आज शरीर और मन की ऐसी कोई भी समस्या नहीं है जिसका हल योग के पास न हो। इस ज्ञान को अब वैज्ञानिक मान्यता भी मिल चुकी है। भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन धनुरासन हैं।
इसलिए, इस लेख में हम धनुरासन के बारे में जानेंगे। धनुरासन क्या है, धनुरासन करने का सही तरीका, धनुरासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।
धनुरासन का शाब्दिक अर्थ।
- पुर्ण स्थिति में शरीर की आकृति धनुष के समान दिखाई पड़ती।
धनुरासन करने का सही तरीका।
धनुरासन करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर पेट के बल लेट जाएँ।
- अब दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए दोनों हाथों से एड़ियों के पास पकड़ें एवं सिर और सीने को भी ऊपर उठाएँ।
- अब दोनों हाथों को सीधे रखते हुए पैरों की मांसपेशियों में तनाव पैदा करते हुए खींचें। (चित्रानुसार)
- इस स्थिति में आगे-पीछे झूलते हुए हल्का व्यायाम भी कर सकते हैं।
ध्यान।
- इस आसन को करते समय अपना ध्यान मूलाधार या विशुद्धि चक्र पर केंद्रित करें।
श्वास का क्रम।
- अभ्यास के दौरान पैरों को पकड़ते समय श्वास अंदर लें। कुंभक करें।
- पुनः मूल स्थिति में आते समय श्वास छोड़ें।
समय।
- 15 sec. से आधा मिनिट तक पुर्ण स्थिति में बने रहे। और 4-5 बार करें।
धनुरासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
धनुरासन करने के फायदे
धनुरासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इस आसन का अभ्यास करने से टखने, छाती(सीना), कमर, जांघों और पेट की मांसपेशियों में खिंचाव होता है। और इन सभी अंगों को मजबूत बनाता है।
- गर्दन, छाती और कंधों को चौड़ा करने और खोलने में मदद करता है।
- मासपेशियों और हड्डियों (पीठ, पैरों, छाती, जांघों, कंधों) के लचीलेपन को बढ़ाता है। साथ ही कमर के दर्द को कम करने में मदद करता है।
- मेरुदण्ड लचीला बनाकर शरीर में स्फूर्ति पैदा करता है।
- पीठ के साथ-साथ पेट की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाने में मदद करता है। पाचन तंत्र मज़बूत कर जठराग्नि ठीक करता है।
- हृदय, अग्न्याशय, छोटी आंत और बड़ी आंत के फंक्शन में सुधार होता है। जिससे आपका हृदय व पाचनतंत्र अच्छा रहता है।
- पुराने क़ब्ज़ को दूर कर मन प्रसन्न करता है।
- स्त्रियों के प्रजनन अंगों को उत्तेजित करने में मदद करता है व और भी कई बीमारियों को दूर करता है।
- मोटापा घटता है। और शरीर के वजन को संतुलित रखता है।
- अगर आपको अस्थमा या श्वसन संबंधी समस्याएं हैं तो इन बीमारियों के इलाज में धनुरासन का नियमित अभ्यास मददगार होता है।
- गुरु की देख-रेख में इससे संबंधित समानांतर आसन करने से क्षय रोग में लाभ।
सावधानियां।
- इस आसन का अभ्यास खाली पेट करें। क्योंकि पूरा ज़ोर पेट पर ही पड़ता है।
- आँतें, किडनी, अल्सर व हार्निया एवं रक्तचाप (blood pressure) व हृदय विकार (heart disorder) आदि रोग वाले इस आसन का अभ्यास न करें।
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सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
धनुरासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. धनुरासन करने की विधि?
Ans. धनुरासन करने की विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर पेट के बल लेट जाएँ।
- अब दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए दोनों हाथों से एड़ियों के पास पकड़ें एवं सिर और सीने को भी ऊपर उठाएँ।
- अब दोनों हाथों को सीधे रखते हुए पैरों की मांसपेशियों में तनाव पैदा करते हुए खींचें। (चित्रानुसार)
- इस स्थिति में आगे-पीछे झूलते हुए हल्का व्यायाम भी कर सकते हैं।
Ques 2. धनुरासन करने के क्या फायदे है?
Ans. धनुरासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इस आसन का अभ्यास करने से टखने, छाती(सीना), कमर, जांघों और पेट की मांसपेशियों में खिंचाव होता है। और इन सभी अंगों को मजबूत बनाता है।
- गर्दन, छाती और कंधों को चौड़ा करने और खोलने में मदद करता है।
- मासपेशियों और हड्डियों (पीठ, पैरों, छाती, जांघों, कंधों) के लचीलेपन को बढ़ाता है। साथ ही कमर के दर्द को कम करने में मदद करता है।
- मेरुदण्ड लचीला बनाकर शरीर में स्फूर्ति पैदा करता है।
- पीठ के साथ-साथ पेट की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाने में मदद करता है। पाचन तंत्र मज़बूत कर जठराग्नि ठीक करता है।
- हृदय, अग्न्याशय, छोटी आंत और बड़ी आंत के फंक्शन में सुधार होता है। जिससे आपका हृदय व पाचनतंत्र अच्छा रहता है।
- पुराने क़ब्ज़ को दूर कर मन प्रसन्न करता है।
- स्त्रियों के प्रजनन अंगों को उत्तेजित करने में मदद करता है व और भी कई बीमारियों को दूर करता है।
- मोटापा घटता है। और शरीर के वजन को संतुलित रखता है।
- अगर आपको अस्थमा या श्वसन संबंधी समस्याएं हैं तो इन बीमारियों के इलाज में धनुरासन का नियमित अभ्यास मददगार होता है।
- गुरु की देख-रेख में इससे संबंधित समानांतर आसन करने से क्षय रोग में लाभ।