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    पूर्वोत्तानासन करने की विधि, फायदे और सावधानियां – Purvottanasana in hindi.1

    पूर्वोत्तानासन
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    भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन पूर्वोत्तानासन हैं। 

    इसलिए, इस लेख में हम पूर्वोत्तानासन के बारे में जानेंगे। पूर्वोत्तानासन क्या है, पूर्वोत्तानासन करने का सही तरीका, पूर्वोत्तानासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे। 

    पूर्वोत्तानासन करने का सही तरीका।

    पूर्वोत्तानासन करने की विधि।

    पूर्वोत्तानासन

    विधि।

    • सर्वप्रथम अपने आसन पर दोनों पैरों को सामने की तरफ़ फैलाकर बैठ जाएँ। 
    • अब बाएँ हाथ के पंजे को बाएँ नितंब और दाहिने हाथ के पंजे को दाहिने नितंब से कुछ दूर, पीछे की तरफ़ अँगुलियों को करते हुए हथेलियों को जमीन पर स्थित करें। (चित्रानुसार)
    • अब दोनों हाथों पर वज़न देते हुए, नितंब सहित पूरे शरीर को उठाते हुए तानें। तथा पैरों के तलवों को ज़मीन से स्पर्श कराने की कोशिश करें। (चित्रानुसार)
    • ऊपर उठते समय हाथ एवं पैर तने हुए होना चाहिए। कुछ योगाचार्य इसको कोणासन भी कहते है।
    • सिर को पीछे की तरफ़ झुका दें। (चित्रानुसार)
    • अब अपनी क्षमता अनुसार इस मुद्रा में रुकें रहे, 
    • अब वापस मूल अवस्था में आएँ। यह 1 चक्र पूरा हुआ।
    • इस प्रकार 10 से 12 चक्र पूरा करें। 
    • बैठी अवस्था में श्वास लें। ऊपर उठते समय श्वास रोकें और वापस मूल अवस्था में आते समय श्वास छोड़ें।

    ध्यान।

    • इस आसन को करते समय अपना ध्यान मणिपूरक चक्र पर केंद्रित करें।

    श्वास का क्रम/समय।

    • श्वास का क्रम और समय ऊपर विधि में बताया गया है।

    पूर्वोत्तानासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

    पूर्वोत्तानासन करने के फायदे।

    पूर्वोत्तानासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • पूरे शरीर को मज़बूती प्रदान करता है।
    • हाथ के पंजे, कलाइयां, कोहनिया, बाहे और कंधे मज़बूत होते हैं। मणिबंध, भुजाएँ मज़बूत होती हैं।
    • कटि प्रदेश (belt region) एवं मेरुदण्ड को लाभ पहुँचता है।
    • यह आसन उदर क्षेत्र में स्थित अनावश्यक चर्बी को कम करता है।
    • उच्च रक्त चाप (high blood pressure) एवं हृदयरोगी (heart patient) इस आसन को क्रमशः अभ्यास में लाएँ।

     

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    सारांश।

    योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक  योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं। 

    पूर्वोत्तानासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

     

    FAQs

     

    Ques 1. पूर्वोत्तानासन करने की विधि?

    Ans. पूर्वोत्तानासन करने की विधि।

    • सर्वप्रथम अपने आसन पर दोनों पैरों को सामने की तरफ़ फैलाकर बैठ जाएँ। 
    • अब बाएँ हाथ के पंजे को बाएँ नितंब और दाहिने हाथ के पंजे को दाहिने नितंब से कुछ दूर, पीछे की तरफ़ अँगुलियों को करते हुए हथेलियों को जमीन पर स्थित करें। (चित्रानुसार)
    • अब दोनों हाथों पर वज़न देते हुए, नितंब सहित पूरे शरीर को उठाते हुए तानें। तथा पैरों के तलवों को ज़मीन से स्पर्श कराने की कोशिश करें। (चित्रानुसार)
    • ऊपर उठते समय हाथ एवं पैर तने हुए होना चाहिए। कुछ योगाचार्य इसको कोणासन भी कहते है।
    • सिर को पीछे की तरफ़ झुका दें। (चित्रानुसार)
    • अब अपनी क्षमता अनुसार इस मुद्रा में रुकें रहे, 
    • अब वापस मूल अवस्था में आएँ। यह 1 चक्र पूरा हुआ।
    • इस प्रकार 10 से 12 चक्र पूरा करें। 
    • बैठी अवस्था में श्वास लें। ऊपर उठते समय श्वास रोकें और वापस मूल अवस्था में आते समय श्वास छोड़ें।

     

    Ques 2. पूर्वोत्तानासन करने के क्या फायदे  है?

    Ans. पूर्वोत्तानासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • पूरे शरीर को मज़बूती प्रदान करता है।
    • हाथ के पंजे, कलाइयां, कोहनिया, बाहे और कंधे मज़बूत होते हैं। मणिबंध, भुजाएँ मज़बूत होती हैं।
    • कटि प्रदेश (belt region) एवं मेरुदण्ड को लाभ पहुँचता है।
    • यह आसन उदर क्षेत्र में स्थित अनावश्यक चर्बी को कम करता है।
    • उच्च रक्त चाप (high blood pressure) एवं हृदयरोगी (heart patient) इस आसन को क्रमशः अभ्यास में लाएँ।

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