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    उत्तानासन करने का तरीका और 12 फायदे – Method and benefits of Uttanasana in Hindi

    उत्तानासन
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    हेलो दोस्तों आपका INDIA TODAY ONE blog में स्वागत है। इस लेख में हम उत्तानासन के बारे में जानेंगे। 

    एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखना बेहद जरूरी होता है। योग से न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य में भी सुधार लाता है। सुबह-सुबह योगासनों का अभ्यास करने से आप अपने आप को पूरे दिन ऊर्जावान महसूस करते हैं। साथ ही काम के दौरान थकान और सिरदर्द की समस्या भी नहीं होती है।

    योग शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखने के लिए बेहद जरूरी होता है। योग से शरीर के कई अंगों की समस्याएं और बीमारियों के लक्षण को भी कम करने में मदद मिलती है। इससे आप पूरे दिन एनर्जेटिक महसूस करते हैं। साथ ही काम के दौरान थकान और सिरदर्द की समस्या भी नहीं होती है। 

    अगर लंबे समय तक एक जगह बैठकर काम करते है, तो आपको उत्तानासन योग जरूर करना चाहिए। इसे करने से आपको कई लाभ मिलते है। उत्तानासन के अभ्यास के दौरान आपके मस्तिष्क की ओर रक्त प्रवाह तेज हो जाता है और यहां ऑक्सीजन की आपूर्ति अच्छे से होती है। इस योगासन की मदद से पीठ वाले हिस्से, पैरों की मांसपेशियों, घुटने और कंधे में खिंचाव लगता है। 

    इसलिए, इस लेख में हम  उत्तानासन के बारे में जानेंगे। उत्तानासन क्या है, उत्तानासन करने का सही तरीका, उत्तानासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।

    उत्तानासन का शाब्दिक अर्थ।

    • उत्तानासन एक संस्कृत भाषा का शब्द हैं। इसमें “उत्” संस्कृत उपसर्ग है, जो शब्दों में लगकर अर्थ देता है। और “तान” का अर्थ तानना, फैलना या बढ़ाना। और “आसन” जिसका अर्थ होता है “मुद्रा”। इस आसन में मेरुदण्ड को पूर्णतः बलपूर्वक ताना जाता है।

    उत्तानासन करने का सही तरीका।

    उत्तानासन करने की विधि।

    उत्तानासन

    विधि।

    • सर्वप्रथम आप अपने आसन पर शांतचित्त व प्रसन्न मन के साथ अपने दोनों पैरों को एक साथ मिलाकर सावधान की स्थिति में खड़े हो जाएं। 
    • अब श्वास छोड़ें एवं आगे की ओर झुकते हुए हथेलियों को एड़ियों के पास ज़मीन पर रखें। दोनों पैरों को एक दम सीधा रखें घुटनों को मुड़ने न दें, 
    • अंतिम स्थिति में सिर घुटनों से न लगाकर ऊपर की तरफ़ तानें। इस क्रिया में गहरी श्वास लें। 
    • अब पुनः श्वास छोड़ें और सिर घुटनों से लगा दें (चित्रनुसार)। 
    • सामान्य श्वास लेते हुए इस मुद्रा में लगभग 1 मिनट या यथाशक्ति रुकें। 
    • अब पहले सिर उठाएँ, श्वास लें। और श्वास लेते हुए हाथ उठाते हुए वापस मूल अवस्था में आ जाएँ।

