• Mon. Nov 25th, 2024

    INDIA TODAY ONE

    Knowledge

    विपरीत वीरभद्रासन करने का तरीका और 15 फायदे – Method and benefits of Viparita Virabhadrasana in Hindi

    विपरीत वीरभद्रासन
    WhatsApp Group Join Now
    Telegram Group Join Now

    हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम विपरीत वीरभद्रासन योगासन के बारे में जानकारी देंगे।

    योग भारत की प्राचीन विधा है। इतिहास की दृष्टि से यह व्यक्त करना अत्यंत कठिन होगा कि विश्व में योग विद्या का आविर्भाव कब, कैसे और कहाँ से हुआ। यदि हम प्राचीन ग्रंथों पर नज़र डालें तो योग विद्या का उल्लेख वेदों और जैन धर्म के ग्रंथों में मिलता है। अतः कह सकते हैं कि योग विद्या की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने योग को हजारों साल की कठिन तपस्या के बाद निर्मित किया है। आज शरीर और मन की ऐसी कोई भी समस्या नहीं है जिसका हल योग के पास न हो। इस ज्ञान को अब वैज्ञानिक मान्यता भी मिल चुकी है।

    आज लोगों का मानना है कि महर्षि पतंजलि ने योग का निरूपण किया जबकि योग के प्रथम गुरु भगवान शिव ही हैं। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग का प्रतिपादन किया जो कि यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान तथा समाधि के रूप में गृहीत है।

    योगाभ्यास के दौरान शरीर को कई बार आध्यात्मिक अनुभव भी होते हैं। ये अनुभव किसी भी इंसान के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। योग आपके जीवन को नई दिशा देता है, योग आपको खुद से मिलाने की ही एक यात्रा है।

    भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन विपरीत वीरभद्रासन हैं।

    इसलिए, इस लेख में हम विपरीत वीरभद्रासन के बारे में जानेंगे। विपरीत वीरभद्रासन क्या है, विपरीत वीरभद्रासन करने का सही तरीका, विपरीत वीरभद्रासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे। और साथ में हम योग करने के नियम, योग के प्रमुख उद्देश्य और योग का हमारे जीवन में क्या महत्व हैं इसके बारे में भी जानेंगे।

    विपरीत वीरभद्रासन करने का सही तरीका।

    विपरीत वीरभद्रासन करने की विधि।

    • विपरीत वीरभद्रासन एक खड़े होकर पीछे की ओर झुकने वाला आसन है जो साइड में गहरा खिंचाव भी प्रदान करता है।
    • सर्वप्रथम समतल जमीन पर योग मेट बिछा कर उसके ऊपर सीधे खड़े हो जाएं।
    • अब बाएं पैर को आगे की और लाएं तथा दाएं पैर को पीछे की तरफ रखें। दोनों पैरों के बीच 3 से 4 फ़ीट का अंतर रखें।
    • जिस पैर को आगे की ओर लाएं उसे धीरे-धीरे मोड़ें जब तक की घुटना सीधा टखने की ऊपर ना आ जाए। अगर आप में इतना लचीलापन हो तो अपनी जाँघ को ज़मीन से समांतर कर लें। तथा पीछे वाले पैर को सीधा रखें।
    • इस दौरान आगे वाले पैर का पंजा सीधा रखें और पीछे वाले पैर का पंजा चित्रानुसार बाईं तरफ होना चाहिए।
    • अब बाएं पैर की तरफ वाला हाथ कान को स्पर्श करते हुए ऊपर उठाएं चित्रानुसार कमर को मोड़ते हुए सिर और हाथ पीछे की तरफ झुकाए तथा दाएं हाथ को दाएं पैर पर रखें।
    • इसी प्रकार दूसरी तरफ से भी इस योगासन का अभ्यास करें।

    विपरीत वीरभद्रासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

    श्वासक्रम।

    • यह योगासन करते समय सांसों की गति सामान्य रखें

    समय।

    • विपरीत वीरभद्रासन की एक तरफ की स्थिति में 30 से 60 सेकंड तक बने रहें और जैसे-जैसे आपके शरीर में ताक़त एवं लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं किंतु 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें।

