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    तिर्यक् भुजंगासन करने की विधि, फायदे और सावधानियां। 1

    Byashwanisihag986

    Jan 13, 2024
    तिर्यक् भुजंगासन
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    भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन तिर्यक् भुजंगासन हैं। 

    इसलिए, इस लेख में हम  तिर्यक् भुजंगासन के बारे में जानेंगे। तिर्यक् भुजंगासन क्या है, तिर्यक् भुजंगासन करने का सही तरीका, तिर्यक् भुजंगासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे। 

    तिर्यक् भुजंगासन करने का सही तरीका।

    तिर्यक् भुजंगासन करने की विधि।

    तिर्यक् भुजंगासन

    विधि।

    • सर्वप्रथम पेट के बल अपने आसन पर लेट जाएँ। 
    • पैरों को तानकर रखें एवं तलवे ऊपर आसमान की तरफ हों। 
    • अब दोनों हाथों के सहारे सिर व धड़ को ऊपर उठाना है। 
    • अब हथेलियों को ज़मीन पर टिकाकर सिर और घड़ को धनुषाकार रूप में धीरे-धीरे ऊपर उठाएं।
    • अब सिर एवं धड़ को पहले दाहिनी दिशा में घुमाते हुए बाएँ पैर की एड़ी को देखना है।
    • अब यही क्रम विपरीत दिशा से करें।
    • इस प्रकार दोनों तरफ़ से यह क्रिया 5-5 बार दोहराएँ।
    • श्वास प्रश्वास के प्रति सजग रहें।
    • यह शंख-प्रक्षालन के लिए प्रयुक्त होने वाली एक क्रिया है।

    ध्यान।

    • इस आसन को करते समय अपना ध्यान स्वाधिष्ठान चक्र पर करें।

    श्वास का क्रम।

    • दोनों हाथों के सहारे ऊपर उठते समय श्वास लें।
    • दोनों तरफ़ मुड़ते  समय श्वास रोकें। और पुनः मूल स्थिति में आते समय श्वास छोड़ें।

    समय।

    • सामान्य अभ्यास के दौरान यह क्रिया 5-5 बार दोहराएँ। और शंख-प्रक्षालन के समय इसकी 10-10 आवृत्ति करें।

    तिर्यक् भुजंगासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

    तिर्यक् भुजंगासन करने के फायदे।

    तिर्यक् भुजंगासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • मेरुदंड की जटिलता दूर होती है। क्रमशः धीरे-धीरे इसके अभ्यास से मेरुदंड के जटिल रोगों का क्षय होता है।
    • पाचन तंत्र में सुधार होता है। तथा इसके अभ्यास से पाचन तंत्र के आंतरिक अंगों की अच्छी मालिश होती है।
    • तिर्यक् भुजंगासन के अभ्यास से भुजंगासन के समस्त लाभ मिलते हैं।
    • शंख-प्रक्षालन के लिए करने पर उदर को विशेष लाभ मिलता है।

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    सारांश।

    योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक  योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं। 

    तिर्यक् भुजंगासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

     

    FAQs 

     

    Ques 1. तिर्यक् भुजंगासन करने की विधि?

    Ans. इस आसन को करने की विधि।

    • सर्वप्रथम पेट के बल अपने आसन पर लेट जाएँ। 
    • पैरों को तानकर रखें एवं तलवे ऊपर आसमान की तरफ हों। 
    • अब दोनों हाथों के सहारे सिर व धड़ को ऊपर उठाना है। 
    • अब हथेलियों को ज़मीन पर टिकाकर सिर और घड़ को धनुषाकार रूप में धीरे-धीरे ऊपर उठाएं।
    • अब सिर एवं धड़ को पहले दाहिनी दिशा में घुमाते हुए बाएँ पैर की एड़ी को देखना है।
    • अब यही क्रम विपरीत दिशा से करें।
    • इस प्रकार दोनों तरफ़ से यह क्रिया 5-5 बार दोहराएँ।
    • श्वास प्रश्वास के प्रति सजग रहें।
    • यह शंख-प्रक्षालन के लिए प्रयुक्त होने वाली एक क्रिया है।

     

    Ques 2. तिर्यक् भुजंगासन करने के क्या फायदे  है?

    Ans.इस आसन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • मेरुदंड की जटिलता दूर होती है। क्रमशः धीरे-धीरे इसके अभ्यास से मेरुदंड के जटिल रोगों का क्षय होता है।
    • पाचन तंत्र में सुधार होता है। तथा इसके अभ्यास से पाचन तंत्र के आंतरिक अंगों की अच्छी मालिश होती है।
    • तिर्यक् भुजंगासन के अभ्यास से भुजंगासन के समस्त लाभ मिलते हैं।
    • शंख-प्रक्षालन के लिए करने पर उदर को विशेष लाभ मिलता है।

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