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    कंदपीडासन करने की विधि, फायदे और सावधानियां – Kandapidasana in Hindi.1

    कंदपीडासन
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    हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस लेख में हम कंदपीडासन के बारे में जानेंगे। कंदपीडासन क्या है, कंदपीडासन करने का सही तरीका, कंदपीडासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।

    कंदपीडासन का शाब्दिक अर्थ।

    • कंदपीडासन एक संस्कृत भाषा का शब्द हैं। कंदपीडासन तीन शब्दों से मिलकर बना है। कंद का अर्थ मूलग्रंथि, जड़। तथा पीड का अर्थ दबाव डालना होता है। और आसन जिसका अर्थ होता है “मुद्रा”।
    • हठयोग प्रदीपिका के तृतीय अध्याय में लिखा है कि कुंडलिनी कंद पर शयन करती है। यह योगियों, महात्माओं को मोक्ष और भोगियों को बंधन दिलाती है।

    कंदपीडासन करने का सही तरीका।

    कंदपीडासन करने की विधि।

    कंदपीडासन

    विधि।

    • सर्वप्रथम अपने आसन पर प्रसन्न मन से बैठें। 
    • अब अपने दोनों पैरों को सामने की तरफ सीधा फैला लें। 
    • बद्ध कोणासन के समान ही अपने दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ कर पैरों के पंजों को आपस में मिला लें। (चित्रानुसार)
    • घुटने मोड़ते हुए जाँघों को चौड़ा करें और एड़ियों को आमने-सामने आपस में मिला लें (यह लगभग बद्ध कोणासन के समान हो जाता है)। दाहिने पैर के पंजे को दाहिनी हथेली से और बाएँ पैर के पंजे को बाईं हथेली से पकड़ें।
    • अब अपने दोनों हाथों से दोनों पैरों के पंजों को पकड़ के ऊपर धड़ की तरफ़ खींचें।
    • अब नाभि व सीने से एड़ियों और पैरों के बाह्य भाग को चिपका लें। (चित्रानुसार)
    • प्रथम अभ्यासी पैरों को पकड़े रखें एवं अभ्यास हो जाने पर हाथों को घुटनों पर रखें। (चित्रानुसार)

    ध्यान।

    • इस आसन को करते समय अपना ध्यान स्वाधिष्ठान चक्र या मणिपूरक चक्र पर केंद्रित करें।

    श्वास का क्रम।

    • अभ्यास के दौरान अंतिम अवस्था में श्वास की गति सामान्य रखें।

    समय।

    • अपनी क्षमता अनुसार इसी मुद्रा में रूके रहे।

    कंदपीडासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

    कंदपीडासन करने के फायदे।

    कंदपीडासन

     

    कंदपीडासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • इस आसन के अभ्यास से नितम्ब, घुटनों, टखनो की संधियों में अच्छा खिंचाव लगता है। और नितम्ब, घुटनों, टखनो की संधियों को लचीला बनाता है।
    • इस आसन के अभ्यास से नितम्ब व पैरों की मांसपेशियों में खिंचाव लगता है जिससे कड़ापन दूर होता है।
    • यह आसन काम-वासना को नियंत्रित करता है।
    • नाभि के नीचे की प्रत्येक माँसपेशी को व्यायाम मिलता है।
    • मन की चंचलता को दूर करता है। और मन की एकाग्रता को बढ़ाता है। 
    • ऊर्जा ऊर्ध्वमुखी करता है।

    सावधानियां।

    • यह उच्च स्तर के अभ्यास है। इसलिए इस आसन का अभ्यास करते समय विशेष सावधानी रखें।
    • जिनके घुटनों, टखनो और पैरों के जोड़ों में लचीलापन और मजबूती हो, वे ही इस आसन का अभ्यास करें।

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    सारांश।

    योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक  योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।

    कंदपीडासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

     

    FAQs

     

    Ques 1. कंदपीडासन करने की विधि?

    Ans. कंदपीडासन करने की विधि।

    • सर्वप्रथम अपने आसन पर प्रसन्न मन से बैठें। 
    • अब अपने दोनों पैरों को सामने की तरफ सीधा फैला लें। 
    • बद्ध कोणासन के समान ही अपने दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ कर पैरों के पंजों को आपस में मिला लें। (चित्रानुसार)
    • घुटने मोड़ते हुए जाँघों को चौड़ा करें और एड़ियों को आमने-सामने आपस में मिला लें (यह लगभग बद्ध कोणासन के समान हो जाता है)। दाहिने पैर के पंजे को दाहिनी हथेली से और बाएँ पैर के पंजे को बाईं हथेली से पकड़ें।
    • अब अपने दोनों हाथों से दोनों पैरों के पंजों को पकड़ के ऊपर धड़ की तरफ़ खींचें।
    • अब नाभि व सीने से एड़ियों और पैरों के बाह्य भाग को चिपका लें। (चित्रानुसार)
    • प्रथम अभ्यासी पैरों को पकड़े रखें एवं अभ्यास हो जाने पर हाथों को घुटनों पर रखें। (चित्रानुसार)

     

    Ques 2. कंदपीडासन करने के क्या फायदे  है?

    Ans. कंदपीडासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • इस आसन के अभ्यास से नितम्ब, घुटनों, टखनो की संधियों में अच्छा खिंचाव लगता है। और नितम्ब, घुटनों, टखनो की संधियों को लचीला बनाता है।
    • इस आसन के अभ्यास से नितम्ब व पैरों की मांसपेशियों में खिंचाव लगता है जिससे कड़ापन दूर होता है।
    • यह आसन काम-वासना को नियंत्रित करता है।
    • नाभि के नीचे की प्रत्येक माँसपेशी को व्यायाम मिलता है।
    • मन की चंचलता को दूर करता है। और मन की एकाग्रता को बढ़ाता है। 
    • ऊर्जा ऊर्ध्वमुखी करता है।

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