हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम स्वास्तिकासन योगासन के बारे में जानकारी देंगे।
योग भारत की प्राचीन विधा है। इतिहास की दृष्टि से यह व्यक्त करना अत्यंत कठिन होगा कि विश्व में योग विद्या का आविर्भाव कब, कैसे और कहाँ से हुआ। यदि हम प्राचीन ग्रंथों पर नज़र डालें तो योग विद्या का उल्लेख वेदों और जैन धर्म के ग्रंथों में मिलता है। अतः कह सकते हैं कि योग विद्या की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने योग को हजारों साल की कठिन तपस्या के बाद निर्मित किया है। आज शरीर और मन की ऐसी कोई भी समस्या नहीं है जिसका हल योग के पास न हो। इस ज्ञान को अब वैज्ञानिक मान्यता भी मिल चुकी है।
आज लोगों का मानना है कि महर्षि पतंजलि ने योग का निरूपण किया जबकि योग के प्रथम गुरु भगवान शिव ही हैं। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग का प्रतिपादन किया जो कि यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान तथा समाधि के रूप में गृहीत है।
योगाभ्यास के दौरान शरीर को कई बार आध्यात्मिक अनुभव भी होते हैं। ये अनुभव किसी भी इंसान के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। योग आपके जीवन को नई दिशा देता है, योग आपको खुद से मिलाने की ही एक यात्रा है।
भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन स्वास्तिकासन हैं।
इसलिए, इस लेख में हम स्वास्तिकासन के बारे में जानेंगे। स्वास्तिकासन क्या है, स्वास्तिकासन करने का सही तरीका, स्वास्तिकासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे। और साथ में हम योग करने के नियम, योग के प्रमुख उद्देश्य और योग का हमारे जीवन में क्या महत्व हैं इसके बारे में भी जानेंगे।
स्वास्तिकासन का शाब्दिक अर्थ।
- स्वास्तिक का शुभ चिह्न (सातिया/卐) होता है सभी जानते हैं। यह चिह्न धार्मिक रूप शुभ माना जाता है। और यह चिह्न आध्यात्मिक व सांसारिक सुखों को देने वाला है।
स्वास्तिकासन करने का सही तरीका।
स्वास्तिकासन करने की विधि।
- यह आसन भी सुखासन के समान ही है।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर सुखासन में बैठ जाए।
- अब अपने दोनों पादतल को दोनों जाँघों के बीच स्थापित करें।
- मेरुदण्ड, गर्दन व सिर सीधा रखें। दृष्टि भ्रुमध्य पर स्थिर करें।
ध्यान।
- आत्म उत्थान के लिए क्रमशः मूलाधार से सहस्रार चक्र तक अर्थात् समस्त चक्रों का ध्यान करें। (मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपूरक चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्धि चक्र, आज्ञा चक्र, सहस्त्रार चक्र)
श्वासक्रम।
- सामान्य।
समय।
- इस योगासन को आप अपनी क्षमता के अनुसार कर सकते हैं
दिशा।
- पूर्व या उत्तर (आध्यात्मिक लाभ हेतु)।
मंत्रोच्चारण।
- इस योगासन को करते समय ॐ का उच्चारण करें।
स्वास्तिकासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
स्वास्तिकासन करने के फायदे
स्वास्तिकासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे
- यह आसन आपको तेजस्वी बनाता है।
- स्वास्तिकासन का अभ्यास करने से एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ती है
- स्वास्तिकासन के प्रतिदिन अभ्यास से नेत्र ज्योति तीव्र होती है।
- स्वास्तिकासन में सकारात्मक ध्यान करने से संपूर्ण शरीर के विकार नष्ट होते हैं।
- स्वास्तिकासन का अभ्यास करने से दिमाग और मन शांत होता हैं। तथा शारीरिक व मानसिक तनाव दूर करता है। यह आसन शारीरिक स्फूर्ति, मन की शांति और शरीर को निरोगी रखने में लाभप्रद है।
- इस आसन के अभ्यास से पैरों व पैरों की मांसपेशियों में दर्द और तंत्रिका तंत्र (Nervous system) से सम्बंधित सभी व्याधियां दूर होती हैं।
- स्वास्तिकासन का अभ्यास करते समय रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी और अपने स्वाभाविक आकार में होती है जिससे रीढ़ की हड्डी के आसपास की मांसपेशियां मजबूत बनती, और पीठ सीधी रहती है। और रीढ़ की हड्डी से सम्बंधित समस्याएं व कूबड़ जैसी समस्या होने का खतरा कम हो जाता है।