    श्वास का क्रम/समय।

    • श्वास का क्रम एवं समय ऊपर विधि ने बताया गया हैं।

    उत्तानासन  का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

    उत्तानासन करने के फायदे।

    उत्तानासन

    उत्तानासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • इसके अभ्यास से शरीर के ऊपरी हिस्से से लेकर पैरों तक खिंचाव लगता हैं। अर्थात् यह योगासन पूरे शरीर पर प्रभाव डालता है।
    • यह आसन विशेष रूप से पीठ, कूल्हों (hips), जांघों, पिंडली, घुटनों और हैमस्ट्रिंग व क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियों के लिए लाभप्रद होता है। इसके अभ्यास से पीठ, कूल्हों (hips), जांघों, पिंडली, घुटनों और हैमस्ट्रिंग व क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियों में खिंचाव लगता हैं। जिसके परिणाम स्वरूप यह मांसपेशियां लचीली व स्वस्थ बनती है। मेरुदण्ड को लचीला बनाता है एवं इसके अभ्यास से मेरुदण्ड संबंधी बहुत से लाभ मिलते है।

    हैमस्ट्रिंग मांसपेशि :-  हैमस्ट्रिंग मांसपेशी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी है,जो दौड़ने की क्रिया में शरीर की मदद करती है। खिलाड़ियों के लगातार दौड़ते रहने से इस मांसपेशी में खासा दबाव महसूस होता है।

    क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां :- यह जांघ के सामने की मांसपेशियों का एक समूह है। क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां का उपयोग विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को करने के लिए करते हैं, जैसे :- दौड़ना, किक करना (to kick), कूदना और चलना आदि है।

    • पेट के भीतरी पाचन अंगों को अच्छी मसाज मिलती हैं। और पाचन तंत्र सुधारता है। उदर-पीड़ा को शांत करता है। उदर-पीड़ा को शांत करता है।
    • रजोनिवृत्ति (menopause) के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। और स्त्रियों के मासिक ऋतुस्राव (menstrual bleeding) के समय होने वाली पेट की पीड़ा को कम करता है।
    • दिमाग शांत रहता है और चिंता (anxiety), हल्का तनाव (mild depression), सिरदर्द और अनिद्रा (insomnia) जैसी समस्याओं से राहत मिलती हैं। 
    • जल्दी उत्तेजित होने वाले व्यक्ति, चिड़चिड़े स्वभाव एवं तुरंत आवेश या क्रोध करने वाले व्यक्तियों के लिए यह आसन बहुत उपयोगी है, क्योंकि यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को शांत करता है एवं मानसिक उदासीनता को नष्ट करता है।
    • यकृत, प्लीहा एवं गुर्दों (किडनी) के लिए लाभप्रद आसन  है। जिगर (liver) और गुर्दे (kidney) को सक्रिय करता है। हृदय को पुष्ट करता है।

    सावधानियां।

    • उच्च रक्तचाप (high blood pressure) एवं कड़क मेरुदण्ड (stiff spine) वाले इस आसन को सावधानी पूर्वक करें।
    • कटिस्नायुशूल (sciatica), सर्वाइकल, स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिपडिस्क रोगी इस आसन के अभ्यास को न करें।

    स्लिप डिस्क :- विशेषज्ञों के अनुसार रीढ़ की हड्डियों को सहारा देने, हड्डियों को लचीला बनाकर रखने, उन्हें किसी भी तरह के झटके और चोट से बचाने के लिए छोटी-छोटी गद्देदार डिस्क होती हैं। अगर ये डिस्क किसी कारणवश सूज जाती हैं या टूट जाती हैं, तो उन्हें स्लिप डिस्क कहा जाता है।

    कटिस्नायुशूल (sciatica) :- sciatic nerve आपकी रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर आपके कूल्हों से लेकर पैरों तक जाती है। यह मानव शरीर की सबसे महत्वपूर्ण तंत्रिकाओं में से एक है। आमतौर पर यह दर्द लोगों को 30 साल के बाद ही होता है। sciatic nerve में हुई समस्या से जूझ रहे मरीजों को कमर दर्द, पैरों में सुन्नापन आना या दर्द का अनुभव होना आदि।साइटिका को कटिस्नायुशूल के नाम से भी जाना जाता है।

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    सारांश।

    योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
    उत्तानासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

