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    द्वि-हस्त भुजासन करने की विधि, फायदे और सावधानियां – Dwi Hasta Bhujasana in Hindi.1

    Byashwanisihag986

    May 2, 2024
    द्वि-हस्त भुजासन
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    हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस लेख में हम द्वि-हस्त भुजासन के बारे में जानेंगे। द्वि-हस्त भुजासन क्या है, द्वि-हस्त भुजासन करने का सही तरीका, द्वि-हस्त भुजासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।

    द्वि-हस्त भुजासन करने का सही तरीका।

    द्वि-हस्त भुजासन करने की विधि।

    द्वि-हस्त भुजासन

    विधि।

    • सर्वप्रथम अपने आसम पर अपने दोनों पैरों के बीच लगभग डेढ़ फीट का अंतर रखकर खड़े हो जाएँ।
    • अब अपने घुटनों को मोड़कर बैठ जाएँ।
    • अब अपने दोनों पैरों के बीच से अपने दोनों हाथों को निकले और अपने दोनों हाथों की अंगुलियाँ को आगे की तरफ़ रखते हुए हथेलियों को ज़मीन पर रखें।(चित्रानुसार)
    • अपनी दृष्टि सामने रखें और अपनी दोनों भुजाओं पर सन्तुलन बनाते हुए शरीर का भार ऊपर उठाएँ। (चित्रानुसार)
    • पैरों को सामने की तरफ़ रखें। (चित्रानुसार)
    • अपने दोनों पैरों के पंजो को आपस में फंसा ले तो उसे भुज पीड़ासन कहते है।
    द्वि-हस्त भुजासन

    श्वास का क्रम।

    • आसन बनाते समय श्वास अंदर रोककर रखें करें।
    • अंतिम अवस्था में श्वास की गति सामान्य रखें।
    • पुनः मूल अवस्था में आते समय श्वास छोड़े।

    समय।

    • पूर्ण स्थिति में 10-20 सेकण्ड रुकें। और 2 से  3 बार करें।

    द्वि-हस्त भुजासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

    द्वि-हस्त भुजासन करने के फायदे।

    द्वि-हस्त भुजासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • द्वि-हस्त भुजासन का अभ्यास करते समय पूरे शरीर का भार दोनों हाथों की कलाइयों पर होता हैं। जिससे दोनों हाथों की कलाइयां मजबूत बनती हैं। इसके साथ-साथ ही दोनों हाथों की बाजुएं व कन्धे (shoulders) भी मजबूत व सुडौल बनते हैं।
    • कंधे के जोड़ सुदृढ़ होते हैं।
    • इस योगासन का अभ्यास करने से पिछले धड़ (back torso) और भीतरी कमर (inner groin) में अच्छा खिंचाव लगता हैं।
    • द्वि-हस्त भुजासन का अभ्यास सही तकनीक से करने पर पेट के आंतरिक अंग (internal organs) उत्तेजित होकर सक्रिय रूप से काम करने लगते हैं और साथ ही कब्ज व पेट फूलने जैसी समस्याएं भी नहीं हो पाती हैं। अर्थात् इस योगासन के अभ्यास से पाचन तंत्र में सुधार होता है।
    • अग्नाश्य को उद्दीप्त करता है।
    • पेट फूलने (Abdominal distension):- पेट फूलने की समस्या आपकी छोटी आंत या कोलन में गैस के कारण होती है, जो आमतौर पर तब होती है जब आपकी आंत्र में भोजन का पाचन ठीक से नहीं हो पाता है।

    सावधानियां।

    • इस आसन का अभ्यास करते समय सन्तुलन में ध्यान दें और कमज़ोर कलाई वाले इस आसन का अभ्यास  न करें।

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    सारांश।

    योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।

    द्वि-हस्त भुजासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

    FAQs

    Ques 1. द्वि-हस्त भुजासन करने की विधि?

    Ans. द्वि-हस्त भुजासन करने की विधि।

    • सर्वप्रथम अपने आसम पर अपने दोनों पैरों के बीच लगभग डेढ़ फीट का अंतर रखकर खड़े हो जाएँ।
    • अब अपने घुटनों को मोड़कर बैठ जाएँ।
    • अब अपने दोनों पैरों के बीच से अपने दोनों हाथों को निकले और अपने दोनों हाथों की अंगुलियाँ को आगे की तरफ़ रखते हुए हथेलियों को ज़मीन पर रखें।(चित्रानुसार)
    • अपनी दृष्टि सामने रखें और अपनी दोनों भुजाओं पर सन्तुलन बनाते हुए शरीर का भार ऊपर उठाएँ। (चित्रानुसार)
    • पैरों को सामने की तरफ़ रखें। (चित्रानुसार)
    • अपने दोनों पैरों के पंजो को आपस में फंसा ले तो उसे भुज पीड़ासन कहते है।

    Ques 2. द्वि-हस्त भुजासन करने के क्या फायदे है?

    Ans. द्वि-हस्त भुजासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • द्वि-हस्त भुजासन का अभ्यास करते समय पूरे शरीर का भार दोनों हाथों की कलाइयों पर होता हैं। जिससे दोनों हाथों की कलाइयां मजबूत बनती हैं। इसके साथ-साथ ही दोनों हाथों की बाजुएं व कन्धे (shoulders) भी मजबूत व सुडौल बनते हैं।
    • कंधे के जोड़ सुदृढ़ होते हैं।
    • इस योगासन का अभ्यास करने से पिछले धड़ (back torso) और भीतरी कमर (inner groin) में अच्छा खिंचाव लगता हैं।
    • द्वि-हस्त भुजासन का अभ्यास सही तकनीक से करने पर पेट के आंतरिक अंग (internal organs) उत्तेजित होकर सक्रिय रूप से काम करने लगते हैं और साथ ही कब्ज व पेट फूलने जैसी समस्याएं भी नहीं हो पाती हैं। अर्थात् इस योगासन के अभ्यास से पाचन तंत्र में सुधार होता है।
    • अग्नाश्य को उद्दीप्त करता है।
    • पेट फूलने (Abdominal distension):- पेट फूलने की समस्या आपकी छोटी आंत या कोलन में गैस के कारण होती है, जो आमतौर पर तब होती है जब आपकी आंत्र में भोजन का पाचन ठीक से नहीं हो पाता है।

     

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