• Sat. Oct 5th, 2024

    INDIA TODAY ONE

    Knowledge

    उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन करने की विधि, फायदे और सावधानियां। 1

    उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन
    WhatsApp Group Join Now
    Telegram Group Join Now

    वर्तमान समय में सबसे ज्यादा जरूरी है खुद के स्वास्थ्य के लिए समय निकालना और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाना। इसके लिए योग से बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता। भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन हैं। 

    इसलिए, इस लेख में हम  उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन के बारे में जानेंगे। उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन क्या है, उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन करने का सही तरीका, उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।

    उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन का शाब्दिक अर्थ।

    • उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन यह संस्कृत भाषा का शब्द हैं। उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन चार शब्दों से मिलकर बना है। उत्थित+हस्त+पद और अंगुष्ठ। जिसमें “उत्थित” अर्थात् ‘उठा हुआ’, “हस्त” अर्थात् ‘हाथ’, “पद” यानी ‘पैर’ और “अंगुष्ठ” यानी ‘पैर का अंगूठा’ होता है।

    उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन करने का सही तरीका।

    उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन करने की विधि।

    उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन

    विधि।

    • सर्वप्रथम आप अपने आसन पर शांतचित्त व प्रसन्न मन के साथ अपने दोनों पैरों को एक साथ मिलाकर सावधान की स्थिति में खड़े हो जाएं। 
    • अब दाहिने घुटने को मोड़कर दाहिने हाथ से दाहिने पैर के अंगूठे को पकड़ें। 
    • इस प्रकार अंगूठे को पकड़ने के पश्चात पैर को धीरे-धीरे सीधा करें, 
    • अब पैर को तानते हुए ऊपर की तरफ़ ले जाएँ। 
    • बाएँ हाथ को कमर पर रखें या हाथ को सामने या बगल की तरफ़ ऊपर उठाएँ।
    • अपनी क्षमता अनुसार  या 5-10 सेकण्ड तक इसी मुद्रा में रुकें।
    • अब अपनी मूल स्थिति में आ जाएँ।
    • अब यही क्रिया पैर बदलकर दूसरे पैर से करें।

    श्वास का क्रम।

    • इस आसन में पैर उठाते समय श्वास लें।  
    • पुर्ण स्थिति में अंतःकुंभक करें।
    • पैर को नीचे लाते समय श्वास छोड़ें।

    समय।

    • अपनी क्षमता अनुसार  या 5-10 सेकण्ड तक इसी मुद्रा में रुकें। और दोनों पैर से 5-5 करें।

    उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

    उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन करने के फायदे।

     

    उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन

    उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • पैरो, टखनों और घुटनों की मांसपेशियों में खिंचाव लगता हैं। जिसके परिणाम स्वरूप यह मांसपेशियां लचीली व स्वस्थ बनती है। पैरों की मांसपेशियाँ एवं नितम्ब के जोड़ मज़बूत होते हैं।
    • इस आसन का अभ्यास करते समय जिस पैर पर आप खड़े होते है, उस पेर की मांसपेशिया खासतौर पर मजबूती बनाती है। 
    • अभ्यास के दौरान जिस पैर को आप उठाते हैं, उस टाँग की हॅम्स्ट्रिंग और कूल्हे की मांसपेशियों में खिंचाव लगता हैं। जिसके परिणाम स्वरूप यह मांसपेशियां लचीली, स्वस्थ व मजबूत बनती है।
    • हैमस्ट्रिंग मांसपेशि :-  हैमस्ट्रिंग मांसपेशी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी है,जो दौड़ने की क्रिया में शरीर की मदद करती है। खिलाड़ियों के लगातार दौड़ते रहने से इस मांसपेशी में खासा दबाव महसूस होता है।
    • इस योगासन के अभ्यास से शारीरिक संतुलन (physical balance) में सुधार होता है। शरीर और मन दोनों का नियंत्रण होता है।

    सावधानियां।

    • कटिस्नायुशूल (sciatica) और कमर रोग से अधिक पीड़ित व्यक्ति इस आसन का अभ्यास न करें।

    कटिस्नायुशूल (sciatica) :- sciatic nerve आपकी रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर आपके कूल्हों से लेकर पैरों तक जाती है। यह मानव शरीर की सबसे महत्वपूर्ण तंत्रिकाओं में से एक है। आमतौर पर यह दर्द लोगों को 30 साल के बाद ही होता है। sciatic nerve में हुई समस्या से जूझ रहे मरीजों को कमर दर्द, पैरों में सुन्नापन आना या दर्द का अनुभव होना आदि।साइटिका को कटिस्नायुशूल के नाम से भी जाना जाता है।

     

    👉 यह भी पढ़ें

    सारांश

    योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
    उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

    FAQs 

     

    Ques 1. उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन करने के क्या फायदे  है?
    Ans. उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • पैरो, टखनों और घुटनों की मांसपेशियों में खिंचाव लगता हैं। जिसके परिणाम स्वरूप यह मांसपेशियां लचीली व स्वस्थ बनती है। पैरों की मांसपेशियाँ एवं नितम्ब के जोड़ मज़बूत होते हैं।
    • इस आसन का अभ्यास करते समय जिस पैर पर आप खड़े होते है, उस पेर की मांसपेशिया खासतौर पर मजबूती बनाती है। 
    • अभ्यास के दौरान जिस पैर को आप उठाते हैं, उस टाँग की हॅम्स्ट्रिंग और कूल्हे की मांसपेशियों में खिंचाव लगता हैं। जिसके परिणाम स्वरूप यह मांसपेशियां लचीली, स्वस्थ व मजबूत बनती है।
    • हैमस्ट्रिंग मांसपेशि :-  हैमस्ट्रिंग मांसपेशी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी है,जो दौड़ने की क्रिया में शरीर की मदद करती है। खिलाड़ियों के लगातार दौड़ते रहने से इस मांसपेशी में खासा दबाव महसूस होता है।
    • इस योगासन के अभ्यास से शारीरिक संतुलन (physical balance) में सुधार होता है। शरीर और मन दोनों का नियंत्रण होता है।

    Ques 2. उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन करने की विधि?

    Ans. उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन करने की विधि।

    • सर्वप्रथम आप अपने आसन पर शांतचित्त व प्रसन्न मन के साथ अपने दोनों पैरों को एक साथ मिलाकर सावधान की स्थिति में खड़े हो जाएं। 
    • अब दाहिने घुटने को मोड़कर दाहिने हाथ से दाहिने पैर के अंगूठे को पकड़ें। 
    • इस प्रकार अंगूठे को पकड़ने के पश्चात पैर को धीरे-धीरे सीधा करें, 
    • अब पैर को तानते हुए ऊपर की तरफ़ ले जाएँ। 
    • बाएँ हाथ को कमर पर रखें या हाथ को सामने या बगल की तरफ़ ऊपर उठाएँ।
    • अपनी क्षमता अनुसार  या 5-10 सेकण्ड तक इसी मुद्रा में रुकें।
    • अब अपनी मूल स्थिति में आ जाएँ।
    • अब यही क्रिया पैर बदलकर दूसरे पैर से करें।

     

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    error: Content is protected !!

    Discover more from INDIA TODAY ONE

    Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

    Continue reading