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    कर्ण पीड़ासन करने की विधि, फायदे और सावधानियां – Karnapidasana in hindi.1

    कर्ण पीड़ासन
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    हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम कर्ण पीड़ासन  के बारे में जानकारी देंगे। योगाभ्यास के दौरान शरीर को कई बार आध्यात्मिक अनुभव भी होते हैं। ये अनुभव किसी भी इंसान के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। योग आपके जीवन को नई दिशा देता है, योग आपको खुद से मिलाने की ही एक यात्रा है। 

    भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन कर्ण पीड़ासन हैं। 

    इसलिए, इस लेख में हम कर्ण पीड़ासन के बारे में जानेंगे। कर्ण पीड़ासन क्या है, कर्ण पीड़ासन करने का सही तरीका, कर्ण पीड़ासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे। 

    कर्ण पीड़ासन का शाब्दिक अर्थ।

    • कर्ण पीड़ासन एक संस्कृत भाषा का शब्द हैं। कर्ण पीड़ासन तीन शब्दों से मिलकर बना है। कर्ण अर्थात् कान। तथा पीड का अर्थ दबाव डालना होता है। और आसन जिसका अर्थ होता है “मुद्रा”।

    कर्ण पीड़ासन करने का सही तरीका।

    कर्ण पीड़ासन करने की विधि।

    कर्ण पीड़ासन

    कर्ण पीड़ासन

    विधि।

    • सर्वप्रथम अपने आसन पर पीठ के बल लेट जाएँ।
    • अब दोनों हाथों को कमर के अगल-बग़ल में रखें।
    • अब धीरे-धीरे दोनों पैरों को एक साथ ऊपर उठाएँ और हलासन की स्थिति में आ जाएँ। 
    • अब दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए बाएँ कान के पास बायाँ घुटना और दाहिने कान के पास दाहिना घुटना रखें एवं घुटनों से दोनों कानों पर हल्का दबाव डालें।
    • इस स्थिति में दोनों पैरों के पंजे ज़मीन पर टिके रहेंगे। 
    • कर्ण पीड़ासन को दो प्रकार से कर सकते हैं।
    • प्रथम प्रकार :- दोनों हाथों को ज़मीन पर स्पर्श कराकर रखें। (चित्रानुसार-1)
    • द्वितीय प्रकार :- दोनों हाथों को कमर पर सर्वांगासन की तरह रहेंगे। (चित्रानुसार-2)

    ध्यान।

    • इस आसन का अभ्यास करते समय अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर केंद्रित करें।

    श्वास का क्रम।

    • आसन की पुर्ण स्थिति निर्मित करते समय अंतःकुंभक करें।
    • मूल आसन की मुख्य स्थिति में सांस लंबी और गहरी होगी।

    समय।

    • आसन की पुर्ण स्थिति में 10-20 seconds तक रूके रहे। 
    • और इस आसन का अभ्यास 5-6 बार करें।

    कर्ण पीड़ासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

    कर्ण पीड़ासन करने के फायदे।

    कर्ण पीड़ासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • इस आसन के अभ्यास से कंधों, कमर, रीड की हड्डी और कुल्लों में खिंचाव लगता है। जिससे इनकी मांसपेशियां मजबूत एवं लचीली बनती है।
    • इसके अभ्यास से मेरुदंड को लचीला बनाता है। और मेरुदंड से सम्बंधी विकार नष्ट होते हैं।
    • हृदय के लिए लाभप्रद आसान है। हृदय क्षेत्र को आराम मिलता हैं। 
    • पैरों की मांसपेशियों को आराम मिलता है।
    • इस आसान के अभ्यास से समस्त स्नायु संस्थान (Neuro Institute) सशक्त और सुचारु रूप से क्रियाशील होते हैं।
    • कटि क्षेत्र में रक्त संचार सुचारु करता है। अर्थात रक्त का संचार भली प्रकार से होता है।
    • यह आसन पूरे शरीर को सुंदर, सुडौल व पुष्ट बनाता है।

    सावधानियां।

    • इस आसन के अभ्यास के दौरान मेरुदंड पर अधिक खिंचाव लगता हैं अर्थात् ज़ोर पड़ता है अतः सावधानीपूर्वक अभ्यास करें।
    • उच्चरक्तचाप (high blood pressure) एवं हृदय रोगी (heart patient) विवेक पूर्वक इस आसन का अभ्यास करें।

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    सारांश।

    योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक  योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं। 

    कर्ण पीड़ासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

    FAQs

    Ques 1. कर्ण पीड़ासन करने की विधि?

    Ans. कर्ण पीड़ासन करने की विधि।

    • सर्वप्रथम अपने आसन पर पीठ के बल लेट जाएँ।
    • अब दोनों हाथों को कमर के अगल-बग़ल में रखें।
    • अब धीरे-धीरे दोनों पैरों को एक साथ ऊपर उठाएँ और हलासन की स्थिति में आ जाएँ। 
    • अब दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए बाएँ कान के पास बायाँ घुटना और दाहिने कान के पास दाहिना घुटना रखें एवं घुटनों से दोनों कानों पर हल्का दबाव डालें।
    • इस स्थिति में दोनों पैरों के पंजे ज़मीन पर टिके रहेंगे। 
    • कर्ण पीड़ासन को दो प्रकार से कर सकते हैं।
    • प्रथम प्रकार :- दोनों हाथों को ज़मीन पर स्पर्श कराकर रखें।
    • द्वितीय प्रकार :- दोनों हाथों को कमर पर सर्वांगासन की तरह रहेंगे। 

    Ques 2. कर्ण पीड़ासन करने के क्या फायदे  है?

    Ans. कर्ण पीड़ासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • इस आसन के अभ्यास से कंधों, कमर, रीड की हड्डी और कुल्लों में खिंचाव लगता है। जिससे इनकी मांसपेशियां मजबूत एवं लचीली बनती है।
    • इसके अभ्यास से मेरुदंड को लचीला बनाता है। और मेरुदंड से सम्बंधी विकार नष्ट होते हैं।
    • हृदय के लिए लाभप्रद आसान है। हृदय क्षेत्र को आराम मिलता हैं। 
    • पैरों की मांसपेशियों को आराम मिलता है।
    • इस आसान के अभ्यास से समस्त स्नायु संस्थान (Neuro Institute) सशक्त और सुचारु रूप से क्रियाशील होते हैं।
    • कटि क्षेत्र में रक्त संचार सुचारु करता है। अर्थात रक्त का संचार भली प्रकार से होता है।
    • यह आसन पूरे शरीर को सुंदर, सुडौल व पुष्ट बनाता है।

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