इस लेख में हम उड्डियान बंध पर चर्चा करेंगे। इस बंध की तुलना उस सिंह के समान की गई है जो कि मृत्युरूपी हाथी पर विजय प्राप्त लेता है। दतात्रेय योग के अनुसार इस बंध के अभ्यास से वृद्ध भी युवा हो जाता है। हम आपको उड्डियान बंध कि विशेषता, उड्डियान बंध करने का सही तरीका, उड्डियान बंध करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।
उड्डियान बंध का शाब्दिक अर्थ।
- उड्डियान का अर्थ होता है ऊँचा उड़ना। और बंध का अर्थ होता है बंधन अर्थात् एक को दूसरे से बाँधना, मिलाना। इस प्रक्रिया में ऊर्जा अधोभाग से उठकर ऊर्ध्वभाग तक प्रवाहित होती है या जब ऊर्जा ऊपर की ओर जाती है और सुषुम्ना में प्रवेश करती है तो इसे उड्डीयान बंध कहा जाता है।
उड्डियान बंध करने का सही तरीका।
उड्डियान बंध करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम सावधान स्थिति में खड़े हो जाएं।
- अब दोनों पैरों के बीच करीब 1 या डेढ़ फीट का अंतर बनाएं।
- अब दोनों घुटनों को थोड़ा मोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और हाथों को घुटनों के पास जांघों पर रखें। (चित्रानुसार)
- अब श्वास बाहर छोड़े, दीर्घ रेचक कीजिए एवं बाहृय कुंभक लगाए और जालंधर बंध में ठुड्डी को जितना संभव हो सके नीचे करें।
- अब पूरे उदर स्थान (पेट) को मेरुदण्ड की ओर (अंदर की ओर) खींचे। (चित्रानुसार)
- यही उड्डियान बंध की अंतिम एवं पुर्ण अवस्था है।
- अनुकूलतानुसार अभ्यास करें। अब क्रमशः उदर को अपनी सामान्य स्थिति में लाएँ और जालंधर बंध को शिथिल (ढीला) करें।
- अब पूरक करें एवं जब यह सामान्य हो जाए तो यही प्रक्रिया और दोहराएँ।
- इसको शक्तिचालन प्राणायाम भी कहते हैं।
- इस आसन का अभ्यास बैठकर पद्मासन, सिद्धासन में बैठकर भी किया जाता है।
श्वास का क्रम।
- श्वास का क्रम ऊपर विधि में बताया गया है।
समय।
- इस आसन कि क्रिया को 5-10 बार दोहराएँ।
दिशा।
- आध्यात्मिक लाभ हेतु अभ्यास के दौरान अपना मुख पूर्व या उत्तर कि और रखें। और पूर्व या उत्तर दिशा मुख करके अभ्यास करने से विशेष एवं जल्दी लाभ प्राप्त होते हैं।
उड्डियान बंध का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
उड्डियान बंध करने के फायदे।
उड्डियान बंध का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- उड्डियान बंध सर्वोत्तम बंध है। दतात्रेय योग के अनुसार इस बंध के अभ्यास से वृद्ध भी युवा हो जाता है।
- इसके अभ्यास से हृदय क्षेत्र की मांसपेशियों को अच्छी मालिश मिलती है।
- उदर-क्षेत्र के अंग कोमल होते हैं जिससे जठराग्नि तीव्र हो जाती है। पाचन तंत्र (Digestive System) मज़बूत बनता है। और पाचन तंत्र (Digestive System) में सुधार होता है।
- चेहरे की चमक को बढ़ाता है। चेहरे की झुर्रियां मिटाकर चेहरे पर निखार लाता है।
- इस बंध की तुलना उस सिंह के समान की गई है जो कि मृत्युरूपी हाथी पर विजय प्राप्त लेता है।
सावधानियां।
- इस आसन का अभ्यास खाली पेट करें।
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सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
उड्डियान बंध, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. उड्डियान बंध करने की विधि?
Ans. उड्डियान बंध करने की विधि।
- सर्वप्रथम सावधान स्थिति में खड़े हो जाएं।
- अब दोनों पैरों के बीच करीब 1 या डेढ़ फीट का अंतर बनाएं।
- अब दोनों घुटनों को थोड़ा मोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और हाथों को घुटनों के पास जांघों पर रखें। (चित्रानुसार)
- अब श्वास बाहर छोड़े, दीर्घ रेचक कीजिए एवं बाहृय कुंभक लगाए और जालंधर बंध में ठुड्डी को जितना संभव हो सके नीचे करें।
- अब पूरे उदर स्थान (पेट) को मेरुदण्ड की ओर (अंदर की ओर) खींचे। (चित्रानुसार)
- यही उड्डियान बंध की अंतिम एवं पुर्ण अवस्था है।
- अनुकूलतानुसार अभ्यास करें। अब क्रमशः उदर को अपनी सामान्य स्थिति में लाएँ और जालंधर बंध को शिथिल (ढीला) करें।
- अब पूरक करें एवं जब यह सामान्य हो जाए तो यही प्रक्रिया और दोहराएँ।
- इसको शक्तिचालन प्राणायाम भी कहते हैं।
- इस आसन का अभ्यास बैठकर पद्मासन, सिद्धासन में बैठकर भी किया जाता है।
Ques 2. उड्डियान बंध करने के क्या फायदे है?
Ans. उड्डियान बंध का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- उड्डियान बंध सर्वोत्तम बंध है। दतात्रेय योग के अनुसार इस बंध के अभ्यास से वृद्ध भी युवा हो जाता है।
- इसके अभ्यास से हृदय क्षेत्र की मांसपेशियों को अच्छी मालिश मिलती है।
- उदर-क्षेत्र के अंग कोमल होते हैं जिससे जठराग्नि तीव्र हो जाती है। पाचन तंत्र (Digestive System) मज़बूत बनता है। और पाचन तंत्र (Digestive System) में सुधार होता है।
- पाचन तंत्र (Digestive System) मज़बूत बनता है। और पाचन तंत्र (Digestive System) में सुधार होता है।
- चेहरे की चमक को बढ़ाता है। चेहरे की झुर्रियां मिटाकर चेहरे पर निखार लाता है।
- इस बंध की तुलना उस सिंह के समान की गई है जो कि मृत्युरूपी हाथी पर विजय प्राप्त लेता है।