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    पवनमुक्तासन (दो प्रकार) करने की विधि, फायदे और सावधानियां – Pawanmuktasana in Hindi.1

    पवन मुक्तासन
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    भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन पवनमुक्तासन हैं। इसलिए, इस लेख में हम पवनमुक्तासन के दोनों प्रकार के बारे में जानेंगे। पवनमुक्तासन क्या है, पवनमुक्तासन करने का सही तरीका, पवनमुक्तासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे। 

    पवनमुक्तासन का शाब्दिक अर्थ।

    • पवनमुक्तासन तीन शब्दों से मिलकर बना है। पवन+मुक्त+आसन जिसमें “पवन” का अर्थ है हवा, वायु। “मुक्त” का अर्थ स्वतंत्र। और “आसन” जिसका अर्थ होता है मुद्रा। वह आसन जिसे करने से  वायु शरीर से मुक्त होती है, उसे पवन मुक्तासन कहते हैं।

    पवनमुक्तासन करने का सही तरीका।

    पवनमुक्तासन करने की विधि।

    पवनमुक्तासन

    विधि।

    • सर्वप्रथम अपने आसन पर पीठ के बल लेट जाएँ। 
    • अब अपने दोनों पैरों को सामने की तरफ़ ज़मीन के समानांतर सीधा रखें। 
    • अब श्वास छोड़ें और बाहृय कुंभक करते हुए हाथों का सहारा लेकर (चित्रानुसार-1) दाहिना घुटना मोड़कर सिर की तरफ़ ले आएँ।
    • अब घुटने को नाक से स्पर्श कराने के लिए सिर को ऊपर उठाएँ। (चित्रानुसार-1)
    • अब हाथों के सहारे से जाँघ से पेट को दबाने की कोशिश करें। (चित्रानुसार) और कुछ देर इसी मुद्रा में रुकें। 
    • अब श्वास लेते हुए वापस मूल स्थिति में आएँ। 
    • यही क्रिया बाएँ पैर से दोहराएं।
    • एक पैर के घुटने को जब नाक से स्पर्श कराते हैं तो दूसरा पैर जमीन के समानांतर स्पर्श करता हुआ रहे।
    • यही क्रिया एक साथ दोनों घुटनों को मोड़कर कर भी करें। (चित्रानुसार-2)
    • जब हम एक-एक पैर से यह आसन करते हैं तो उसे अर्ध पवन मुक्तासन (चित्रानुसार-1) कहते हैं। और जब दोनों पैरों से एक साथ इस आसन को करते हैं तो यह पूर्ण पवन मुक्तासन (चित्रानुसार-2) कहलाता है।
    • कुछ योग शिक्षक दाहिने पैर के द्वारा किया गये आसन दक्षिण पवन मुक्तासन और बाएँ पैर के द्वारा किया गये आसन को वाम पवन मुक्तासन भी कहते है।

    पवनमुक्तासन

    श्वास का क्रम/समय।

    • इस आसन के अभ्यास के दौरान घुटने को नाक से स्पर्श कराते समय श्वास छोड़ें। 
    • वापस मूल अवस्था में लौटते समय श्वास लें। 
    • यह क्रिया 5-10 बार दोहराएँ।

    पवनमुक्तासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

    पवनमुक्तासन करने के फायदे।

    पवन मुक्तासन

    पवनमुक्तासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • इस आसन का प्रमुख काम शरीर से हानिकारक गैसों, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना है इसलिए ही इस आसन का नाम पवन मुक्तासन है।
    • इस आसन का अभ्यास करने से ग्रीवा, कमर, मेरुदंड और कुल्हों में अच्छा खिंचाव लगता है।
    • पुराने से पुराना गठिया और कमर दर्द इस आसन के अभ्यास से क्षीण (कम) होता जाता है।
    • ग्रीवा, कमर और मेरुदंड आदि के विकारों को दूर कर उन्हें स्वस्थ बनाता है।
    • पीठ की निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूत करता है और मेरुदण्ड लचीला,पूर्ण सशक्त और रोग-मुक्त होता है।
    • इस आसन का नियमित अभ्यास करने से आपको शरीर की चर्बी को करने में मदद मिलती है।
    • कब्ज या अपच जैसी पेट से जुड़ी समस्याएं नहीं होती। इस आसन के अभ्यास से पाचन तंत्र को बेहतरीन करने में मदद मिलती है।
    • क़ब्ज़, खाने में अरुचि, आलस्य, आंत्र वृद्धि, रक्त विकार आदि रोगों की यह संजीवनी बूटी है।
    • चक्कर आना, मानसिक कमज़ोरी, सिर दर्द आदि रोगों में लाभकारी है।
    • यह आसन महिलाओं में गर्भाशय ( Uterus) से जुड़ी बीमारियों को दूर करने में मदद कर सकता है। यह आसन महिलाओं में प्रजनन क्षमता को भी बेहतर बनाता है।
    • श्रोणि (pelvis) की मांसपेशियों और प्रजनन अंगों की मालिश करके, यह नपुंसकता, बाँझपन और मासिक धर्म की समस्याओं के उपाय में भी उपयोगी है।