    FAQs 

    Ques 1. उत्तानासन करने के क्या फायदे  है?
    Ans. उत्तानासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • इसके अभ्यास से शरीर के ऊपरी हिस्से से लेकर पैरों तक खिंचाव लगता हैं। अर्थात् यह योगासन पूरे शरीर पर प्रभाव डालता है।
    • यह आसन विशेष रूप से पीठ, कूल्हों (hips), जांघों, पिंडली, घुटनों और हैमस्ट्रिंग व क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियों के लिए लाभप्रद होता है। इसके अभ्यास से पीठ, कूल्हों (hips), जांघों, पिंडली, घुटनों और हैमस्ट्रिंग व क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियों में खिंचाव लगता हैं। जिसके परिणाम स्वरूप यह मांसपेशियां लचीली व स्वस्थ बनती है। मेरुदण्ड को लचीला बनाता है एवं इसके अभ्यास से मेरुदण्ड संबंधी बहुत से लाभ मिलते है।

    हैमस्ट्रिंग मांसपेशि :-  हैमस्ट्रिंग मांसपेशी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी है,जो दौड़ने की क्रिया में शरीर की मदद करती है। खिलाड़ियों के लगातार दौड़ते रहने से इस मांसपेशी में खासा दबाव महसूस होता है।

    क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां :- यह जांघ के सामने की मांसपेशियों का एक समूह है। क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां का उपयोग विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को करने के लिए करते हैं, जैसे :- दौड़ना, किक करना (to kick), कूदना और चलना आदि है।

    • पेट के भीतरी पाचन अंगों को अच्छी मसाज मिलती हैं। और पाचन तंत्र सुधारता है। उदर-पीड़ा को शांत करता है। उदर-पीड़ा को शांत करता है।
    • रजोनिवृत्ति (menopause) के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। और स्त्रियों के मासिक ऋतुस्राव (menstrual bleeding) के समय होने वाली पेट की पीड़ा को कम करता है।
    • दिमाग शांत रहता है और चिंता (anxiety), हल्का तनाव (mild depression), सिरदर्द और अनिद्रा (insomnia) जैसी समस्याओं से राहत मिलती हैं। 
    • जल्दी उत्तेजित होने वाले व्यक्ति, चिड़चिड़े स्वभाव एवं तुरंत आवेश या क्रोध करने वाले व्यक्तियों के लिए यह आसन बहुत उपयोगी है, क्योंकि यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को शांत करता है एवं मानसिक उदासीनता को नष्ट करता है।
    • यकृत, प्लीहा एवं गुर्दों (किडनी) के लिए लाभप्रद आसन  है। जिगर (liver) और गुर्दे (kidney) को सक्रिय करता है। हृदय को पुष्ट करता है।

    Ques 2. उत्तानासन करने की विधि?

    Ans. उत्तानासन करने की विधि।

    • सर्वप्रथम आप अपने आसन पर शांतचित्त व प्रसन्न मन के साथ अपने दोनों पैरों को एक साथ मिलाकर सावधान की स्थिति में खड़े हो जाएं। 
    • अब श्वास छोड़ें एवं आगे की ओर झुकते हुए हथेलियों को एड़ियों के पास ज़मीन पर रखें। दोनों पैरों को एक दम सीधा रखें घुटनों को मुड़ने न दें, 
    • अंतिम स्थिति में सिर घुटनों से न लगाकर ऊपर की तरफ़ तानें। इस क्रिया में गहरी श्वास लें। 
    • अब पुनः श्वास छोड़ें और सिर घुटनों से लगा दें (चित्रनुसार)। 
    • सामान्य श्वास लेते हुए इस मुद्रा में लगभग 1 मिनट या यथाशक्ति रुकें। 
    • अब पहले सिर उठाएँ, श्वास लें। और श्वास लेते हुए हाथ उठाते हुए वापस मूल अवस्था में आ जाएँ।

     

     

     

     

     

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