    विपरीत वीरभद्रासन करने के फायदे।

    विपरीत वीरभद्रासन

    विपरीत वीरभद्रासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • विपरीत वीरभद्रासन का अभ्यास करने से फेफड़ों, छाती, कंधों और कमर में खिंचाव लगता है।
    • इससे आपकी पिछली और सामने की जांघ में भी खींचाव लगता है, मुख्य रूप से हैमस्ट्रिंग और क्वाड्रिसेप्स, इंटरकोस्टल मांसपेशियों, कूल्हों की मांसपेशियां में जिसके परिणाम स्वरूप यह मांसपेशियां लचीली व स्वस्थ बनती है।
      इंटरकोस्टल मांसपेशियों :- ये मांसपेशियां पसलियों के बीच पाई जाती हैं, और दो प्रकार की होती हैं: आंतरिक और बाहरी इंटरकोस्टल।
      हैमस्ट्रिंग मांसपेशि :- हैमस्ट्रिंग मांसपेशी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी है,जो दौड़ने की क्रिया में शरीर की मदद करती है। खिलाड़ियों के लगातार दौड़ते रहने से इस मांसपेशी में खासा दबाव महसूस होता है।
      क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां :- यह जांघ के सामने की मांसपेशियों का एक समूह है। क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां का उपयोग विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को करने के लिए करते हैं, जैसे :- दौड़ना, किक करना (to kick), कूदना और चलना आदि है।
    • यह योगासन पेट के अंगों को उत्तेजित करता है। जिससे पाचन तंत्र बेहतर बनता है।
    • विपरीत वीरभद्रासन टखनों तथा पैरों को फैलाता और मजबूत बनाता है।
    • विपरीत वीरभद्रासन का नियमित अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी लचीली व मजबूत बनती है और पीठ मे जकड़न की समस्या दूर हो जाती हैं। तथा इसके अभ्यास से शारीरिक संतुलन में भी सुधार होता है
    • इसके अभ्यास से गर्भवती महिलाओं को होने वाले पीठ दर्द से राहत मिलती है।
    • विपरीत वीरभद्रासन, कार्पल टनल सिंड्रोम, फ्लैट पैर, बांझपन, ऑस्टियोपोरोसिस, और साइटिका के लिए लाभप्रद योगासन है।
      ऑस्टियोपोरोसिस :- हड्डी के द्रव्यमान (बोन मास) में आई कमी जब हड्डियों के सामान्य ढांचे से हस्तक्षेप करने लगती है तो इस स्थिति को ऑस्टियोपोरोसिस के रूप में पहचानते हैं। ऐसे में हड्डियां नाज़ुक और कमजोर हो जाती हैं, और थोड़े से भी खिंचाव या भार से फ्रैक्चर होने की संभावना बनी रहती है।
      कार्पल टनल सिंड्रोम :- कार्पल टनल सिंड्रोम हाथ और कलाई में तड़पा देने वाला दर्द है। कलाई में तंत्रिका दब जाने के कारण हाथ और बांह का सुन्न हो जाना और उनमें झनझनाहट होना।
      कटिस्नायुशूल (sciatica) :- sciatic nerve आपकी रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर आपके कूल्हों से लेकर पैरों तक जाती है। यह मानव शरीर की सबसे महत्वपूर्ण तंत्रिकाओं में से एक है। आमतौर पर यह दर्द लोगों को 30 साल के बाद ही होता है। sciatic nerve में हुई समस्या से जूझ रहे मरीजों को कमर दर्द, पैरों में सुन्नापन आना या दर्द का अनुभव होना आदि।साइटिका को कटिस्नायुशूल के नाम से भी जाना जाता है।
      सपाट पैर (flat feet) :- फ्लैट फुट बच्चों और वयस्कों में पाई जाने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है। फ्लैट फुट वाले लोगों के पैर में मेहराब (arch) सामान्य से कम होता है या ऐसे व्यक्ति का पैर पूरी तरह जमीन को छूता है। सामान्य भाषा में समझें तो पैरों की पगथेलीया में गोलाई नहीं होती हैं वह एकदम समतल होती हैं।

