हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम हलासन के बारे में जानकारी देंगे।
आज से हजारों साल पूर्व मानव जाति का जीवन शिकार पर आधारित था। मनुष्य शिकार करके अपना पेट पालता था। जब धरती पर कुछ भी नहीं था तब मनुष्य ने शिकार करके अपना जीवन शुरू किया था। लेकिन जब मनुष्य समूह बनाकर कबीलों में रहना शुरू किया और जैसे-जैसे कबीले बड़े हुए, लोगों की संख्या में वृद्धि हुई जिससे भोजन की कमी हुई तो भोजन की कमी को दूर करने के लिए मनुष्य ने खेती करना शुरू किया।
विशेषज्ञों का कहना है की खेती की खोज सर्वप्रथम महिलाओं ने की थी। खेती के कामों को आसान बनाने के लिए बाद में कृषि उपकरणों का अविष्कार भी किया गया। इन उपकरणों के अविष्कार में सबसे बड़ी खोज हल की थी, जो कठोर भूमि को जोतकर मुलायम और बीज बोने योग्य बना सकता था।
भारत के महान योग गुरुओं ने बाद में हल से प्रेरित होकर हलासन नाम से एक योगासन की रचना की। जैसे हल कठोर से कठोर भूमि को मुलायम बना सकता है वैसे ही हलासन भी शरीर में लचीलापन बढ़ाने में काफी उपयोगी है।
इसलिए, इस लेख में हम हलासन के बारे में जानेंगे। हलासन क्या है, हलासन करने का सही तरीका, हलासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।
हलासन का शाब्दिक अर्थ।
- एक संस्कृत भाषा का शब्द हैं। हलासन दो शब्दों से मिलकर बना है हल+आसन जिसमें पहला शब्द “हल” का “खेतों में उपयोग किए जाने वाले एक औज़ार का नाम” और दूसरा शब्द “आसन” जिसका अर्थ होता है “मुद्रा”। अंग्रेजी भाषा में “Plow Pose” भी कहते हैं।
हलासन करने का सही तरीका।
हलासन करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर पीठ के बल या शवासन की स्थिति में लेट जाएँ।
- अब अपने दोनों पैरों को समानांतर उठाये व सर्वांगासन की स्थिति से होते हुए पैरों को पीछे की ओर ले जाएँ।
- और दोनों पैरों के पंजों को पीछे की तरफ ज़मीन से स्पर्श कराएँ। साथ में इस बात का ध्यान रहें कि इस स्थिति में पैरों को लंबवत् ही रखें। पैरों को घुटनों से मोड़कर ज़मीन से स्पर्श न करवाएं। (चित्रानुसार)
- हाथों की स्थिति दो प्रकार से कर सकते हैं।
- पहली स्थिति में दोनों हाथों को ज़मीन पर या नितम्ब के नीचे रखें (चित्रानुसार-1)
- दूसरी स्थिति में अपने हाथों से पैरों के पंजों को स्पर्श करें। (चित्रानुसार-2)
- लगभग 10-15 सेकंड इसी मुद्रा में रूके इसके बाद धीरे-धीरे वापस शवासन की स्थिति में आ जाएँ।
पूर्वोत्तानासन हलासन की स्थिति में जब हाथों को पैरों की तरफ़ ले जाकर हथेलियों से पैरों के पंजों को पकड़ा जाता है। तब कुछ योगाचार्य उस स्थिति को पूर्वोत्तानासन भी कहते हैं | |
अर्ध हलासन यदि पैरों को सिर्फ़ 90° पर उठाते है तो वह अर्ध हलासन कहलाता है। |
ध्यान।
- इस आसन को करते समय अपना ध्यान विशुद्धि चक्र पर केंद्रित करें।
श्वास का क्रम।
- अभ्यास के दौरान पूर्ण अवस्था में जाते समय श्वास अन्दर रोकें।
- पूर्ण अवस्था बन जाने के बाद धीरे-धीरे श्वसन करें।
- मूल अवस्था में वापिस आते समय अंतःकुंभक करें। तत्पश्चात् श्वास छोड़ें। अभ्यास हो जाने पर 5-7 मिनट तक हलासन की स्थिति में ही रहें।
समय।
- शुरुआत में 10-15 सेकंड तक पूर्ण स्थिति में रूके रहे। किन्तु अभ्यास हो जाने पर समय बढ़ा कर 5-7 मिनट तक कर सकते हैं।
हलासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
हलासन करने के फायदे
हलासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे :-
- इस आसन के अभ्यास के दौरान रीढ़ की हड्डी और कंधों को अच्छा खिंचाव मिलता है।
- रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ाता और कमर दर्द को दूर करता है। यौवन प्रदान करता है। रीढ़ की हड्डी एवं कमर को बुढ़ापे तक झुकने नहीं देता है।
- हृदय एवं पीठ को बल प्रदान करता है।
- इसके अभ्यास से पेट के अंगों की मसाज होती है और पाचन तंत्र में सुधार होता है। जठराग्नि को उद्दीप्त करता है एवं भूख को बढ़ाता है।
- क़ब्ज़ की समस्या को दूर करता हैं।
- चेहरे की झुर्रियों को समाप्त कर चेहरे में निखार लाता है।
- रक्त संचार (blood circulation) भली प्रकार से होता है।
- यौन-विकार (sexual dysfunction) का नाश करता है।
- यह आसन सूक्ष्म तंत्रिका तंत्र को सशक्त बनाता है।
- इस आसन से आलस्य दूर हो जाता है। तथा तनाव और थकान दूर करने में मदद करता है। जिससे कार्य करने की क्षमता बढ़ती है।
