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    वृक्षासन करने की विधि, फायदे और सावधानियां – Vrikshasana in hindi । 1

    वृक्षासन
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    हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम वृक्षासन के बारे में जानकारी देंगे।

    भारत के महान योगाचार्यों और ऋषियों-मुनियों ने जिन आसनों की योग विज्ञान में रचना की  है, उन सभी की प्रेरणा का स्त्रोत प्रकृति ही रही है। महान योगाचार्यों और ऋषियों-मुनियों प्रकृति को ही मनुष्यों के सृजन, पालन और विनाश का आधार मानते थे। शायद यही कारण है कि योग विज्ञान (yoga science) का हर आसन प्रकृति के किसी अंग, जीव-जंतु, पक्षी, वस्तु या अंगों से बनाई जाने वाली मुद्रा पर ही आधारित होता है। जैसे :- वृक्षासन। वृक्षासन को अंग्रेजी में ”Tree Pose” भी कहा जाता है।

    भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन वृक्षासन हैं।

    इसलिए, इस लेख में हम  वृक्षासन के बारे में जानेंगे। वृक्षासन क्या है, वृक्षासन करने का सही तरीका, वृक्षासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।

    वृक्षासन का शाब्दिक अर्थ।

    • वृक्षासन एक संस्कृत भाषा का शब्द हैं। वृक्षासन दो शब्दों से मिलकर बना है वृक्ष+आसन जिसमें पहला शब्द “वृक्ष” जिसे हिंदी भाषा में हम पेड़ कहते हैं। और दूसरा शब्द “आसन” जिसका अर्थ होता है “मुद्रा”। वृक्षासन को अंग्रेजी में ”Tree Pose” भी कहा जाता है।

    वृक्षासन करने का सही तरीका।

    वृक्षासन करने की विधि।

    वृक्षासन

     

    विधि।

    • सर्वप्रथम आप अपने आसन पर शांतचित्त व प्रसन्न मन के साथ अपने दोनों पैरों को एक साथ मिलाकर सावधान की स्थिति में खड़े हों परंतु अँगूठे और एड़ियाँ समानांतर ही रखें। 
    • अब चित्रानुसार शरीर को संतुलित रखते हुए दाहिने पैर को घुटने से मोड़ें और पैर के पंजे को बाएँ पैर की जाँघ के मूल में लगाएँ। 
    •  इस प्रकार अपने पुरे शरीर का संतुलन एक पैर पर बनाएँ। 
    • अब दोनों हाथों की हथेलियों को मिलाते हुए ऊपर की तरफ उठाएँ। तथा दोनों हाथों की कोहनियाँ सीधी रखें। (चित्रानुसार) 
    • इस मुद्रा में 5-10 sec. तक रुकें।
    • अब पुनः मूल अवस्था में आ जाए।
    • अब ताड़ासन की स्थिति में आएँ। अब आपको यही क्रिया पैर बदल के दोहरानी है। 
    • इस प्रकार यह क्रिया लगभग क्रमशः 4-5 बार करें।
    • वृक्षासन को कुछ योगाचार्य हाथों के बल खड़े होकर कराते हैं। जिसमें सिर नीचे और पैर ऊपर की तरफ होते।
    • इसी आसन में जब आप वक्ष स्थल (chest area) सामने दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं। तो इसको एक पाद नमस्कारासन भी कहते हैं। 

    ध्यान।

    • इस आसन को करते समय अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर केंद्रित करें।

    श्वासक्रम।

    • अपने दोनों हाथ ऊपर उठाते हुए श्वास लें। पूर्ण स्थिति में श्वास की गति सामान्य रखें। और अपने दोनों हाथों को नीचे करते समय श्वास छोड़े।

    समय।

    • समय का क्रम ऊपर विधि में बताया गया।

    दिशा।

    • इस आसन को करते समय अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें। (आध्यात्मिक लाभ हेतु)

    वृक्षासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

    वृक्षासन करने के फायदे।

    वृक्षासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • इस आसन को करने से शारीरिक संतुलन में सुधार होता है।
    • पैर मजबूत बनते हैं। हाथों और पैरों का काँपना बंद होता है एवं हाथों की भुजाएँ व पैरों की पिंडली सख्त होती हैं। 
    • इस आसन को करते समय अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर केंद्रित करने से स्मरण शक्ति तीव्र होती है। 
    • नेत्र की ज्योति बढ़ती है।

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    सारांश।

    योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक  योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।

    वृक्षासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

    FAQs

    Ques 1. वृक्षासन करने की विधि?

    Ans. इस आसन करने की विधि।

    • सर्वप्रथम आप अपने आसन पर शांतचित्त व प्रसन्न मन के साथ अपने दोनों पैरों को एक साथ मिलाकर सावधान की स्थिति में खड़े हों परंतु अँगूठे और एड़ियाँ समानांतर ही रखें। 
    • अब चित्रानुसार शरीर को संतुलित रखते हुए दाहिने पैर को घुटने से मोड़ें और पैर के पंजे को बाएँ पैर की जाँघ के मूल में लगाएँ। 
    •  इस प्रकार अपने पुरे शरीर का संतुलन एक पैर पर बनाएँ। 
    • अब दोनों हाथों की हथेलियों को मिलाते हुए ऊपर की तरफ उठाएँ। तथा दोनों हाथों की कोहनियाँ सीधी रखें। (चित्रानुसार) 
    • इस मुद्रा में 5-10 sec. तक रुकें।
    • अब पुनः मूल अवस्था में आ जाए।
    • अब ताड़ासन की स्थिति में आएँ। अब आपको यही क्रिया पैर बदल के दोहरानी है। 
    • इस प्रकार यह क्रिया लगभग क्रमशः 4-5 बार करें।
    • वृक्षासन को कुछ योगाचार्य हाथों के बल खड़े होकर कराते हैं। जिसमें सिर नीचे और पैर ऊपर की तरफ होते।
    • इसी आसन में जब आप वक्ष स्थल (chest area) सामने दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं। तो इसको एक पाद नमस्कारासन भी कहते हैं। 

     

    Ques 2. वृक्षासन करने के क्या फायदे  है?

    Ans. इस आसन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • इस आसन को करने से शारीरिक संतुलन में सुधार होता है।
    • पैर मजबूत बनते हैं। हाथों और पैरों का काँपना बंद होता है एवं हाथों की भुजाएँ व पैरों की पिंडली सख्त होती हैं। 
    • इस आसन को करते समय अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर केंद्रित करने से स्मरण शक्ति तीव्र होती है। 
    • नेत्र की ज्योति बढ़ती है।
    2 thoughts on “वृक्षासन करने की विधि, फायदे और सावधानियां – Vrikshasana in hindi । 1”
    1. I agree with everything you’ve said in your post; it’s clear that they’re all very persuasive and will work. Nevertheless, the posts are too short for newcomers; could you maybe make them a little longer the next time? I’m grateful for the post.

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