हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस लेख में हम शीतली प्राणायाम पर चर्चा करेंगे।
शीतली प्राणायाम के रोजाना अभ्यास से शरीर के साथ-साथ मन भी शांत होता है। शीतली प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए, जिव्हा को घुमाया जाता है। और फिर जीव्हा के माध्यम से श्वास को अंदर खींचा जाता है। शीतली प्राणायाम कई अन्य प्रकार के प्राणायामों से भिन्न है। जिनका मुख्य शरीर के तापमान को कम करना है। जिससे हमारे तंत्रिका तंत्र और अंतःस्रावी ग्रंथियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस प्राणायाम का अभ्यास करने से व्यक्ति युवा और आकर्षक बनता है और इसके प्रतिदिन अभ्यास से आप प्यास और भूख पर नियंत्रण पा सकते हैं।
इस लेख में शीतली प्राणायाम के आसन को करने का तरीका और इस आसन के अभ्यास से होने वाले फायदों के बारे में बताया गया है। साथ में यह भी बताया गया है कि शीतली प्राणायाम करने के दौरान क्या सावधानी बरतें।
शीतली प्राणायाम का शाब्दिक अर्थ।
- इस प्राणायाम से शरीर का तापमान कम किया जा सकता है। इस कारण इसका नाम शीतली प्राणायाम है। यह एक योगिक श्वास व्यायाम है जो मन को शांत करने और शरीर को ठंडा करने के लिए किया जाता है। शीतली प्राणायाम में “शीतली” शब्द का अर्थ है “ठंडा करने वाला” या “सुखदायक”। “प्राण” जिसका अर्थ है “जीवन शक्ति” और “अयामा” जिसका अर्थ होता है “विस्तार”। शीतली शब्द मूल रूप से ‘शीतल’ शब्द से बना है जिसका अर्थ है ठंडा या सुखदायक।
शीतली प्राणायाम करने का सही तरीका।
शीतली प्राणायाम करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम सिद्धासन या पद्मासन में बैठ जाएं।
- सिर, ग्रीवा और मेरुदण्ड एक सीध में रखें।
- अब जीभ को मुंह से बाहर निकालें और उसे इस तरह मोड़ें कि वह एक ट्यूब की तरह दिखे। (चित्रानुसार)
- अब इसी स्थिति में पूरक करें अर्थात् धीरे-धीरे श्वास लेते हुए फेफड़ों को भरें।
- अब जीभ को वापस अंदर डालें एवं मुंह बंद करे।
- अब सिर को नीचे झुकाकर जालंधर बंध लगाएं। और मूल बंध के बिना या मूल बंध के साथ 5-7 सेकण्ड तक अंतःकुंभक करें।
- अब बंध हटाएँ और रेचक (रेचक क्रिया नासिका द्वार से ही करें।) करें। यह एक चक्र पूरा हुआ।
- इस आसन को 5-10 मिनिट तक दोहराएँ।
शीतली प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
शीतली प्राणायाम करने के फायदे।
शीतली प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- यह आसन शरीर के तापमान को कम करता है। जिससे हमारे तंत्रिका तंत्र और अंतःस्रावी ग्रंथियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- यह प्राणायाम शरीर के साथ-साथ मन को भी शान्त एवं प्रसन्न करता है।
- पित्त दोष को दूर करता है।
- यकृत और प्लीहा को सक्रिय बनाता है।
- इसके प्रतिदिन अभ्यास से आप प्यास और भूख पर नियंत्रण पा सकते हैं। यह प्यास बुझाता है।
- उच्च रक्तचाप (high blood pressure) को कम करता है।
- रक्त को शुद्ध करता है।
सावधानियां।
- निम्न रक्तचाप (low blood pressure), पुरानी क़ब्ज़ (chronic constipation) एवं अधिक कफ के रोगी इसे न करें।
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सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
शीतली प्राणायाम, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. शीतली प्राणायाम करने की विधि?
Ans. शीतली प्राणायाम करने की विधि।
- सर्वप्रथम सिद्धासन या पद्मासन में बैठ जाएं।
- सिर, ग्रीवा और मेरुदण्ड एक सीध में रखें।
- अब जीभ को मुंह से बाहर निकालें और उसे इस तरह मोड़ें कि वह एक ट्यूब की तरह दिखे। (चित्रानुसार)
- अब इसी स्थिति में पूरक करें अर्थात् धीरे-धीरे श्वास लेते हुए फेफड़ों को भरें।
- अब जीभ को वापस अंदर डालें एवं मुंह बंद करे।
- अब सिर को नीचे झुकाकर जालंधर बंध लगाएं। और मूल बंध के बिना या मूल बंध के साथ 5-7 सेकण्ड तक अंतःकुंभक करें।
- अब बंध हटाएँ और रेचक (रेचक क्रिया नासिका द्वार से ही करें।) करें। यह एक चक्र पूरा हुआ।
- इस आसन को 5-10 मिनिट तक दोहराएँ।
Ques 2. शीतली प्राणायाम करने के क्या फायदे है?
Ans. शीतली प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- यह आसन शरीर के तापमान को कम करता है। जिससे हमारे तंत्रिका तंत्र और अंतःस्रावी ग्रंथियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- यह प्राणायाम शरीर के साथ-साथ मन को भी शान्त एवं प्रसन्न करता है।
- पित्त दोष को दूर करता है।
- यकृत और प्लीहा को सक्रिय बनाता है।
- इसके प्रतिदिन अभ्यास से आप प्यास और भूख पर नियंत्रण पा सकते हैं। यह प्यास बुझाता है।
- उच्च रक्तचाप (high blood pressure) को कम करता है।
- रक्त को शुद्ध करता है।
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