हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस लेख में हम शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन के बारे में जानेंगे। शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन क्या है, शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन करने का सही तरीका, शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।
शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन का शाब्दिक अर्थ।
- शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन में शीर्ष का अर्थ “सिर”। पाद-अंगुष्ठ का अर्थ “पैर का अंगूठा”। स्पर्श का अर्थ “छुना”। और आसन जिसका अर्थ होता है “मुद्रा”। अर्थात अपने सिर से पैर के अंगूठे को छूना।
शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन करने का सही तरीका।
शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर ताड़ासन में खड़े हों जाएं।
- अब चित्रानुसार सिर्फ़ अपने बाएँ पैर को दाहिने पैर से 2-3 फ़ीट तक आगे करें।
- इसके पश्चात अपने दोनों हाथों को अपनी कमर के पीछे बाँधे और सिर को बाईं ओर झुकाते हुए अँगूठे से स्पर्श कराने का प्रयत्न करें। (चित्रानुसार)
- इस आसन में दाहिना पैर सीधा रहेगा और बायाँ घुटना कुछ मुड़ेगा।
- अब पैरों को बदलकर पुनः यही क्रम दोहराएं।
श्वासक्रम।
- इस आसन में झुकते समय श्वास छोड़ें। और मूल अवस्था में लौटते समय श्वास लें।
समय।
- इस मुद्रा को पैर बदल-बदल कर 3-5 बार दोहराएँ।
शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन करने के फायदे।
शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इस आसन के अभ्यास से पैरों एवं कमर में अच्छा की खिंचाव लगता है। जिससे पैरों की माँसपेशियाँ एवं मेरुदण्ड (spinal cord) मज़बूत व सुदृढ़ बनती हैं। एवं इनके सामान्य रोगों में लाभ मिलता है।
- जिनको गैस की समस्या है, वे इस आसन का अभ्यास करके वायु-विकार से मुक्त हो सकते हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। तथा मानसिक विकारों का शमन होता है।
- नेत्रों के लिए भी लाभकारी आसन हैं।
सावधानियां।
- इस आसन को करने से पहले और बाद में पीछे मुड़कर किए जाने वाले आसनों का अभ्यास करने से इस आसन को करने की कठिनता समाप्त होती है। और अन्य विकार नहीं हो पाते।
- आसनावस्था स्थिति में श्वास रोके रहें। श्वास-प्रश्वास न करें।
- स्लिप डिस्क वाले और साइटिका की समस्या वाले रोगी इसे न करें।
- स्लिप डिस्क :- विशेषज्ञों के अनुसार रीढ़ की हड्डियों को सहारा देने, हड्डियों को लचीला बनाकर रखने, उन्हें किसी भी तरह के झटके और चोट से बचाने के लिए छोटी-छोटी गद्देदार डिस्क होती हैं। अगर ये डिस्क किसी कारणवश सूज जाती हैं या टूट जाती हैं, तो उन्हें स्लिप डिस्क कहा जाता है।
- कटिस्नायुशूल (sciatica) :- sciatic nerve आपकी रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर आपके कूल्हों से लेकर पैरों तक जाती है। यह मानव शरीर की सबसे महत्वपूर्ण तंत्रिकाओं में से एक है। आमतौर पर यह दर्द लोगों को 30 साल के बाद ही होता है।sciatic nerve में हुई समस्या से जूझ रहे मरीजों को कमर दर्द, पैरों में सुन्नापन आना या दर्द का अनुभव होना आदि।साइटिका को कटिस्नायुशूल के नाम से भी जाना जाता है।
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सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन करने की विधि?
Ans. शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन करने की विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर ताड़ासन में खड़े हों जाएं।
- अब चित्रानुसार सिर्फ़ अपने बाएँ पैर को दाहिने पैर से 2-3 फ़ीट तक आगे करें।
- इसके पश्चात अपने दोनों हाथों को अपनी कमर के पीछे बाँधे और सिर को बाईं ओर झुकाते हुए अँगूठे से स्पर्श कराने का प्रयत्न करें। (चित्रानुसार)
- इस आसन में दाहिना पैर सीधा रहेगा और बायाँ घुटना कुछ मुड़ेगा।
- अब पैरों को बदलकर पुनः यही क्रम दोहराएं।
Ques 2. शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन करने के क्या फायदे है?
Ans. शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इस आसन के अभ्यास से पैरों एवं कमर में अच्छा की खिंचाव लगता है। जिससे पैरों की माँसपेशियाँ एवं मेरुदण्ड (spinal cord) मज़बूत व सुदृढ़ बनती हैं। एवं इनके सामान्य रोगों में लाभ मिलता है।
- जिनको गैस की समस्या है, वे इस आसन का अभ्यास करके वायु-विकार से मुक्त हो सकते हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। तथा मानसिक विकारों का शमन होता है।
- नेत्रों के लिए भी लाभकारी आसन हैं।