पानी) भर जाता है जिसकी वजह से सूजन आ जाती है। यह परेशानी पुरूषों में होती है
- यह योगासन प्रजनन प्रणाली (reproductive system) को मजबूत बनाता है।
- इस योगासन से शरीर में चेतना (Consciousness) का विकास होता हैं।
- रक्तचाप (blood pressure),नपुंसकता (impotence) और कब्ज की समस्या को दूर करता है, सुप्त पादांगुष्ठासन
- इस योगासन के अभ्यास से six pack बनाने में मदद मिलती है।
- सुप्त पादांगुष्ठासन के अभ्यास से कोर मसल्स, हाथों और कंधों की मांसपेशियों में खिंचाव आता है। जिससे यह मांसपेशियां सख्त व मजबूत बनती है।
- मलाशय व मूत्राशय को निरोगी (Healthy) बनाए रखने में मदद करता है।
- बवासीर की समस्या से राहत दिलाता है।
- कठिन योगासनों के लिए पैरों को लचीला बनाता है।
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योग के नियम
अगर आप इन कुछ सरल नियमों का पालन करेंगे, तो अवश्य ही आपको योग अभ्यास का पूरा लाभ मिलेगा।
- किसी गुरु के निर्देशन में योग अभ्यास आरम्भ करें।
- सूर्योदय या सूर्यास्त का वक़्त योग का सही समय है।
- योग करने से पहले स्नान ज़रूर करें।
- योग खाली पेट करें और योग करने के 2 घंटे पहले कुछ ना खायें।
- योग आरामदायक सूती कपड़े पहन के करे
- तन की तरह मन भी स्वच्छ होना चाहिए योग करने से पहले सब बुरे ख़याल दिमाग़ से निकाल दें।
- किसी शांत वातावरण और साफ जगह में योग अभ्यास करें।
- अपना पूरा ध्यान अपने योग अभ्यास पर ही केंद्रित रखें।
- योग अभ्यास धैर्य और दृढ़ता से करें।
- अपने शरीर के साथ जबरदस्ती बिल्कुल ना करें।
- धीरज रखें। योग के लाभ महसूस होने मे वक़्त लगता है।
- निरंतर योग अभ्यास जारी रखें।
- योग करने के 30 मिनिट बाद तक कुछ ना खायें। 1 घंटे तक न नहायें।
- प्राणायाम हमेशा आसन अभ्यास करने के बाद करें।
- अगर कोई मेडिकल तकलीफ़ हो तो पहले डॉक्टर से ज़रूर सलाह करें।
- अगर तकलीफ़ बढ़ने लगे या कोई नई तकलीफ़ हो जाए तो तुरंत योग अभ्यास रोक दें।
- योगाभ्यास के अंत में हमेशा शवासन करें।
योग के प्रमुख उद्देश्य
योग के उद्देश्य
- तनाव से मुक्त जीवन
- मानसिक शक्ति का विकास करना
- प्रकृति के विपरीत जीवन शैली में सुधार करना
- निरोगी काया
- रचनात्मकता का विकास करना
- मानसिक शांति प्राप्त करना
- सहनशीलता में वृद्धि करना
- नशा मुक्त जीवन
- वृहद सोच
- उत्तम शारीरिक क्षमता का विकास करना
योग के लाभ/महत्व
- रोज सुबह उठकर योग का अभ्यास करने से अनेक फायदे हैं योग मन, मस्तिष्क, ध्यान और शरीर के सभी अंगो का एक संतुलित वर्कआउट है जो आपके सोच-विचार करने की शक्ति व मस्तिष्क के कार्यों को बढ़ाता है तनाव को कम करता है।
- योग मन को अनुशासित करता है।
- जहां जीम व एक्सरसाइज आदि से शरीर के किसी विशेष अंग का विकास या व्यायाम हो पाता है वही योग करने से शरीर के समस्त अंगों का, ज्ञानेंद्रियों, इंद्रियों, ग्रंथियों का विकास और व्यायाम होता है जिससे शरीर के समस्त अंग सुचारू रूप से कार्य करते हैं।
- प्रतिदिन योग करने से शरीर निरोगी बनता है।
- योग का प्रयोग शारीरिक,मानसिक,बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास के लिए हमेशा से होता आ रहा है आज की चिकित्सा शोधों व डॉक्टरों ने यह साबित कर दिया है कि YOGA शारीरिक और मानसिक रूप से मानव जाति के लिए वरदान है।
- योग एकाग्रता को बढ़ाता है। प्रतिदिन योग करने से हमारी अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रता बढ़ती है।
- प्रतिदिन योगासन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है शरीर स्वस्थ, निरोगी और बलवान बनता है।
- योग के द्वारा आंतरिक शक्ति का विकास होता है।
- योग से ब्लड शुगर का लेवल स्थिर रहता है। ब्लड शुगर घटने व बढने की समस्या नहीं होती है।
- योग कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है।
- योग ज्ञानेंद्रियों, इंद्रियों को जागृत करता है।
- योग डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद है।
- योगासनों के नित्य अभ्यास से शरीर की सभी मांसपेशियों का अच्छा विकास व व्यायाम होता है जिससे तनाव दूर होता है
- अच्छी नींद आती है भूख अच्छी लगती है पाचन तंत्र सही रहता है।
- योगासनों के नित्य अभ्यास से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बहुत सी स्टडीज में साबित यह हो चुका है कि अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर व डायबिटीज के मरीज योग द्वारा पूर्ण रूप से स्वस्थ होते हैं।
- कुछ योगासनों और मेडिटेशन के द्वारा अर्थराइटिस, कमर में दर्द, घुटनों में दर्द जोड़ों में दर्द आदि दर्द मे काफी सुधार होता है। गोली-दवाइयों की आवश्यकता कम हो जाती है।
- योग बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद है। योगासनों के नित्य अभ्यास से बच्चों में मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक शक्ति का विकास होता है। जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर है वह भी मेडिटेशन के द्वारा पढ़ाई में सर्वश्रेष्ठ हो सकते है अपनी एकाग्रता में सुधार कर सकते है।
सारांश
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
सुप्त पादांगुष्ठासन इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQ
Ques 1. सुप्त पादांगुष्ठासन करने के क्या फायदे है?
