हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस लेख में हम कश्यापासन के बारे में जानेंगे। कश्यापासन क्या है, कश्यापासन करने का सही तरीका, कश्यापासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे। यह आसन भगवान ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि ऋषि और मरीचि ऋषि के पुत्र कश्यप मुनि को समर्पित है।
कश्यापासन का शाब्दिक अर्थ।
- यह आसन भगवान ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि ऋषि और मरीचि ऋषि के पुत्र कश्यप मुनि को समर्पित है।
कश्यापासन करने का सही तरीका।
कश्यापासन करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर ताड़ासन में खड़े हो जाएँ।
- अब आगे झुकें और अपनी दोनों हथेलियों को ज़मीन पर रखें। एवं अपने पैरों को 4 से 5 फिट पीछे ले जाएँ।
- अब पूरे शरीर को दायीं तरफ़ तिरछा घुमाएँ। एवं दायाँ हाथ और दाहिने पैर पर पूरे शरीर का सन्तुलन बनाएं।
- अब बाएं पैर का पंजा दाहिने जांघ के ऊपर इस तरह रखें कि यह अर्ध पद्मासन की तरह दिखे।
- अब बाएँ हाथ को पीठ के पीछे से लाकर बाएँ पैर के अंगूठे को पकड़े।
- यह इस आसन की पूर्ण अवस्था है।
- अब वापस मूल अवस्था में आएँ तथा यही क्रिया दूसरी तरफ़ से भी दोहराएं।
श्वास का क्रम/समय।
- अभ्यास के दौरान आसन बनाते समय अंतःकुभक करें।
- श्वास छोड़कर बाएँ हाथ से बाएँ पैर का अंगूठा पकड़ें।
- पुर्ण अवस्था में गहरी श्वास लें।
- वापस मूल अवस्था में आते समय श्वास छोड़ें।
- अपनी क्षमता अनुसार रुकें और दोनों तरफ़ एक-एक बार करें।
कश्यापासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
कश्यापासन करने के फायदे।
कश्यापासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- मेरुदंड को लाभ मिलता हैं तथा मेरुदंड की अकड़न दूर करता हैं।
- पाचन तंत्र (Digestive System) के सभी अंगो को क्रियाशील बनाता है। तथा पाचन तंत्र में सुधार होता है।
- अभ्यास के दौरान शरीर का पूरा वजन हाथों एवं पैरों पर होता है। जिससे हाथों एवं पैरों की मांसपेशियां मजबूत बनती है। अर्थात् यह हाथों और पैरों में पुष्ठता प्रदान करता है।
- इस आसन के अभ्यास से एकाग्रता बढ़ती है।
सावधानियां।
- इस आसन के अभ्यास के दौरान सन्तुलन का विशेष ध्यान रखें।
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सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
कश्यापासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. कश्यापासन करने की विधि?
Ans. कश्यापासन करने की विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर ताड़ासन में खड़े हो जाएँ।
- अब आगे झुकें और अपनी दोनों हथेलियों को ज़मीन पर रखें। एवं अपने पैरों को 4 से 5 फिट पीछे ले जाएँ।
- अब पूरे शरीर को दायीं तरफ़ तिरछा घुमाएँ। एवं दायाँ हाथ और दाहिने पैर पर पूरे शरीर का सन्तुलन बनाएं।
- अब बाएं पैर का पंजा दाहिने जांघ के ऊपर इस तरह रखें कि यह अर्ध पद्मासन की तरह दिखे।
- अब बाएँ हाथ को पीठ के पीछे से लाकर बाएँ पैर के अंगूठे को पकड़े।
- यह इस आसन की पूर्ण अवस्था है।
- अब वापस मूल अवस्था में आएँ तथा यही क्रिया दूसरी तरफ़ से भी दोहराएं।
Ques 2. कश्यापासन करने के क्या फायदे है?
Ans. कश्यापासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- मेरुदंड को लाभ मिलता हैं तथा मेरुदंड की अकड़न दूर करता हैं।
- पाचन तंत्र (Digestive System) के सभी अंगो को क्रियाशील बनाता है। तथा पाचन तंत्र में सुधार होता है।
- अभ्यास के दौरान शरीर का पूरा वजन हाथों एवं पैरों पर होता है। जिससे हाथों एवं पैरों की मांसपेशियां मजबूत बनती है। अर्थात् यह हाथों और पैरों में पुष्ठता प्रदान करता है।
- इस आसन के अभ्यास से एकाग्रता बढ़ती है।