हेलो दोस्तों आपका INDIA TODAY ONE blog में स्वागत है। इस लेख में हम पार्श्वकोणासन करने का तरीका और फायदो के बारे में जानेंगे और साथ में यह भी जानेंगे कि योगासन करने के क्या नियम होते हैं।
पार्श्वकोणासन करने का सही तरीका
पार्श्वकोणासन करने के फायदे
पार्श्वकोणासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे
1. पार्श्वकोणासन का अभ्यास करने से पैर की मांसपेशियों में गहरा खिंचाव (स्ट्रेच) लगता है
इस आसन का अभ्यास करने से पैरों, हैमस्ट्रिंग, घुटनों, टखनों,कूल्हों और पिंडलियों गहरा खिंचाव (स्ट्रेच) लगता है। जिससे पूरे पैर में रक्त का प्रवाह बेहतर ढंग से होता है। और पैर की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं।
2. पार्श्वकोणासन का अभ्यास करने से ऊपरी धड़ (Upper Body), कंधों (Shoulders), सीने (Chest) और रीढ़ की हड्डी में गहरा खिंचाव (स्ट्रेच) लगता है। जिससे इनकी मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। और रीढ़ की हड्डी लचीलापन बढ़ता है। तथा छाती खुलती हैं।
3. पार्श्वकोणासन फेफड़ों की क्षमता में सुधार करता है।
इस योगासन में ऊपरी शरीर को मोड़ने के दौरान डायाफ्राम को फैलाकर स्ट्रेच करना पड़ता है। इससे सांस लेने की क्षमता बढ़ती है और फेफड़ों (Lungs) सुडौल हो जाते हैं।
4. पार्श्वकोणासन से Lower Back (पीठ के निचले हिस्से) का दर्द दूर होता है
पार्श्वकोणासन का अभ्यास करना करने से नितंब (hips) को गहरा खिंचाव मिलता है। ये लोअर बैक और रीढ़ के बेस की हड्डी यानि कि त्रिकास्थि (कमर के पीछे की तिकोने हड्डी) या सैक्रम को हल्की मसाज भी देता है। जिससे लोअर बैक के दर्द दूर होता है
5. पार्श्वकोणासन पूरे शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
पार्श्वकोणासन का अभ्यास करने के दौरान पूरे शरीर के साथ ही नितंब (hips), पैरों, हैमस्ट्रिंग, घुटनों, टखनों, कूल्हों, पिंडलियों, पेट, कंधों, सीने, गर्दन और रीढ़ की हड्डी को विशेष खींचना (stretch) मिलता है। जिससे इन सभी अंगों की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। ये आसन इन सभी अंगों पर मौजूद अतिरिक्त fat को कम करने में मदद करता है। इससे पूरे शरीर को fit रखने में मदद मिलती है।
6. यह आसन पेट के अंगों को उत्तेजित करता है। जिससे पाचन क्रिया को सुधार होता है।
7. इस आसन का अभ्यास करने से सहनशक्ति (stamina) बढ़ाती है।
8. पार्श्वकोणासन गठिया, कब्ज, बांझपन, कमर दर्द, ऑस्टियोपोरोसिस, साइटिका और मासिक धर्म की परेशानी के लिए चिकित्सीय है।
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योग के नियम
अगर आप इन कुछ सरल नियमों का पालन करेंगे, तो अवश्य ही आपको योग अभ्यास का पूरा लाभ मिलेगा।
- किसी गुरु के निर्देशन में योग अभ्यास आरम्भ करें।
- सूर्योदय या सूर्यास्त का वक़्त योग का सही समय है।
- योग करने से पहले स्नान ज़रूर करें।
- योग खाली पेट करें और योग करने के 2 घंटे पहले कुछ ना खायें।
- योग आरामदायक सूती कपड़े पहन के करे
- तन की तरह मन भी स्वच्छ होना चाहिए योग करने से पहले सब बुरे ख़याल दिमाग़ से निकाल दें।
- किसी शांत वातावरण और साफ जगह में योग अभ्यास करें।
- अपना पूरा ध्यान अपने योग अभ्यास पर ही केंद्रित रखें।
- योग अभ्यास धैर्य और दृढ़ता से करें।
- अपने शरीर के साथ जबरदस्ती बिल्कुल ना करें।
- धीरज रखें। योग के लाभ महसूस होने मे वक़्त लगता है।
- निरंतर योग अभ्यास जारी रखें।
- योग करने के 30 मिनिट बाद तक कुछ ना खायें। 1 घंटे तक न नहायें।
- प्राणायाम हमेशा आसन अभ्यास करने के बाद करें।
- अगर कोई मेडिकल तकलीफ़ हो तो पहले डॉक्टर से ज़रूर सलाह करें।
- अगर तकलीफ़ बढ़ने लगे या कोई नई तकलीफ़ हो जाए तो तुरंत योग अभ्यास रोक दें।
- योगाभ्यास के अंत में हमेशा शवासन करें।
योग के प्रमुख उद्देश्य
योग के उद्देश्य :-
- तनाव से मुक्त जीवन
- मानसिक शक्ति का विकास करना
- प्रकृति के विपरीत जीवन शैली में सुधार करना
- निरोगी काया
- रचनात्मकता का विकास करना
- मानसिक शांति प्राप्त करना
- सहनशीलता में वृद्धि करना
- नशा मुक्त जीवन
- वृहद सोच
- उत्तम शारीरिक क्षमता का विकास करना
योग के लाभ/महत्व
- रोज सुबह उठकर योग का अभ्यास करने से अनेक फायदे हैं योग मन, मस्तिष्क, ध्यान और शरीर के सभी अंगो का एक संतुलित वर्कआउट है जो आपके सोच-विचार करने की शक्ति व मस्तिष्क के कार्यों को बढ़ाता है तनाव को कम करता है।
- योग मन को अनुशासित करता है।
