हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम पश्चिमोत्तानासन के बारे में जानकारी देंगे। भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन पश्चिमोत्तानासन हैं।
पश्चिमोत्तानासन योग आगे की ओर झुककर किए जाने वाले आसन महत्वपूर्ण आसनों में से एक है। इसे अंग्रेजी भाषा में “seated forward bend” कहते है। नियमित रूप से और सही तरीके से पश्चिमोत्तानासन अभ्यास करने से शरीर की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। और साथ ही उनमें लचीलापन आता है। कुछ योग शिक्षक इस आसन को ‘ब्रह्मचर्यासन’ और ‘उग्रासन’ भी कहते हैं। और महर्षि घेरण्ड ने इस आसन को उग्रासन भी कहा है।
इस योग मुद्रा को सही तकनीक के साथ करना बहुत जरूरी है नहीं तो मांसपेशियों में अधिक खिंचाव आ सकता है, इस कारण कुछ समय तक दर्द रह सकता है। इसलिए, इस लेख में हम पश्चिमोत्तानासन के बारे में जानेंगे। पश्चिमोत्तानासन क्या है, पश्चिमोत्तानासन करने का सही तरीका, पश्चिमोत्तानासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।
पश्चिमोत्तानासन का शाब्दिक अर्थ।
- पश्चिमोत्तानासन एक संस्कृत भाषा का शब्द हैं। जो संस्कृत के तीन मूल शब्दों “पश्चिम+उत्तान+आसन” से मिलकर बना है। पश्चिमोत्तानासन में “पश्चिम” शरीर के पिछले हिस्से (पीठ आदि) को दर्शाता है। और “उत्तान” का मतलब है खिंचाव। और शब्द “आसन” जिसका अर्थ होता है “मुद्रा”। इसे अंग्रेजी भाषा में “seated forward bend” कहते है।
पश्चिमोत्तानासन करने का सही तरीका।
पश्चिमोत्तानासन करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर दोनों पैरों को सामने की तरफ़ लंबवत् कर के बैठ जाएं।
- अब श्वास छोड़ें, और सामने की तरफ़ झुकते हुए दोनों हाथों की अँगुलियों से दोनों पैर के अंगूठों को पकड़ने का प्रयास करें।
- दोनों पैरों को तानकर रखें। पैरों को घुटनों से मुड़ने ना दें।
- अब धीरे-धीरे सिर को घुटनों से स्पर्श कराएँ।
- पुर्णत अभ्यास हो जाने पर पीठ उठी हुई नहीं रहती बल्कि समतल हो जाती है।
- जल्दबाज़ी न करें।
- पुनः मूल स्थिति में आते समय श्वास लें।
ध्यान।
- इस आसन का अभ्यास करते समय अपना ध्यान स्वाधिष्ठान चक्र पर केंद्रित करें।
श्वास का क्रम।
- इस आसन के अभ्यास के दौरान सामने झुकते समय श्वास छोड़ें।
- वापिस आते समय श्वास लें।
समय।
- इस आसन का अभ्यास 2-3 मिनट या कम से कम 4-5 अपनी क्षमता अनुसार करें।
पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
पश्चिमोत्तानासन करने के फायदे
पश्चिमोत्तानासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे
- इस आसन का अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी, नितंब (hips), कंधों और हैमस्ट्रिंग (हैमस्ट्रिंग मांसपेशी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी है) में खिचाव लगता है।
- इस की मदद से जांघ की विशेष मांसपेशियों (हैमस्ट्रिंग) को मजबूत बनाया जाता है, जो दौड़ने की क्रिया में शरीर की मदद करती है। [ हैमस्ट्रिंग :- मांसपेशी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी है, खिलाड़ियों के लगातार दौड़ते रहने से इस मांसपेशी में खासा दबाव महसूस होता है ]
- इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी में खिंचाव लगता है और इसे लचीला बनाने का काम करता है। इसके अलावा इस आसन का अभ्यास करने से व्यक्ति की लंबाई में भी वृद्धि होने लगती है।
- प्रतिदिन अभ्यास करने से पाचन अंगों (digestive organs) की कार्यक्षमता में सुधार होता है। और पाचन क्रिया को तेज करता है। एवं कब्ज की समस्या दूर होती है और भूख भी अच्छी लगती है।
- अतिरिक्त वसा को कम करता हैं। और मोटापा कम होता है
- इस आसन के नियमित अभ्यास करने से यकृत (जिगर, liver), गुर्दे (kidneys), अंडाशय (ovaries), और गर्भाशय (Uterus) की कार्यक्षमता में सुधार होता है।
- मस्तिष्क शांत होता है। और मानसिक समस्याएं कम होने लगती हैं। तनाव, डिप्रेशन, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं को कम करने में मदद मिल सकती है।
- स्त्रियों के प्रजनन अंग के रोगों का शमन करता है।
- रजोनिवृत्ति (menopause) और मासिक धर्म (Menstrual) की समस्या से राहत मिलती हैं। मासिक धर्म (Menstrual) के दौरान पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करने से पहले डॉक्टर से अनुमति अवश्य लें।
- मधुमेह में लाभकारी आसन है।
- हाई बीपी, बांझपन, अनिद्रा, और साइनस के लिए चिकित्सीय है। [साइनस :- साइनस (sinuses) चेहरे के क्षेत्र में खोखली गुहाएँ होती हैं जो हवा के संचार और म्यूकस को बाहर निकालने में सहायता करती हैं। एलर्जी: परागकण, धूल और मोल्ड से एलर्जी से व्यक्ति को सूजन हो सकती है जो साइनस संक्रमण का कारण बनती है।]
- यह आसन रक्त संचार में सुधार करता है।
सावधानियां।
- गर्भवती महिलाएं (pregnant women), तीव्र कमर दर्द (acute back pain)और कटिस्नायुशूल (sciatica) वाले रोगी यह आसन ज़बर्दस्ती न करें।
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सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
पश्चिमोत्तानासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. पश्चिमोत्तानासन करने की विधि?