- इसके नियमित अभ्यास से छाती (chest) और कॉलर की हड्डियाँ (collar bones) चौड़ी हो जाती जहैं।
- स्वास्तिकासन का प्रतिदिन अभ्यास करने से प्रतिरक्षा प्रणाली (Defence system) मजबूत बनती है। और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है, जिससे संक्रमण रोग व अन्य रोग विकसित होने का खतरा कम हो जाता है।
- योग शास्त्र के अनुसार मनुष्य के शरीर में 7 मुख्य चक्र हैं जिनका नाम- मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्ध चक्र, आज्ञा चक्र, सहस्त्रार चक्र है। जिनको स्वस्तिकासन के द्वारा मूलाधार चक्र व आज्ञा चक्र को सक्रिय किया जा सकता है लेकिन यह लाभ तब प्राप्त होता है जब आप इस आसन का अभ्यास लंबी अवधि के लिए किया जाता है।
- स्वास्तिकासन के अभ्यास से थकान (Tiredness), तनाव (stress), चिंता (anxiety) और अवसाद (depression) को दूर करने में मदद मिलती है।
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योगाभ्यास के दौरान विशेष बातें का ध्यान रखें।
- योगासन पूर्णतः विवेक का उपयोग करते हुए ही करें।
- योगासन करते समय पूर्ण विश्वास, धैर्य और सकारात्मक विचार रखें।
- योगासन करते समय मन में ईर्ष्या, क्रोध, जलन, द्वेष एवं खिन्नता का भाव ना रखें।
- नशीले पदार्थों का सेवन ना करें एवं गंदी मानसिकता न रखें।
- किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें।
- गरिष्ठ भोजन, माँसाहार, अत्यधिक वासना एवं देर रात तक जागने जैसी आदतों का त्याग करें।
योग के नियम
अगर आप इन कुछ सरल नियमों का पालन करेंगे, तो अवश्य ही आपको योग अभ्यास का पूरा लाभ मिलेगा।
- किसी गुरु के निर्देशन में योग अभ्यास आरम्भ करें।
- सूर्योदय या सूर्यास्त का वक़्त योग का सही समय है।
- योग करने से पहले स्नान ज़रूर करें।
- योग खाली पेट करें और योग करने के 2 घंटे पहले कुछ ना खायें।
- योग आरामदायक सूती कपड़े पहन के करे
- तन की तरह मन भी स्वच्छ होना चाहिए योग करने से पहले सब बुरे ख़याल दिमाग़ से निकाल दें।
- किसी शांत वातावरण और साफ जगह में योग अभ्यास करें।
- अपना पूरा ध्यान अपने योग अभ्यास पर ही केंद्रित रखें।
- योग अभ्यास धैर्य और दृढ़ता से करें।
- अपने शरीर के साथ जबरदस्ती बिल्कुल ना करें।
- धीरज रखें। योग के लाभ महसूस होने मे वक़्त लगता है।
- निरंतर योग अभ्यास जारी रखें।
- योग करने के 30 मिनिट बाद तक कुछ ना खायें। 1 घंटे तक न नहायें।
- प्राणायाम हमेशा आसन अभ्यास करने के बाद करें।
- अगर कोई मेडिकल तकलीफ़ हो तो पहले डॉक्टर से ज़रूर सलाह करें।
- अगर तकलीफ़ बढ़ने लगे या कोई नई तकलीफ़ हो जाए तो तुरंत योग अभ्यास रोक दें।
- योगाभ्यास के अंत में हमेशा शवासन करें।
योग के प्रमुख उद्देश्य
योग के उद्देश्य
- तनाव से मुक्त जीवन
- मानसिक शक्ति का विकास करना
- प्रकृति के विपरीत जीवन शैली में सुधार करना
- निरोगी काया
- रचनात्मकता का विकास करना
- मानसिक शांति प्राप्त करना
- सहनशीलता में वृद्धि करना
- नशा मुक्त जीवन
- वृहद सोच
- उत्तम शारीरिक क्षमता का विकास करना
योग के लाभ/महत्व
- रोज सुबह उठकर योग का अभ्यास करने से अनेक फायदे हैं योग मन, मस्तिष्क, ध्यान और शरीर के सभी अंगो का एक संतुलित वर्कआउट है जो आपके सोच-विचार करने की शक्ति व मस्तिष्क के कार्यों को बढ़ाता है तनाव को कम करता है।
- योग मन को अनुशासित करता है।
- जहां जीम व एक्सरसाइज आदि से शरीर के किसी विशेष अंग का विकास या व्यायाम हो पाता है वही योग करने से शरीर के समस्त अंगों का, ज्ञानेंद्रियों, इंद्रियों, ग्रंथियों का विकास और व्यायाम होता है जिससे शरीर के समस्त अंग सुचारू रूप से कार्य करते हैं।
- प्रतिदिन योग करने से शरीर निरोगी बनता है।
- योग का प्रयोग शारीरिक,मानसिक,बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास के लिए हमेशा से होता आ रहा है आज की चिकित्सा शोधों व डॉक्टरों ने यह साबित कर दिया है कि YOGA शारीरिक और मानसिक रूप से मानव जाति के लिए वरदान है।
