हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम कागासन के बारे में जानकारी देंगे।
योग का नियमित अभ्यास करने से आप सिर्फ शारीरिक रूप से ही स्वास्थ्य नहीं रहते हैं। बल्कि मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। योग के फायदों को देखते हुए आज कल लोग जीम से ज्यादा योग को महत्व देते हैं। योग के इन्हीं फायदे के कारण 21 जून को विश्व योग दिवस भी मनाया जाता है।
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए पाचन तंत्र अर्थात् पेट को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है। पाचन तंत्र को बेहतर बनाने के लिए अनेक योगासन है। उन्हीं में से एक कागासन भी है। यह आसान पाचन तंत्र को स्वस्थ रखना और पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में बहुत फायदेमंद हो सकता है।
शरीर को लचीला और स्वस्थ रखने के साथ-साथ पेट पर मौजूद अतिरिक्त चर्बी (extra fat) को हटाने और पाचन तंत्र को मजबूती देने के लिए कागासन का अभ्यास फायदेमंद है।
इसलिए, इस लेख में हम कागासन के बारे में जानेंगे। कागासन क्या है, कागासन करने का सही तरीका, कागासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।
कागासन का शाब्दिक अर्थ।
- कागासन एक संस्कृत भाषा का शब्द हैं। कागासन दो शब्दों से मिलकर बना है काग+आसन जिसमें पहला शब्द “काग” जो की एक पक्षी का नाम है। जिसे हम प्रचलित भाषा में ‘कौआ’ कहते हैं। और दूसरा शब्द “आसन” जिसका अर्थ होता है “मुद्रा”। कागासन के अभ्यास के समय शरीर की आकृति कौआ जैसी होती है। इसीलिए इसे कागासन और अंग्रेज भाषा में इसे “Crow Pose” कहते हैं।
कागासन करने का सही तरीका।
कागासन करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम आप अपने आसन पर शांतचित्त व प्रसन्न मन के साथ अपने दोनों पैरों को एक साथ मिलाकर सावधान की स्थिति में खड़े हों जाएं।
- अब चित्रानुसार दोनों पैरों के बल इस प्रकार बैठें कि पैरों के बीच बिल्कुल अंतर न रहे।
- अब दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें एवं कोहनियों को जंघाओं, छाती व पेट के बीच में स्थित कर दें। (चित्रनुसार)
- कमर, मेरुदण्ड और गर्दन सीधी रखें।
- 2-3 मिनट तक इस मुद्रा में बैठें रहे।
श्वासक्रम।
- इस आसन को करते समय श्वास की गति सामान्य रखें।
समय।
- समय ऊपर विधि में बताया गया है।
कागासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
कागासन करने के फायदे।
कागासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- पाचन तंत्र (Digestive System) के लिए लाभप्रद आसान है। पाचन तंत्र (Digestive System) के विकारों को दूर करता है और पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
- वायु विकार का शमन होता है। पेट में गैस बनना, acidity होना जैसी समस्याओं को दूर करता है।
- इसके अभ्यास से जंघों की मांसपेशियां मजबूत एवं सुडौल बनती हैं।
- षट्कर्म में की जाने वाली यौगिक क्रियाओं के अभ्यास में स्थिरता आती है।
षट्कर्म :- षट्कर्म एक शरीर शुद्धिकरण की क्रिया है। यह शरीर क्रिया विज्ञान (physiology) का ही एक रुप है । जिसके माध्यम से शरीर में शुद्धिकरण का प्रयास किया जाता है। पौराणिक योगिक ग्रंथों में और हठयोग में भी षटकर्मों का भी वर्णन किया गया है। जिससे शारीरिक और मानसिक शुद्धि में स्थिरता प्राप्त होती है।
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सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
कागासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. कागासन करने की विधि?
Ans. इस आसन करने की विधि।
- सर्वप्रथम आप अपने आसन पर शांतचित्त व प्रसन्न मन के साथ अपने दोनों पैरों को एक साथ मिलाकर सावधान की स्थिति में खड़े हों जाएं।
- अब चित्रानुसार दोनों पैरों के बल इस प्रकार बैठें कि पैरों के बीच बिल्कुल अंतर न रहे।
- अब दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें एवं कोहनियों को जंघाओं, छाती व पेट के बीच में स्थित कर दें। (चित्रनुसार)
- कमर, मेरुदण्ड और गर्दन सीधी रखें।
- 2-3 मिनट तक इस मुद्रा में बैठें रहे।
Ques 2. कागासन करने के क्या फायदे है?
Ans. इस आसन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- पाचन तंत्र (Digestive System) के लिए लाभप्रद आसान है। पाचन तंत्र (Digestive System) के विकारों को दूर करता है और पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
- वायु विकार का शमन होता है। पेट में गैस बनना, acidity होना जैसी समस्याओं को दूर करता है।
- इसके अभ्यास से जंघों की मांसपेशियां मजबूत एवं सुडौल बनती हैं।
- षट्कर्म में की जाने वाली यौगिक क्रियाओं के अभ्यास में स्थिरता आती है।