    विपरीत वीरभद्रासन

    सावधानियां

    • शरीर के किसी हिस्से में चोट लगी होना जैसे कमर, गर्दन में और गर्भावस्था, मासिक धर्म और अन्य कोई गंभीर बीमारी होना जैसी स्थिति में विपरीत वीरभद्रासन का अभ्यास करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।

    👉 यह भी पढ़ें

    योगाभ्यास के दौरान विशेष बातें का ध्यान रखें

    • योगासन पूर्णतः विवेक का उपयोग करते हुए ही करें।
    • योगासन करते समय पूर्ण विश्वास, धैर्य और सकारात्मक विचार रखें।
    • योगासन करते समय मन में ईर्ष्या, क्रोध, जलन, द्वेष एवं खिन्नता का भाव ना रखें।
    • नशीले पदार्थों का सेवन ना करें एवं गंदी मानसिकता न रखें।
    • किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें।
    • गरिष्ठ भोजन, माँसाहार, अत्यधिक वासना एवं देर रात तक जागने जैसी आदतों का त्याग करें।

    योग के नियम

    अगर आप इन कुछ सरल नियमों का पालन करेंगे, तो अवश्य ही आपको योग अभ्यास का पूरा लाभ मिलेगा।

    • किसी गुरु के निर्देशन में योग अभ्यास आरम्भ करें।
    • सूर्योदय या सूर्यास्त का वक़्त योग का सही समय है।
    • योग करने से पहले स्नान ज़रूर करें।
    • योग खाली पेट करें और योग करने के 2 घंटे पहले कुछ ना खायें।
    • योग आरामदायक सूती कपड़े पहन के करे
    • तन की तरह मन भी स्वच्छ होना चाहिए योग करने से पहले सब बुरे ख़याल दिमाग़ से निकाल दें।
    • किसी शांत वातावरण और साफ जगह में योग अभ्यास करें।
    • अपना पूरा ध्यान अपने योग अभ्यास पर ही केंद्रित रखें।
    • योग अभ्यास धैर्य और दृढ़ता से करें।
    • अपने शरीर के साथ जबरदस्ती बिल्कुल ना करें।
    • धीरज रखें। योग के लाभ महसूस होने मे वक़्त लगता है।
    • निरंतर योग अभ्यास जारी रखें।
    • योग करने के 30 मिनिट बाद तक कुछ ना खायें। 1 घंटे तक न नहायें।
    • प्राणायाम हमेशा आसन अभ्यास करने के बाद करें।
    • अगर कोई मेडिकल तकलीफ़ हो तो पहले डॉक्टर से ज़रूर सलाह करें।
    • अगर तकलीफ़ बढ़ने लगे या कोई नई तकलीफ़ हो जाए तो तुरंत योग अभ्यास रोक दें।
    • योगाभ्यास के अंत में हमेशा शवासन करें।

    योग के प्रमुख उद्देश्य

    योग के उद्देश्य :-

    • तनाव से मुक्त जीवन
    • मानसिक शक्ति का विकास करना
    • प्रकृति के विपरीत जीवन शैली में सुधार करना
    • निरोगी काया
    • रचनात्मकता का विकास करना
    • मानसिक शांति प्राप्त करना
    • सहनशीलता में वृद्धि करना
    • नशा मुक्त जीवन
    • वृहद सोच
    • उत्तम शारीरिक क्षमता का विकास करना