- योग एकाग्रता को बढ़ाता है। प्रतिदिन योग करने से हमारी अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रता बढ़ती है।
- प्रतिदिन योगासन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है शरीर स्वस्थ, निरोगी और बलवान बनता है।
- योग के द्वारा आंतरिक शक्ति का विकास होता है।
- योग से ब्लड शुगर का लेवल स्थिर रहता है। ब्लड शुगर घटने व बढने की समस्या नहीं होती है।
- योग कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है।
- योग ज्ञानेंद्रियों, इंद्रियों को जागृत करता है।
- योग डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद है।
- योगासनों के नित्य अभ्यास से शरीर की सभी मांसपेशियों का अच्छा विकास व व्यायाम होता है जिससे तनाव दूर होता है
- अच्छी नींद आती है भूख अच्छी लगती है पाचन तंत्र सही रहता है।
- योगासनों के नित्य अभ्यास से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बहुत सी स्टडीज में साबित यह हो चुका है कि अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर व डायबिटीज के मरीज योग द्वारा पूर्ण रूप से स्वस्थ होते हैं।
- कुछ योगासनों और मेडिटेशन के द्वारा अर्थराइटिस, कमर में दर्द, घुटनों में दर्द जोड़ों में दर्द आदि दर्द मे काफी सुधार होता है। गोली-दवाइयों की आवश्यकता कम हो जाती है।
- योग बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद है। योगासनों के नित्य अभ्यास से बच्चों में मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक शक्ति का विकास होता है। जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर है वह भी मेडिटेशन के द्वारा पढ़ाई में सर्वश्रेष्ठ हो सकते है अपनी एकाग्रता में सुधार कर सकते है।
सारांश
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
स्वास्तिकासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQ
Ques 1. स्वस्तिकासन करने के क्या फायदे है?
Ans. स्वस्तिकासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे
- यह आसन आपको तेजस्वी बनाता है।
- स्वास्तिकासन का अभ्यास करने से एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ती है
- स्वास्तिकासन के प्रतिदिन अभ्यास से नेत्र ज्योति तीव्र होती है।
- स्वास्तिकासन में सकारात्मक ध्यान करने से संपूर्ण शरीर के विकार नष्ट होते हैं।
- स्वास्तिकासन का अभ्यास करने से दिमाग और मन शांत होता हैं। तथा शारीरिक व मानसिक तनाव दूर करता है। यह आसन शारीरिक स्फूर्ति, मन की शांति और शरीर को निरोगी रखने में लाभप्रद है।
- इस आसन के अभ्यास से पैरों व पैरों की मांसपेशियों में दर्द और तंत्रिका तंत्र (Nervous system) से सम्बंधित सभी व्याधियां दूर होती हैं।
- स्वास्तिकासन का अभ्यास करते समय रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी और अपने स्वाभाविक आकार में होती है जिससे रीढ़ की हड्डी के आसपास की मांसपेशियां मजबूत बनती, और पीठ सीधी रहती है। और रीढ़ की हड्डी से सम्बंधित समस्याएं व कूबड़ जैसी समस्या होने का खतरा कम हो जाता है।
- इसके नियमित अभ्यास से छाती (chest) और कॉलर की हड्डियाँ (collar bones) चौड़ी हो जाती जहैं।
- स्वास्तिकासन का प्रतिदिन अभ्यास करने से प्रतिरक्षा प्रणाली (Defence system) मजबूत बनती है। और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है, जिससे संक्रमण रोग व अन्य रोग विकसित होने का खतरा कम हो जाता है।
- योग शास्त्र के अनुसार मनुष्य के शरीर में 7 मुख्य चक्र हैं जिनका नाम- मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्ध चक्र, आज्ञा चक्र, सहस्त्रार चक्र है। जिनको स्वस्तिकासन के द्वारा मूलाधार चक्र व आज्ञा चक्र को सक्रिय किया जा सकता है लेकिन यह लाभ तब प्राप्त होता है जब आप इस आसन का अभ्यास लंबी अवधि के लिए किया जाता है।
- स्वास्तिकासन के अभ्यास से थकान (Tiredness), तनाव (stress), चिंता (anxiety) और अवसाद (depression) को दूर करने में मदद मिलती है।