हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम पादादिरासन योगासन के बारे में जानकारी देंगे।
स्वास्थ्य केवल शारीरिक ही नहीं मानसिक और आत्मिक भी होता है। जो लोग केवल शरीर को स्वस्थ रखकर स्वस्थ और सुखी जीवन का लाभ लेना चाहते हैं, वह सफल नहीं हो पाते। भारतीय जीवन पद्धति तो हमेशा से शारीरिक, मानसिक, आत्मिक स्वास्थ्य का महत्त्व दर्शाती रही है। आज के चिकित्सा विज्ञानी भी रोगों का कारण शरीर के अलावा मन में खोजने लगे हैं।
योगाभ्यास के दौरान शरीर को कई बार आध्यात्मिक अनुभव भी होते हैं। ये अनुभव किसी भी इंसान के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। योग आपके जीवन को नई दिशा देता है, योग आपको खुद से मिलाने की ही एक यात्रा है।
भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन पादादिरासन हैं।
इसलिए, इस लेख में हम पादादिरासन के बारे में जानेंगे। पादादिरासन क्या है, पादादिरासन करने का सही तरीका, पादादिरासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे। और साथ में हम योग करने के नियम, योग के प्रमुख उद्देश्य और योग का हमारे जीवन में क्या महत्व हैं इसके बारे में भी जानेंगे।
पादादिरासन करने का सही तरीका।
पादादिरासन करने की विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर शांतचित्त व प्रसन्न मन से वज्रासन में बैठें।
- अब दोनों हाथ को चित्र अनुसार वक्षःस्थल के सामने से कैंचीनुमा बनाते हुए दाईं हथेली को बाएँ काँख में तथा बाईं हथेली को दाएँ काँख में इस प्रकार रख लें कि अँगुलियाँ काँख के अंदर की तरफ़ व अंगूठा काँख से बाहर ऊपर की तरफ़ उठा हुआ रहेगा।
- अब अँगूठा और तर्जनी अंगुलि से बीच वाले भाग को कसकर दबाएँ।
- नेत्रों को बंद कर श्वास का क्रम सामान्य रखें। श्वास-प्रश्वास पर ध्यान लगायें।
- यह आसन श्वसन (श्वास-प्रश्वास) की क्रिया में आए हुए अवरोध को दूर करता है।
पादादिरासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
नोट : ध्यान, श्वासक्रम, समय, दिशा, लाभ व सावधनियाँ वज्रासन के ही समान हैं।
पादादिरासन की विशेष
- प्राणायाम के अभ्यास में सरलता के लिए इसका अभ्यास किया जा सकता है।
- अगर सर्दियों में आपका नाक बंद हो जाता हैं तो इस आसन का अभ्यास करने से नासिका खुल जाती हैं।
- यदि आप की दाहिनी तरफ़ की नासिका बंद है तो उस तरफ़ वाले हाथ से विपरीत वाला बगल दबाएँ थोड़ी ही देर में आप की नासिका खुल जायेगी और श्वास का विनियमित (regulated) होने लगेगा।
- अगर दोनों तरफ़ के स्वर बंद है तो दोनों तरफ़ की बगल को दबाकर रखें।
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योगाभ्यास के दौरान विशेष बातें का ध्यान रखें।
- योगासन पूर्णतः विवेक का उपयोग करते हुए ही करें।
- योगासन करते समय पूर्ण विश्वास, धैर्य और सकारात्मक विचार रखें।
- योगासन करते समय मन में ईर्ष्या, क्रोध, जलन, द्वेष एवं खिन्नता का भाव ना रखें।
- नशीले पदार्थों का सेवन ना करें एवं गंदी मानसिकता न रखें।
- किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें।
- गरिष्ठ भोजन, माँसाहार, अत्यधिक वासना एवं देर रात तक जागने जैसी आदतों का त्याग करें।
सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
पादादिरासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQ
Ques 1. पादादिरासन करने की विधि?
Ans. पादादिरासन करने की विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर शांतचित्त व प्रसन्न मन से वज्रासन में बैठें।
- अब दोनों हाथ को चित्र अनुसार वक्षःस्थल के सामने से कैंचीनुमा बनाते हुए दाईं हथेली को बाएँ काँख में तथा बाईं हथेली को दाएँ काँख में इस प्रकार रख लें कि अँगुलियाँ काँख के अंदर की तरफ़ व अंगूठा काँख से बाहर ऊपर की तरफ़ उठा हुआ रहेगा।
- अब अँगूठा और तर्जनी अंगुलि से बीच वाले भाग को कसकर दबाएँ।
- नेत्रों को बंद कर श्वास का क्रम सामान्य रखें। श्वास-प्रश्वास पर ध्यान लगायें।
- यह आसन श्वसन (श्वास-प्रश्वास) की क्रिया में आए हुए अवरोध को दूर करता है।