योग विज्ञान में प्रकृति अर्थात् पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, जड़-चेतन, इंसान और देवताओं से प्रेरणा लेकर योग आसनों का निर्माण किया गया है। इसीलिए योग विज्ञान को प्रकृति का विज्ञान भी कहा जाता है। भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन हनुमानासन हैं।
संकट मोचन महाबली हनुमान, भारत में सबसे ज्यादा पूजा जाने वाले देवता हैं। भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने संकट मोचन महाबली हनुमान के ऊपर भी कई आसनों का निर्माण किया है। इन्हीं में से एक आसन का नाम हनुमानासन है।
इसलिए, इस लेख में हम हनुमानासन के बारे में जानेंगे। हनुमानासन क्या है, हनुमानासन करने का सही तरीका, हनुमानासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।
हनुमानासन करने का सही तरीका।
हनुमानासन करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर आप दोनों घुटनों के बल बैठें या चाहे तो एक घुटने को ज़मीन पर टेकें और दूसरे पैर को उसके बगल मे रखें।
- अब दोनों हाथों की हथेलियों को शरीर के अगल-बगल की ज़मीन पर रखें।
- अब धीरे-धीरे दोनों पैरों को आगे-पीछे फैलाएँ। हाथों का सहारा लेते हुए। (चित्रनुसार)
- दोनों पैरों को विपरीत दिशा में इतना फैलाएँ कि नितंब, जाँघे व पिंडली ज़मीन को स्पर्श करने लगें (चित्रनुसार)
- (जल्दबाज़ी न करें, चूँकि जाँघों, पिंडलियों एवं गुदाद्वार के पास अधिक खिंचाव लगता है, इस आसन कि क्रिया को पूर्ण करने में नए साधक एवं साधिकायो को कुछ दिन भी लग सकते हैं)
- अब हाथों का सहारा हटाकर छाती के सामने दोनों हाथों से नमस्कार मुद्रा बनाएँ या दूसरा तरीका यह भी है हाथों को सिर के ऊपर ले जाकर नमस्कार मुद्रा बना सकते हैं।
ध्यान।
- इस आसन का अभ्यास करते समय संकट मोचन महाबली हनुमान का ध्यान करें। और उनके चरित्र एवं उनके गुणों को आत्मसात् करें।
श्वास का क्रम।
- इस आसन के अभ्यास के दौरान अंतिम स्थिति में श्वास की गति सामान्य रखें।
समय।
- अंतिम स्थिति में 10-20 सेकंड रुके रहे। और यह 2-3 बार करें।
हनुमानासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
हनुमानासन करने के फायदे
हनुमानासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- लोअर बैक (पीठ के निचले हिस्से), हिप्स और टांगों में खिंचाव होता है। तथा इन में रक्त प्रवाह को तेज करता है।
- पिंडलियों, जाँघों और श्रोणी-स्थान में रक्त संचार की क्रिया को बढ़ाकर स्नायुतंत्र (nerve fibers) को लाभ पहुँचाता है।
- कमर व जांघ की मांसपेशियां फैलती है। और मजबूत बनती है। तथा कूल्हों को लचीला बनाता है।
- यह आसन लिगामेंट्स (स्नायुबंधन) और टेंडोंस (कण्डरा) को बेहतर बनाता है।
- रक्त परिसंचरण (blood circulation) बेहतर करने में मदद करता है।
- काम-विकार को शांत करता है। जननेंद्रिय के रोग दूर करता है।
- दिमाग को शांत रहता है। और स्ट्रेस, डिप्रेशन, एंग्जाइटी से राहत देता है।
- गठिया (Arthritis) रोग को दूर करता है।
सावधानियां।
- अपनी क्षमता से अधिक देर तक या ज़बर्दस्ती न बैठें।
- इस आसन का अभ्यास करने के बाद एकदम से खड़े न हों, सामने पैर फैलाकर बैठ जाएँ।
👉 यह भी पढ़ें
- योग क्या हैं – परिभाषा, अर्थ, प्रकार, महत्व, उद्देश्य और इतिहास।
- खाली पेट पानी पीने के 15 फ़ायदे।
- एक दिन में कितना पानी पीना चाहिए।
सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
हनुमानासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. हनुमानासन करने की विधि?
Ans. हनुमानासन करने की विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर आप दोनों घुटनों के बल बैठें या चाहे तो एक घुटने को ज़मीन पर टेकें और दूसरे पैर को उसके बगल मे रखें।
- अब दोनों हाथों की हथेलियों को शरीर के अगल-बगल की ज़मीन पर रखें।
- अब धीरे-धीरे दोनों पैरों को आगे-पीछे फैलाएँ। हाथों का सहारा लेते हुए। (चित्रनुसार)
- दोनों पैरों को विपरीत दिशा में इतना फैलाएँ कि नितंब, जाँघे व पिंडली ज़मीन को स्पर्श करने लगें (चित्रनुसार)
- (जल्दबाज़ी न करें, चूँकि जाँघों, पिंडलियों एवं गुदाद्वार के पास अधिक खिंचाव लगता है, इस आसन कि क्रिया को पूर्ण करने में नए साधक एवं साधिकायो को कुछ दिन भी लग सकते हैं)
- अब हाथों का सहारा हटाकर छाती के सामने दोनों हाथों से नमस्कार मुद्रा बनाएँ या दूसरा तरीका यह भी है हाथों को सिर के ऊपर ले जाकर नमस्कार मुद्रा बना सकते हैं।
Ques 2. हनुमानासन करने के क्या फायदे है?
Ans. हनुमानासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- लोअर बैक (पीठ के निचले हिस्से), हिप्स और टांगों में खिंचाव होता है। तथा इन में रक्त प्रवाह को तेज करता है।
- पिंडलियों, जाँघों और श्रोणी-स्थान में रक्त संचार की क्रिया को बढ़ाकर स्नायुतंत्र (nerve fibers) को लाभ पहुँचाता है।
- कमर व जांघ की मांसपेशियां फैलती है। और मजबूत बनती है। तथा कूल्हों को लचीला बनाता है।
- यह आसन लिगामेंट्स (स्नायुबंधन) और टेंडोंस (कण्डरा) को बेहतर बनाता है।
- रक्त परिसंचरण (blood circulation) बेहतर करने में मदद करता है।
- काम-विकार को शांत करता है। जननेंद्रिय के रोग दूर करता है।
- दिमाग को शांत रहता है। और स्ट्रेस, डिप्रेशन, एंग्जाइटी से राहत देता है।
- गठिया (Arthritis) रोग को दूर करता है।