    सावधानियां।

    • इस आसन का अभ्यास high blood pressure, स्लिप डिस्क एवं कटिस्नायुशूल (sciatica) वाले साधक न करें।

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    सारांश।

    योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक  योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं। 

    पवनमुक्तासन,, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

     

    FAQs

     

    Ques 1. पवनमुक्तासन करने की विधि?

    Ans. पवनमुक्तासन करने की विधि।

    • सर्वप्रथम अपने आसन पर पीठ के बल लेट जाएँ। 
    • अब अपने दोनों पैरों को सामने की तरफ़ ज़मीन के समानांतर सीधा रखें। 
    • अब श्वास छोड़ें और बाहृय कुंभक करते हुए हाथों का सहारा लेकर (चित्रानुसार-1) दाहिना घुटना मोड़कर सिर की तरफ़ ले आएँ।
    • अब घुटने को नाक से स्पर्श कराने के लिए सिर को ऊपर उठाएँ। (चित्रानुसार-1)
    • अब हाथों के सहारे से जाँघ से पेट को दबाने की कोशिश करें। (चित्रानुसार) और कुछ देर इसी मुद्रा में रुकें। 
    • अब श्वास लेते हुए वापस मूल स्थिति में आएँ। 
    • यही क्रिया बाएँ पैर से दोहराएं।
    • एक पैर के घुटने को जब नाक से स्पर्श कराते हैं तो दूसरा पैर जमीन के समानांतर स्पर्श करता हुआ रहे।
    • यही क्रिया एक साथ दोनों घुटनों को मोड़कर कर भी करें। (चित्रानुसार-2)
    • जब हम एक-एक पैर से यह आसन करते हैं तो उसे अर्ध पवन मुक्तासन (चित्रानुसार-1) कहते हैं। और जब दोनों पैरों से एक साथ इस आसन को करते हैं तो यह पूर्ण पवन मुक्तासन (चित्रानुसार-2) कहलाता है।
    • कुछ योग शिक्षक दाहिने पैर के द्वारा किया गये आसन दक्षिण पवन मुक्तासन और बाएँ पैर के द्वारा किया गये आसन को वाम पवन मुक्तासन भी कहते है।

    Ques 2. पवनमुक्तासन करने के क्या फायदे  है?

    Ans. पवनमुक्तासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • इस आसन का प्रमुख काम शरीर से हानिकारक गैसों, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना है इसलिए ही इस आसन का नाम पवन मुक्तासन है।
    • इस आसन का अभ्यास करने से ग्रीवा, कमर, मेरुदंड और कुल्हों में अच्छा खिंचाव लगता है।
    • पुराने से पुराना गठिया और कमर दर्द इस आसन के अभ्यास से क्षीण (कम) होता जाता है।
    • ग्रीवा, कमर और मेरुदंड आदि के विकारों को दूर कर उन्हें स्वस्थ बनाता है।
    • पीठ की निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूत करता है और मेरुदण्ड लचीला,पूर्ण सशक्त और रोग-मुक्त होता है।
    • इस आसन का नियमित अभ्यास करने से आपको शरीर की चर्बी को करने में मदद मिलती है।
    • कब्ज या अपच जैसी पेट से जुड़ी समस्याएं नहीं होती। इस आसन के अभ्यास से पाचन तंत्र को बेहतरीन करने में मदद मिलती है।
    • क़ब्ज़, खाने में अरुचि, आलस्य, आंत्र वृद्धि, रक्त विकार आदि रोगों की यह संजीवनी बूटी है।
    • चक्कर आना, मानसिक कमज़ोरी, सिर दर्द आदि रोगों में लाभकारी है।
    • यह आसन महिलाओं में गर्भाशय ( Uterus) से जुड़ी बीमारियों को दूर करने में मदद कर सकता है। यह आसन महिलाओं में प्रजनन क्षमता को भी बेहतर बनाता है।
    • श्रोणि (pelvis) की मांसपेशियों और प्रजनन अंगों की मालिश करके, यह नपुंसकता, बाँझपन और मासिक धर्म की समस्याओं के उपाय में भी उपयोगी है।

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