भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन पार्श्व धनुरासन हैं। इसलिए, इस लेख में हम पार्श्व धनुरासन के बारे में जानेंगे। पार्श्व धनुरासन क्या है, पार्श्व धनुरासन करने का सही तरीका, पार्श्व धनुरासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।
पार्श्व धनुरासन करने का सही तरीका।
पार्श्व धनुरासन करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर पीठ के बल लेट जाएं।
- अब बाएं तरफ करवट ले।
- अब श्वास छोड़ते हुए अपने दोनों पैरों को पीछे की तरफ़ मोड़ें। (चित्रानुसार)
- अब अपने दोनों हाथों से दोनों पैरों के पंजों को पकड़े।
- अब श्वास लेकर अंतकुंभक करते हुए यथासंभव करवट बदलते रहें। एवं अपनी क्षमता अनुसार इस क्रिया को करके श्वास बाहर निकाल दें।
- अब वापस सामान्य स्थिति में आ जाएँ।
श्वास का क्रम/समय।
- इस आसन के अभ्यास के दौरान अंतःकुंभक करें। और यह क्रिया 3-4 बार दोहराएं।
पार्श्व धनुरासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
पार्श्व धनुरासन करने के फायदे।
पार्श्व धनुरासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इस आसन के अभ्यास से कंधों, छाती (Chest), उदर क्षेत्र, जांघों व रीढ़ की हड्डी (back-bone) में खिंचाव लगता है।
- इसके अभ्यास से छाती मज़बूत एवं चौड़ी होती है।
- क़ब्ज़ की समस्या को दूर करता है एवं अपच जैसी पेट से जुड़ी समस्याएं नहीं होती।
- यह आसन उदर-क्षेत्र को क्रियाशील बनाता हैं। पाचन तंत्र (Digestive System) में सुधार होता है। पाचन तंत्र मज़बूत व पाचनशक्ति तीव्र करता है।
- मोटे व्यक्तियों को यह आसन अवश्य करना चाहिए। इस क्रिया को करने से उदर-क्षेत्र में जमी हुई चर्बी कम होती है।
- कटिस्नायुशूल (sciatica) वाले इस आसन का अभ्यास अवश्य करें। कटिस्नायुशूल (sciatica) में लाभप्रद आसान है।
सावधानियां।
- शारीरिक जटिलता या हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति इस आसन का अभ्यास विवेकता पूर्वक करें।
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सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
पार्श्व धनुरासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. पार्श्व धनुरासन करने की विधि?
Ans. पार्श्व धनुरासन करने की विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर पीठ के बल लेट जाएं।
- अब बाएं तरफ करवट ले।
- अब श्वास छोड़ते हुए अपने दोनों पैरों को पीछे की तरफ़ मोड़ें। (चित्रानुसार)
- अब अपने दोनों हाथों से दोनों पैरों के पंजों को पकड़े।
- अब श्वास लेकर अंतकुंभक करते हुए यथासंभव करवट बदलते रहें। एवं अपनी क्षमता अनुसार इस क्रिया को करके श्वास बाहर निकाल दें।
- अब वापस सामान्य स्थिति में आ जाएँ।
Ques 2. पार्श्व धनुरासन करने के क्या फायदे है?
Ans. पार्श्व धनुरासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इस आसन के अभ्यास से कंधों, छाती (Chest), उदर क्षेत्र, जांघों व रीढ़ की हड्डी (back-bone) में खिंचाव लगता है।
- इसके अभ्यास से छाती मज़बूत एवं चौड़ी होती है।
- क़ब्ज़ की समस्या को दूर करता है एवं अपच जैसी पेट से जुड़ी समस्याएं नहीं होती।
- यह आसन उदर-क्षेत्र को क्रियाशील बनाता हैं। पाचन तंत्र (Digestive System) में सुधार होता है। पाचन तंत्र मज़बूत व पाचनशक्ति तीव्र करता है।
- मोटे व्यक्तियों को यह आसन अवश्य करना चाहिए। इस क्रिया को करने से उदर-क्षेत्र में जमी हुई चर्बी कम होती है।
- कटिस्नायुशूल (sciatica) वाले इस आसन का अभ्यास अवश्य करें। कटिस्नायुशूल (sciatica) में लाभप्रद आसान है।
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