Ans. पश्चिमोत्तानासन करने की विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर दोनों पैरों को सामने की तरफ़ लंबवत् कर के बैठ जाएं।
- अब श्वास छोड़ें, और सामने की तरफ़ झुकते हुए दोनों हाथों की अँगुलियों से दोनों पैर के अंगूठों को पकड़ने का प्रयास करें।
- दोनों पैरों को तानकर रखें। पैरों को घुटनों से मुड़ने ना दें।
- अब धीरे-धीरे सिर को घुटनों से स्पर्श कराएँ।
- पुर्णत अभ्यास हो जाने पर पीठ उठी हुई नहीं रहती बल्कि समतल हो जाती है।
- जल्दबाज़ी न करें।
- पुनः मूल स्थिति में आते समय श्वास लें।
Ques 2. पश्चिमोत्तानासन करने के क्या फायदे है?
Ans. पश्चिमोत्तानासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे
- इस आसन का अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी, नितंब (hips), कंधों और हैमस्ट्रिंग (हैमस्ट्रिंग मांसपेशी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी है) में खिचाव लगता है।
- इस की मदद से जांघ की विशेष मांसपेशियों (हैमस्ट्रिंग) को मजबूत बनाया जाता है, जो दौड़ने की क्रिया में शरीर की मदद करती है। [ हैमस्ट्रिंग :- मांसपेशी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी है, खिलाड़ियों के लगातार दौड़ते रहने से इस मांसपेशी में खासा दबाव महसूस होता है ]
- इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी में खिंचाव लगता है और इसे लचीला बनाने का काम करता है। इसके अलावा इस आसन का अभ्यास करने से व्यक्ति की लंबाई में भी वृद्धि होने लगती है।
- प्रतिदिन अभ्यास करने से पाचन अंगों (digestive organs) की कार्यक्षमता में सुधार होता है। और पाचन क्रिया को तेज करता है। एवं कब्ज की समस्या दूर होती है और भूख भी अच्छी लगती है।
- अतिरिक्त वसा को कम करता हैं। और मोटापा कम होता है
- इस आसन के नियमित अभ्यास करने से यकृत (जिगर, liver), गुर्दे (kidneys), अंडाशय (ovaries), और गर्भाशय (Uterus) की कार्यक्षमता में सुधार होता है।
- मस्तिष्क शांत होता है। और मानसिक समस्याएं कम होने लगती हैं। तनाव, डिप्रेशन, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं को कम करने में मदद मिल सकती है।
- स्त्रियों के प्रजनन अंग के रोगों का शमन करता है।
- रजोनिवृत्ति (menopause) और मासिक धर्म (Menstrual) की समस्या से राहत मिलती हैं। मासिक धर्म (Menstrual) के दौरान पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करने से पहले डॉक्टर से अनुमति अवश्य लें।
- मधुमेह में लाभकारी आसन है।
- हाई बीपी, बांझपन, अनिद्रा, और साइनस के लिए चिकित्सीय है। [साइनस :- साइनस (sinuses) चेहरे के क्षेत्र में खोखली गुहाएँ होती हैं जो हवा के संचार और म्यूकस को बाहर निकालने में सहायता करती हैं। एलर्जी: परागकण, धूल और मोल्ड से एलर्जी से व्यक्ति को सूजन हो सकती है जो साइनस संक्रमण का कारण बनती है।]
- यह आसन रक्त संचार में सुधार करता है।