- थायरॉयड ग्रंथि से जुड़ी समस्याओं को भी खत्म करने में मदद करता है।
- थायराइड में लाभ प्राप्त होता है।
- ग्रीवा सम्बंधी रोगों को दूर करता है।
- गर्भाशय को मजबूती प्रदान करता है।
- मधुमेह के रोगियों को लाभ होता है।
- डायबिटीज के मरीजों के लिए ये बेस्ट आसन है क्योंकि ये शुगर लेवल को कंट्रोल करता है।
- किडनी की कार्यप्रणाली में सुधार लाता है।
- इसके अभ्यास से मन प्रसन्न रहता है। पृष्ठ भाग की पीड़ा को शांत करता है।
- मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है। और वजन घटाने में मदद करता है। एवं छोटी आंत व बड़ी आंत को क्रियाशील बनाता है।
- ये आसन कमर दर्द, बांझपन, साइनोसाइटिस,अनिद्रा(इंसोम्निया) और सिरदर्द के लिए चिकित्सीय अर्थात् इस आसन का निरंतर अभ्यास करने से इन समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
सावधानियां।
- कड़क शरीर वाले या रीढ़ की हड्डी में चोट लगी हो तो इस आसन का अभ्यास किसी योग गुरू कि देख-रेख में करें।
- कटिस्नायुशूल (sciatica), स्लिप डिस्क, हार्निया, अति उच्च रक्तचाप (extremely high blood pressure) वाले रोगी इस आसन का अभ्यास न करें।
हलासन करने के बाद ये आसन करें।
- हलासन का अभ्यास करने के बाद चक्रासन, मत्स्यासन और सुप्त वज्रासन या पीछे झुककर किए जाने वाले आसन अवश्य करें।
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सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
हलासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. हलासन करने की विधि?
Ans. हलासन करने की विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर पीठ के बल या शवासन की स्थिति में लेट जाएँ।
- अब अपने दोनों पैरों को समानांतर उठाये व सर्वांगासन की स्थिति से होते हुए पैरों को पीछे की ओर ले जाएँ।
- और दोनों पैरों के पंजों को पीछे की तरफ ज़मीन से स्पर्श कराएँ। साथ में इस बात का ध्यान रहें कि इस स्थिति में पैरों को लंबवत् ही रखें। पैरों को घुटनों से मोड़कर ज़मीन से स्पर्श न करवाएं। (चित्रानुसार)
- हाथों की स्थिति दो प्रकार से कर सकते हैं।
- पहली स्थिति में दोनों हाथों को ज़मीन पर या नितम्ब के नीचे रखें (चित्रानुसार-1)
- दूसरी स्थिति में अपने हाथों से पैरों के पंजों को स्पर्श करें। (चित्रानुसार-2)
- लगभग 10-15 सेकंड इसी मुद्रा में रूके इसके बाद धीरे-धीरे वापस शवासन की स्थिति में आ जाएँ।
Ques 2. हलासन करने के क्या फायदे है?
Ans. हलासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे
- इस आसन के अभ्यास के दौरान रीढ़ की हड्डी और कंधों को अच्छा खिंचाव मिलता है।
- रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ाता और कमर दर्द को दूर करता है। यौवन प्रदान करता है। रीढ़ की हड्डी एवं कमर को बुढ़ापे तक झुकने नहीं देता है।
- हृदय एवं पीठ को बल प्रदान करता है।
- इसके अभ्यास से पेट के अंगों की मसाज होती है और पाचन तंत्र में सुधार होता है। जठराग्नि को उद्दीप्त करता है एवं भूख को बढ़ाता है।
- क़ब्ज़ की समस्या को दूर करता हैं।
- चेहरे की झुर्रियों को समाप्त कर चेहरे में निखार लाता है।
- रक्त संचार (blood circulation) भली प्रकार से होता है।
- यौन-विकार (sexual dysfunction) का नाश करता है।
- यह आसन सूक्ष्म तंत्रिका तंत्र को सशक्त बनाता है।
- इस आसन से आलस्य दूर हो जाता है। तथा तनाव और थकान दूर करने में मदद करता है। जिससे कार्य करने की क्षमता बढ़ती है।
- थायरॉयड ग्रंथि से जुड़ी समस्याओं को भी खत्म करने में मदद करता है।
- थायराइड में लाभ प्राप्त होता है।
- ग्रीवा सम्बंधी रोगों को दूर करता है।
- गर्भाशय को मजबूती प्रदान करता है।
- मधुमेह के रोगियों को लाभ होता है।
- डायबिटीज के मरीजों के लिए ये बेस्ट आसन है क्योंकि ये शुगर लेवल को कंट्रोल करता है।
- किडनी की कार्यप्रणाली में सुधार लाता है।
- इसके अभ्यास से मन प्रसन्न रहता है। पृष्ठ भाग की पीड़ा को शांत करता है।
- मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है। और वजन घटाने में मदद करता है। एवं छोटी आंत व बड़ी आंत को क्रियाशील बनाता है।
- ये आसन कमर दर्द, बांझपन, साइनोसाइटिस,अनिद्रा(इंसोम्निया) और सिरदर्द के लिए चिकित्सीय अर्थात् इस आसन का निरंतर अभ्यास करने से इन समस्याओं से छुटकारा मिलता है।