हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम बद्ध कोणासन के बारे में जानकारी देंगे।
भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन बद्ध कोणासन हैं।
यह आगे की तरह झुककर किए जाने वाले आसनों में से एक है। ग्रंथों का कहना है। कि बद्ध कोणासन अनेक बीमारियों को ख़त्म करता है। इस योग मुद्रा के अभ्यास से हिप्स, जांघों, कमर और घुटनों में खींचव लगता है। जिससे जांघों और हिप्स की Flexibility (लचीलापन) बढ़ती है। यह पेट के अंगों, अंडाशय और प्रोस्टेट ग्रंथि, मूत्राशय, किडनी को उत्तेजित करता है। किडनी, जननांग और मूत्राशय को निरोगी बनाता है। पुरुष-रोग और स्त्रियों के लिए यह बहुत ही लाभकारी आसन है।
इसलिए, इस लेख में हम बद्ध कोणासन के बारे में जानेंगे। बद्ध कोणासन क्या है, बद्ध कोणासन करने का सही तरीका, बद्ध कोणासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।
बद्ध कोणासन का शाब्दिक अर्थ।
- बद्ध कोणासन एक संस्कृत भाषा का शब्द हैं। बद्ध कोणासन तीन शब्दों से मिलकर बना है। बद्ध+कोण+आसन जिसमें बद्ध का मतलब बँधा हुआ और कोण कर अर्थ कोना या अँग्रेज़ी में जिसे “angle” कहते हैं। और “आसन” जिसका अर्थ होता है “मुद्रा”।
बद्ध कोणासन करने का सही तरीका।
बद्ध कोणासन करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम सामने की तरफ़ अपने आसन पर दोनों पैरों को फैलाकर बैठ जाएँ।
- अब धीरे-धीरे दोनों पैरों के घुटनों को मोड़ते हुए अपने दोनों पैरों के पंजों को आपस में मिलाते हुए एड़ियों को गुप्तांग के पास मूलाधार से लगाएँ।
- अब अपनी जाँघों और घुटनों को ज़मीन से स्पर्श कराएँ।
- अभ्यास के दौरान मेरुदंड को एक दम सीधा तना हुआ रखें, दृष्टि सामने कि और एवं अपने दोनों हाथों से दोनों पैरों के पंजों को पकड़ते हुए स्थिर रहें।
- अब श्वास छोड़ें और अपनी नाक को ज़मीन से स्पर्श कराने के लिए आगे झुकें। ठुड्डी भी स्पर्श करें।
- अब सामने रूप से श्वास-प्रश्वास करें एवं 10-20 sec. तक इस मुद्रा में रुकें।
- अब श्वास लें और वापस झुकने से पहले की स्थिति में पहुँचें।
श्वास का क्रम/समय।
- श्वास का क्रम और समय ऊपर विधि में बताया गया है।
बद्ध कोणासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
बद्ध कोणासन आसन करने के फायदे।
बद्ध कोणासन के नियमित अभ्यास करने के फायदे :-
- इस आसन के अभ्यास से हिप्स, जांघों, कमर और घुटनों में खींचव लगता है। जिससे जांघों और हिप्स की Flexibility (लचीलापन) बढ़ती है।
- पुरुष-रोग और स्त्रियों के लिए यह बहुत ही लाभकारी आसन है।
- यह पेट के अंगों, अंडाशय और प्रोस्टेट ग्रंथि, मूत्राशय, किडनी को उत्तेजित करता है।
- किडनी, जननांग और मूत्राशय को निरोगी बनाता है।
- साइटिका के दर्द से राहत मिलती है।
- हार्निया, अंडकोश और कूल्हे के दर्द के लिए यह एक लाभप्रद आसान है।
- ह्रदय को उत्तेजित करता है। और रक्त संचार में सुधार करता है।
- स्त्रियों के अनियमित ऋतुस्राव (menstruation) को ठीक कर गर्भाशय को सशक्त करता है।
- रजोनिवृत्ति के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है। प्रजनन में सुधार कर महिलाओं में बांझपन को ठीक कर सकता है।
- गर्भावस्था में लम्बे समय तक बद्धकोणासन का लगातार अभ्यास करने से बच्चे के जन्म (प्रसवक्रिया) को आसान बनाने में मदद करता है।
- यह आसन पीठ, उदर-क्षेत्र और वस्ति क्षेत्र में रक्त संचार की वृद्धि कर देता है जिससे उन्हें पर्याप्त मात्रा में लाभ मिलता है।
सावधानियां।
- इस आसन को पहली बार में ही करना संभव नहीं हैं। क्रमशः चेष्टा करें।
- high blood pressure, heart patient एवं heart patient समस्या वाले इस आसन का अभ्यास न करें।
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सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
बद्ध कोणासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. बद्ध कोणासन करने की विधि?
Ans. बद्ध कोणासन करने की विधि।
- सर्वप्रथम सामने की तरफ़ अपने आसन पर दोनों पैरों को फैलाकर बैठ जाएँ।
- अब धीरे-धीरे दोनों पैरों के घुटनों को मोड़ते हुए अपने दोनों पैरों के पंजों को आपस में मिलाते हुए एड़ियों को गुप्तांग के पास मूलाधार से लगाएँ।
- अब अपनी जाँघों और घुटनों को ज़मीन से स्पर्श कराएँ।
- अभ्यास के दौरान मेरुदंड को एक दम सीधा तना हुआ रखें, दृष्टि सामने कि और एवं अपने दोनों हाथों से दोनों पैरों के पंजों को पकड़ते हुए स्थिर रहें।
- अब श्वास छोड़ें और अपनी नाक को ज़मीन से स्पर्श कराने के लिए आगे झुकें। ठुड्डी भी स्पर्श करें।
- अब सामने रूप से श्वास-प्रश्वास करें एवं 10-20 sec. तक इस मुद्रा में रुकें।
- अब श्वास लें और वापस झुकने से पहले की स्थिति में पहुँचें।
Ques 2. बद्ध कोणासन करने के क्या फायदे है?
Ans. बद्ध कोणासन के नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इस आसन के अभ्यास से हिप्स, जांघों, कमर और घुटनों में खींचव लगता है। जिससे जांघों और हिप्स की Flexibility (लचीलापन) बढ़ती है।
- पुरुष-रोग और स्त्रियों के लिए यह बहुत ही लाभकारी आसन है।
- यह पेट के अंगों, अंडाशय और प्रोस्टेट ग्रंथि, मूत्राशय, किडनी को उत्तेजित करता है।
- किडनी, जननांग और मूत्राशय को निरोगी बनाता है।
- साइटिका के दर्द से राहत मिलती है।
- हार्निया, अंडकोश और कूल्हे के दर्द के लिए यह एक लाभप्रद आसान है।
- ह्रदय को उत्तेजित करता है। और रक्त संचार में सुधार करता है।
- स्त्रियों के अनियमित ऋतुस्राव (menstruation) को ठीक कर गर्भाशय को सशक्त करता है।
- रजोनिवृत्ति के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है। प्रजनन में सुधार कर महिलाओं में बांझपन को ठीक कर सकता है।
- गर्भावस्था में लम्बे समय तक बद्धकोणासन का लगातार अभ्यास करने से बच्चे के जन्म (प्रसवक्रिया) को आसान बनाने में मदद करता है।
- यह आसन पीठ, उदर-क्षेत्र और वस्ति क्षेत्र में रक्त संचार की वृद्धि कर देता है जिससे उन्हें पर्याप्त मात्रा में लाभ मिलता है।