- जहां जीम व एक्सरसाइज आदि से शरीर के किसी विशेष अंग का विकास या व्यायाम हो पाता है वही योग करने से शरीर के समस्त अंगों का, ज्ञानेंद्रियों, इंद्रियों, ग्रंथियों का विकास और व्यायाम होता है जिससे शरीर के समस्त अंग सुचारू रूप से कार्य करते हैं।
- प्रतिदिन योग करने से शरीर निरोगी बनता है।
- योग का प्रयोग शारीरिक,मानसिक,बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास के लिए हमेशा से होता आ रहा है आज की चिकित्सा शोधों व डॉक्टरों ने यह साबित कर दिया है कि YOGA शारीरिक और मानसिक रूप से मानव जाति के लिए वरदान है।
- योग एकाग्रता को बढ़ाता है। प्रतिदिन योग करने से हमारी अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रता बढ़ती है।
- प्रतिदिन योगासन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है शरीर स्वस्थ, निरोगी और बलवान बनता है।
- योग के द्वारा आंतरिक शक्ति का विकास होता है।
- योग से ब्लड शुगर का लेवल स्थिर रहता है। ब्लड शुगर घटने व बढने की समस्या नहीं होती है।
- योग कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है।
- योग ज्ञानेंद्रियों, इंद्रियों को जागृत करता है।
- योग डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद है।
- योगासनों के नित्य अभ्यास से शरीर की सभी मांसपेशियों का अच्छा विकास व व्यायाम होता है जिससे तनाव दूर होता है
- अच्छी नींद आती है भूख अच्छी लगती है पाचन तंत्र सही रहता है।
- योगासनों के नित्य अभ्यास से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बहुत सी स्टडीज में साबित यह हो चुका है कि अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर व डायबिटीज के मरीज योग द्वारा पूर्ण रूप से स्वस्थ होते हैं।
- कुछ योगासनों और मेडिटेशन के द्वारा अर्थराइटिस, कमर में दर्द, घुटनों में दर्द जोड़ों में दर्द आदि दर्द मे काफी सुधार होता है। गोली-दवाइयों की आवश्यकता कम हो जाती है।
- योग बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद है। योगासनों के नित्य अभ्यास से बच्चों में मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक शक्ति का विकास होता है। जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर है वह भी मेडिटेशन के द्वारा पढ़ाई में सर्वश्रेष्ठ हो सकते है अपनी एकाग्रता में सुधार कर सकते है।
FAQ
Ques 1. पार्श्वकोणासन करने के क्या फायदे है?
Ans. पार्श्वकोणासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे
1. पार्श्वकोणासन का अभ्यास करने से पैर की मांसपेशियों में गहरा खिंचाव (स्ट्रेच) लगता है
इस आसन का अभ्यास करने से पैरों, हैमस्ट्रिंग, घुटनों, टखनों,कूल्हों और पिंडलियों गहरा खिंचाव (स्ट्रेच) लगता है। जिससे पूरे पैर में रक्त का प्रवाह बेहतर ढंग से होता है। और पैर की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं।
2. पार्श्वकोणासन का अभ्यास करने से ऊपरी धड़ (Upper Body), कंधों (Shoulders), सीने (Chest) और रीढ़ की हड्डी में गहरा खिंचाव (स्ट्रेच) लगता है। जिससे इनकी मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। और रीढ़ की हड्डी लचीलापन बढ़ता है। तथा छाती खुलती हैं।
3. पार्श्वकोणासन फेफड़ों की क्षमता में सुधार करता है।
इस योगासन में ऊपरी शरीर को मोड़ने के दौरान डायाफ्राम को फैलाकर स्ट्रेच करना पड़ता है। इससे सांस लेने की क्षमता बढ़ती है और फेफड़ों (Lungs) सुडौल हो जाते हैं।
4. पार्श्वकोणासन से Lower Back (पीठ के निचले हिस्से) का दर्द दूर होता है
पार्श्वकोणासन का अभ्यास करना करने से नितंब (hips) को गहरा खिंचाव मिलता है। ये लोअर बैक और रीढ़ के बेस की हड्डी यानि कि त्रिकास्थि (कमर के पीछे की तिकोने हड्डी) या सैक्रम को हल्की मसाज भी देता है। जिससे लोअर बैक के दर्द दूर होता है
5. पार्श्वकोणासन पूरे शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
पार्श्वकोणासन का अभ्यास करने के दौरान पूरे शरीर के साथ ही नितंब (hips), पैरों, हैमस्ट्रिंग, घुटनों, टखनों, कूल्हों, पिंडलियों, पेट, कंधों, सीने, गर्दन और रीढ़ की हड्डी को विशेष खींचना (stretch) मिलता है। जिससे इन सभी अंगों की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। ये आसन इन सभी अंगों पर मौजूद अतिरिक्त fat को कम करने में मदद करता है। इससे पूरे शरीर को fit रखने में मदद मिलती है।
6. यह आसन पेट के अंगों को उत्तेजित करता है। जिससे पाचन क्रिया को सुधार होता है।
7. इस आसन का अभ्यास करने से सहनशक्ति (stamina) बढ़ाती है।
8. पार्श्वकोणासन गठिया, कब्ज, बांझपन, कमर दर्द, ऑस्टियोपोरोसिस, साइटिका और मासिक धर्म की परेशानी के लिए चिकित्सीय है।