भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन ग्रीवासन हैं। यह पीछे की ओर झुककर किए जाने वाले आसनों में से एक है। अंग्रेज भाषा में इसे “Neck pose” कहते हैं। इस आसन के अभ्यास से मेरुदण्ड और गर्दन की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। तथा पाचन तंत्र एवं स्त्री रोगों के लिए भी लाभप्रद आसन है।
इसलिए, इस लेख में हम ग्रीवासन के बारे में जानेंगे। ग्रीवासन क्या है, ग्रीवासन करने का सही तरीका, ग्रीवासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।
ग्रीवासन का शाब्दिक अर्थ।
- ग्रीवासन एक संस्कृत भाषा का शब्द हैं। ग्रीवासन दो शब्दों से मिलकर बना है ग्रीवा+आसन जिसमें पहला शब्द “ग्रीवा” का अर्थ “गर्दन” होता है। और दूसरा शब्द “आसन” जिसका अर्थ होता है “मुद्रा”। और अंग्रेज भाषा में इसे “Neck pose” कहते हैं।
ग्रीवासन करने का सही तरीका।
ग्रीवासन करने की विधि।
विधि।
- इस आसन का अभ्यास करने से पहले कम्बल के दो-तीन लड़ करके बिछा लें या आसन के स्थान पर मोटे गंदे का उपयोग करें। और पीठ के बल लेट जाएँ।
- अब दोनों पैरों को थोड़ा फैला लें एवं पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए एड़ियों को दोनों नितम्बों से स्पर्श कराएँ।
- अब चित्रानुसार मुद्रा बनाने के लिए दोनों हाथों की हथेलियों को दोनों कानों की तरफ़ ज़मीन पर रखें।
- अब हाथों और पैरों के पंजों पर जोर डालकर कमर के हिस्से को ऊपर उठाएँ एवं सिर के ऊपरी भाग को ज़मीन पर स्थित करें एवं हाथों को सीने पर बाँध लें। (चित्रानुसार)
- अंतिम अवस्था में पैरों के पंजों और सिर के द्वारा संतुलन स्थापित करें।
- कुछ योग शिक्षक इसको पूर्ण सेतु आसन भी कहते हैं।
श्वास का क्रम।
- कमर को भाग को उठाते समय अंतःकुंभक करें।
- अंतिम अवस्था में धीमी गति से श्वसन करें एवं मूल अवस्था में आते समय धीरे-धीरे श्वास छोड़ें।
समय।
- इस आसन की अंतिम अवस्था में अधिकतम 5-10 सेकण्ड तक रुकें रहे। और इसका अभ्यास 1-2 बार करें।
ग्रीवासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
ग्रीवासन करने के फायदे।
ग्रीवासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इस आसन के अभ्यास से मेरुदण्ड और गर्दन की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। एवं उनके विकारों को दूर करने में सहयोगी है।
- पाचन तंत्र को प्रभावशाली बनाता है। पाचन शक्ति में सुधार होता है।
- स्त्री रोगों के लिए भी लाभप्रद आसन है।
सावधानियां।
- स्पॉण्डिलाइटिस, स्लिप-डिस्क, सर्वाइकल प्राब्लम या हाइब्लड प्रेशर, चक्कर आना, हृदय विकार हो वे इस आसन को न करें।
ग्रीवासन करने के बाद ये आसन करें।
- इस आसन के बाद पश्चिमोत्तानासन या आगे झुकने वाले कोई भी आसन अवश्य करें।
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सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
ग्रीवासन. इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. ग्रीवासन करने की विधि?
Ans. ग्रीवासन करने की विधि।
- इस आसन का अभ्यास करने से पहले कम्बल के दो-तीन लड़ करके बिछा लें या आसन के स्थान पर मोटे गंदे का उपयोग करें। और पीठ के बल लेट जाएँ।
- अब दोनों पैरों को थोड़ा फैला लें एवं पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए एड़ियों को दोनों नितम्बों से स्पर्श कराएँ।
- अब चित्रानुसार मुद्रा बनाने के लिए दोनों हाथों की हथेलियों को दोनों कानों की तरफ़ ज़मीन पर रखें।
- अब हाथों और पैरों के पंजों पर जोर डालकर कमर के हिस्से को ऊपर उठाएँ एवं सिर के ऊपरी भाग को ज़मीन पर स्थित करें एवं हाथों को सीने पर बाँध लें। (चित्रानुसार)
- अंतिम अवस्था में पैरों के पंजों और सिर के द्वारा संतुलन स्थापित करें।
- कुछ योग शिक्षक इसको पूर्ण सेतु आसन भी कहते हैं।
Ques 2. ग्रीवासन करने के क्या फायदे है?
Ans. ग्रीवासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इस आसन के अभ्यास से मेरुदण्ड और गर्दन की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। एवं उनके विकारों को दूर करने में सहयोगी है।
- पाचन तंत्र को प्रभावशाली बनाता है। पाचन शक्ति में सुधार होता है।
- स्त्री रोगों के लिए भी लाभप्रद आसन है।