    योग के लाभ/महत्व

    • रोज सुबह उठकर योग का अभ्यास करने से अनेक फायदे हैं योग मन, मस्तिष्क, ध्यान और शरीर के सभी अंगो का एक संतुलित वर्कआउट है जो आपके सोच-विचार करने की शक्ति व मस्तिष्क के कार्यों को बढ़ाता है तनाव को कम करता है।
    • योग मन को अनुशासित करता है।
    • जहां जीम व एक्सरसाइज आदि से शरीर के किसी विशेष अंग का विकास या व्यायाम हो पाता है वही योग करने से शरीर के समस्त अंगों का, ज्ञानेंद्रियों, इंद्रियों, ग्रंथियों का विकास और व्यायाम होता है जिससे शरीर के समस्त अंग सुचारू रूप से कार्य करते हैं।
    • प्रतिदिन योग करने से शरीर निरोगी बनता है।
    • योग का प्रयोग शारीरिक,मानसिक,बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास के लिए हमेशा से होता आ रहा है आज की चिकित्सा शोधों व डॉक्टरों ने यह साबित कर दिया है कि YOGA शारीरिक और मानसिक रूप से मानव जाति के लिए वरदान है।
    • योग एकाग्रता को बढ़ाता है। प्रतिदिन योग करने से हमारी अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रता बढ़ती है।
    • प्रतिदिन योगासन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है शरीर स्वस्थ, निरोगी और बलवान बनता है।
    • योग के द्वारा आंतरिक शक्ति का विकास होता है।
    • योग से ब्लड शुगर का लेवल स्थिर रहता है। ब्लड शुगर घटने व बढने की समस्या नहीं होती है।
    • योग कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है।
    • योग ज्ञानेंद्रियों, इंद्रियों को जागृत करता है।
    • योग डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद है।
    • योगासनों के नित्य अभ्यास से शरीर की सभी मांसपेशियों का अच्छा विकास व व्यायाम होता है जिससे तनाव दूर होता है
    • अच्छी नींद आती है भूख अच्छी लगती है पाचन तंत्र सही रहता है।
    • योगासनों के नित्य अभ्यास से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बहुत सी स्टडीज में साबित यह हो चुका है कि अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर व डायबिटीज के मरीज योग द्वारा पूर्ण रूप से स्वस्थ होते हैं।
    • कुछ योगासनों और मेडिटेशन के द्वारा अर्थराइटिस, कमर में दर्द, घुटनों में दर्द जोड़ों में दर्द आदि दर्द मे काफी सुधार होता है। गोली-दवाइयों की आवश्यकता कम हो जाती है।
    • योग बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद है। योगासनों के नित्य अभ्यास से बच्चों में मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक शक्ति का विकास होता है। जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर है वह भी मेडिटेशन के द्वारा पढ़ाई में सर्वश्रेष्ठ हो सकते है अपनी एकाग्रता में सुधार कर सकते है।

    सारांश

    योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
    विपरीत वीरभद्रासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

