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    वक्रासन करने की विधि, फायदे और सावधानियां – Vakrasana in Hindi.1

    वक्रासन
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    हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम वक्रासन के बारे में जानकारी देंगे।

    भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन वक्रासन हैं। इसलिए, इस लेख में हम वक्रासन के बारे में जानेंगे। वक्रासन क्या है, वक्रासन करने का सही तरीका, वक्रासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे। 

    वक्रासन करने का सही तरीका।

    वक्रासन करने की विधि।

    वक्रासन

    विधि।

    • सर्वप्रथम अपने आसन पर दोनों पैरों को सामने की तरफ फैलाकर बैठ जाएं।
    • अब अपने दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए इसके पंजे को बाँऐ पैर के घुटने के बगल में रखें। (चित्रानुसार)
    • अब श्वास छोड़ते हुए कमर से ऊपर के हिस्से को दाहिने तरफ घुमाएं। 
    • बाँए हाथ को दाहिने घुटने के पास लाते हुए दाँये पैर के अंगूठे को पकड़ लें (चित्रानुसार) या उसके पास रखें। 
    • और अपने दाँयें हाथ को पीछे जमीन पर रखें। (चित्रानुसार)
    • मेरुदण्ड को सीधा रखें। और 10-30 सेकेण्ड तक इसी मुद्रा में रूके।
    • अब श्वास लेते हुए वापस मूल अवस्था आएं। 
    • अब यही क्रिया दूसरी तरफ से भी दोहराएं।

    श्वास का क्रम/समय।

    • श्वास का क्रम और समय ऊपर विधि में बताया गया है।

    वक्रासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

    वक्रासन करने के फायदे।

    वक्रासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • अर्ध मत्स्येन्द्रासन के लाभ भी प्राप्त होते हैं। 
    • इस आसन का अभ्यास के दौरान बाहों, कंधों, गर्दन, ऊपरी पीठ और मेरुदण्ड में आवश्यक खिंचाव लगता है।
    • मेरुदण्ड लचीला,पूर्ण सशक्त और रोग-मुक्त होता है। रीढ़ की हड्डी की सहायक मांसपेशियां मजबूत व लचीली बनाती है। और यह रीढ़ की हड्डी के आसपास की कड़ी मांसपेशियों को फैलाता है।
    • मेरुदंड के पार्श्वगत घुमाव के कारण, पीठ व कमर दर्द एवं नितंबों के जोड़ों का दर्द अतिशीघ्र दूर होता है।
    • यह आसन उदर-क्षेत्र को क्रियाशील बनाता हैं। पाचन तंत्र के अंगों की मालिश स्वतः हो जाती है। पाचन तंत्र (Digestive System) में सुधार होता है।
    • कब्ज की समस्या से राहत मिलती है। क़ब्ज़ के लिए यह रामबाण है।
    • पेट की चर्बी को कम करता है। पेट के क्षेत्र से अतिरिक्त वसा को बाहर निकलने में मदद करता है। 
    • इस आसन के अभ्यास से छाती खोलती है और फेफड़ों में ऑक्सीजन की ग्रहण करने की मात्रा बढ़ जाती है।
    • मधुमेह और हार्निया में लाभप्रद आसान है।
    • आलस्य दूर करता है।
    • इस आसन का प्रतिदिन करने पर सुषुम्ना को खोलता है।

    सावधानियां।

    • पेट का अल्स, मेरुदंड संबंधी चोट वाले, पीठ से संबंधित जटिल आदि रोग वाले साधक इस आसन का अभ्यास धैर्यपूर्वक करें।

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    सारांश।

    योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक  योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं। 

    वक्रासन इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

     

    FAQs

     

    Ques 1. वक्रासन करने की विधि?

    Ans. वक्रासन करने की विधि।

    • सर्वप्रथम अपने आसन पर दोनों पैरों को सामने की तरफ फैलाकर बैठ जाएं।
    • अब अपने दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए इसके पंजे को बाँऐ पैर के घुटने के बगल में रखें। (चित्रानुसार)
    • अब श्वास छोड़ते हुए कमर से ऊपर के हिस्से को दाहिने तरफ घुमाएं। 
    • बाँए हाथ को दाहिने घुटने के पास लाते हुए दाँये पैर के अंगूठे को पकड़ लें (चित्रानुसार) या उसके पास रखें। 
    • और अपने दाँयें हाथ को पीछे जमीन पर रखें। (चित्रानुसार)
    • मेरुदण्ड को सीधा रखें। और 10-30 सेकेण्ड तक इसी मुद्रा में रूके।
    • अब श्वास लेते हुए वापस मूल अवस्था आएं। 
    • अब यही क्रिया दूसरी तरफ से भी दोहराएं।

     

    Ques 2. वक्रासन करने के क्या फायदे  है?

    Ans. वक्रासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • अर्ध मत्स्येन्द्रासन के लाभ भी प्राप्त होते हैं। 
    • इस आसन का अभ्यास के दौरान बाहों, कंधों, गर्दन, ऊपरी पीठ और मेरुदण्ड में आवश्यक खिंचाव लगता है।
    • मेरुदण्ड लचीला,पूर्ण सशक्त और रोग-मुक्त होता है। रीढ़ की हड्डी की सहायक मांसपेशियां मजबूत व लचीली बनाती है। और यह रीढ़ की हड्डी के आसपास की कड़ी मांसपेशियों को फैलाता है।
    • मेरुदंड के पार्श्वगत घुमाव के कारण, पीठ व कमर दर्द एवं नितंबों के जोड़ों का दर्द अतिशीघ्र दूर होता है।
    • यह आसन उदर-क्षेत्र को क्रियाशील बनाता हैं। पाचन तंत्र के अंगों की मालिश स्वतः हो जाती है। पाचन तंत्र (Digestive System) में सुधार होता है।
    • कब्ज की समस्या से राहत मिलती है। क़ब्ज़ के लिए यह रामबाण है।
    • पेट की चर्बी को कम करता है। पेट के क्षेत्र से अतिरिक्त वसा को बाहर निकलने में मदद करता है। 
    • इस आसन के अभ्यास से छाती खोलती है और फेफड़ों में ऑक्सीजन की ग्रहण करने की मात्रा बढ़ जाती है।
    • मधुमेह और हार्निया में लाभप्रद आसान है।
    • आलस्य दूर करता है।
    • इस आसन का प्रतिदिन करने पर सुषुम्ना को खोलता है।

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