Ans. सुप्त पादांगुष्ठासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे
- सुप्त पादांगुष्ठासन, पैरों को मजबूत व सुडौल बनाने के लिए यह एक अच्छा योगासन है। और साथ ही यह दौड़ के लिए भी अच्छा व्यायाम (stretching exercises) है।
- सुप्त पादांगुष्ठासन के अभ्यास से पैरों की क्वाड्रिसेप्स और हैमस्ट्रिंग मांसपेशियों में खिचाव लगता है। जिससे पैरों में रक्त (blood circulation) व पोषक तत्वों (nutrients) का प्रवाह तेज होता हैं। और इन क्वाड्रिसेप्स और हैमस्ट्रिंग मसल्स को मजबूत बनाने में मदद मिलती है।
- हैमस्ट्रिंग मांसपेशि :- हैमस्ट्रिंग मांसपेशी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी है,जो दौड़ने की क्रिया में शरीर की मदद करती है। खिलाड़ियों के लगातार दौड़ते रहने से इस मांसपेशी में खासा दबाव महसूस होता है।
- क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां :- यह जांघ के सामने की मांसपेशियों का एक समूह है। क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां का उपयोग विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को करने के लिए करते हैं, जैसे :- दौड़ना, किक करना (to kick), कूदना और चलना आदि है।
- सुप्त पादांगुष्ठासन के नियमित अभ्यास से कटिस्नायुशूल (sciatica) और वैरिकाज़ नस की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है।
- कटिस्नायुशूल (sciatica) :- sciatic nerve आपकी रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर आपके कूल्हों से लेकर पैरों तक जाती है। यह मानव शरीर की सबसे महत्वपूर्ण तंत्रिकाओं में से एक है। आमतौर पर यह दर्द लोगों को 30 साल के बाद ही होता है।
sciatic nerve में हुई समस्या से जूझ रहे मरीजों को कमर दर्द, पैरों में सुन्नापन आना या दर्द का अनुभव होना आदि।साइटिका को कटिस्नायुशूल के नाम से भी जाना जाता है। - वैरिकाज़ नस :- जब त्वचा के नीचे की नसें फैल जातीं हैं, पतली और तनी हुई होती है, तो इसे वैरिकाज़ नस के रूप में जाना जाता है। यह नसों की दीवारों का पतला होना, भीतर के वाल्वों की विफलता के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप रक्त का जमाव होने लगता है, और नसें त्वचा पर पतली, नीली व बैंगनी रंग की उभरी हुई दिखने देने लगती हैं। जिनके कारण दर्द व तकलीफ होती हैं।
- अंडवृद्धि या (hydrocele) की समस्या नहीं होने देता, सुप्त पादांगुष्ठासन
- अंडवृद्धि या (hydrocele):- उस स्थिति को कहते हैं जब अंडकोष की थैली के बाहरी आवरण में तरल पदार्थ (पानी) भर जाता है जिसकी वजह से सूजन आ जाती है। यह परेशानी पुरूषों में होती है
- यह योगासन प्रजनन प्रणाली (reproductive system) को मजबूत बनाता है।
- इस योगासन से शरीर में चेतना (Consciousness) का विकास होता हैं।
- रक्तचाप (blood pressure),नपुंसकता (impotence) और कब्ज की समस्या को दूर करता है, सुप्त पादांगुष्ठासन
- इस योगासन के अभ्यास से six pack बनाने में मदद मिलती है।
- सुप्त पादांगुष्ठासन के अभ्यास से कोर मसल्स, हाथों और कंधों की मांसपेशियों में खिंचाव आता है। जिससे यह मांसपेशियां सख्त व मजबूत बनती है।
- मलाशय व मूत्राशय को निरोगी (Healthy) बनाए रखने में मदद करता है।
- बवासीर की समस्या से राहत दिलाता है।
- कठिन योगासनों के लिए पैरों को लचीला बनाता है।
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