    FAQ

    Ques 1. विपरीत वीरभद्रासन करने के क्या फायदे  है?
    Ans. विपरीत वीरभद्रासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • विपरीत वीरभद्रासन का अभ्यास करने से फेफड़ों, छाती, कंधों और कमर में खिंचाव लगता है।
    • इससे आपकी पिछली और सामने की जांघ में भी खींचाव लगता है, मुख्य रूप से हैमस्ट्रिंग और क्वाड्रिसेप्स, इंटरकोस्टल मांसपेशियों, कूल्हों की मांसपेशियां में जिसके परिणाम स्वरूप यह मांसपेशियां लचीली व स्वस्थ बनती है।
      इंटरकोस्टल मांसपेशियों :– ये मांसपेशियां पसलियों के बीच पाई जाती हैं, और दो प्रकार की होती हैं: आंतरिक और बाहरी इंटरकोस्टल।
      हैमस्ट्रिंग मांसपेशि :- हैमस्ट्रिंग मांसपेशी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी है,जो दौड़ने की क्रिया में शरीर की मदद करती है। खिलाड़ियों के लगातार दौड़ते रहने से इस मांसपेशी में खासा दबाव महसूस होता है।
      क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां :- यह जांघ के सामने की मांसपेशियों का एक समूह है। क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां का उपयोग विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को करने के लिए करते हैं, जैसे :- दौड़ना, किक करना (to kick), कूदना और चलना आदि है।
    • यह योगासन पेट के अंगों को उत्तेजित करता है। जिससे पाचन तंत्र बेहतर बनता है।
    • विपरीत वीरभद्रासन टखनों तथा पैरों को फैलाता और मजबूत बनाता है।
    • विपरीत वीरभद्रासन का नियमित अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी लचीली व मजबूत बनती है और पीठ मे जकड़न की समस्या दूर हो जाती हैं। तथा इसके अभ्यास से शारीरिक संतुलन में भी सुधार होता है
    • इसके अभ्यास से गर्भवती महिलाओं को होने वाले पीठ दर्द से राहत मिलती है।
    • विपरीत वीरभद्रासन, कार्पल टनल सिंड्रोम, फ्लैट पैर, बांझपन, ऑस्टियोपोरोसिस, और साइटिका के लिए लाभप्रद योगासन है।
      ऑस्टियोपोरोसिस :- हड्डी के द्रव्यमान (बोन मास) में आई कमी जब हड्डियों के सामान्य ढांचे से हस्तक्षेप करने लगती है तो इस स्थिति को ऑस्टियोपोरोसिस के रूप में पहचानते हैं। ऐसे में हड्डियां नाज़ुक और कमजोर हो जाती हैं, और थोड़े से भी खिंचाव या भार से फ्रैक्चर होने की संभावना बनी रहती है।
      कार्पल टनल सिंड्रोम :- कार्पल टनल सिंड्रोम हाथ और कलाई में तड़पा देने वाला दर्द है। कलाई में तंत्रिका दब जाने के कारण हाथ और बांह का सुन्न हो जाना और उनमें झनझनाहट होना।
      कटिस्नायुशूल (sciatica) :- sciatic nerve आपकी रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर आपके कूल्हों से लेकर पैरों तक जाती है। यह मानव शरीर की सबसे महत्वपूर्ण तंत्रिकाओं में से एक है। आमतौर पर यह दर्द लोगों को 30 साल के बाद ही होता है। sciatic nerve में हुई समस्या से जूझ रहे मरीजों को कमर दर्द, पैरों में सुन्नापन आना या दर्द का अनुभव होना आदि।साइटिका को कटिस्नायुशूल के नाम से भी जाना जाता है।
      सपाट पैर (flat feet) :- फ्लैट फुट बच्चों और वयस्कों में पाई जाने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है। फ्लैट फुट वाले लोगों के पैर में मेहराब (arch) सामान्य से कम होता है या ऐसे व्यक्ति का पैर पूरी तरह जमीन को छूता है। सामान्य भाषा में समझें तो पैरों की पगथेलीया में गोलाई नहीं होती हैं वह एकदम समतल होती हैं।
    5 thoughts on “विपरीत वीरभद्रासन करने का तरीका और 15 फायदे – Method and benefits of Viparita Virabhadrasana in Hindi”
    1. Dear Website Owner,

      I hope this email finds you well. I recently discovered your website and was impressed by the quality of your content and the helpful information you offer to your audience. In light of this, I would like to propose a backlink exchange that could benefit both our websites.

      My website, https://m.cheapestdigitalbooks.com/, is focused on providing affordable digital books to readers around the world. We currently have a strong online presence with a Domain Authority (DA) of 13, a Page Authority (PA) of 52, and a Domain Rating (DR) of 78. Our website features 252K backlinks, with 95% of them being dofollow, and has established connections with 5.3K linking websites, with 23% of these being dofollow links.

      I believe that a mutually beneficial backlink exchange could be of great value for both of our websites, as it may lead to an increase in website authority and improve our search engine rankings. In this collaboration, I am willing to add backlinks from my website using your desired keywords and anchor texts. In return, I would be grateful if you could include backlinks with my desired keywords and anchor texts on your website.

      I kindly request that you visit my website, https://m.cheapestdigitalbooks.com/, to get a sense of the potential benefits this partnership could bring to your site. I am confident that this collaboration will provide a win-win situation for both parties, and I look forward to learning more about your thoughts on this proposal.

      Thank you for considering my offer. I am excited about the potential growth this partnership may bring to our websites and am eager to discuss the details further. Please do not hesitate to reach out to me at your convenience.

      Best regards,

      David E. Smith
      Email: david@cheapestdigitalbooks.com
      Address: 3367 Hood Avenue, San Diego, CA 92117

    2. You could certainly see your enthusiasm in the article you write. The world hopes for more passionate writers such as you who are not afraid to mention how they believe. Always follow your heart.

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    error: Content is protected !!

    Discover more from INDIA TODAY ONE

    Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

    Continue reading