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चक्रासन करने की विधि, फायदे और सावधानियां – Chakrasana in hindi.1

चक्रासन

हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम चक्रासन के बारे में जानकारी देंगे।

योग भारत की प्राचीन विधा है। इतिहास की दृष्टि से यह व्यक्त करना अत्यंत कठिन होगा कि विश्व में योग विद्या का आविर्भाव कब, कैसे और कहाँ से हुआ। यदि हम प्राचीन ग्रंथों पर नज़र डालें तो योग विद्या का उल्लेख वेदों और जैन धर्म के ग्रंथों में मिलता है। अतः कह सकते हैं कि योग विद्या की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने योग को हजारों साल की कठिन तपस्या के बाद निर्मित किया है। आज शरीर और मन की ऐसी कोई भी समस्या नहीं है जिसका हल योग के पास न हो। इस ज्ञान को अब वैज्ञानिक मान्यता भी मिल चुकी है।

भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन चक्रासन हैं। इसलिए, इस लेख में हम  चक्रासन के बारे में जानेंगे। चक्रासन क्या है, चक्रासन करने का सही तरीका, चक्रासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।

चक्रासन करने का सही तरीका।

चक्रासन करने की विधि।

विधि।

ध्यान।

श्वास का क्रम/समय।

चक्रासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

चक्रासन करने के फायदे।

चक्रासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

कार्डियोवैस्कुलर हार्ट डिजीज (cardiovascular heart disease) :- दिल और रक्त वाहिकाओं के विकारों के कारण होती हैं। इनमें कोरोनरी हृदय रोग, स्ट्रोक, हाइपरटेंशन, जन्मजात हृदय रोग तथा दिल का फेल होना शामिल है।

ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) :- हड्डियों से सम्बंधित का एक चयापचय रोग है, जिसके कारण हड्डियों के घनत्व में कमी हो जाती है। इससे प्रभावित हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है और हड्डियां अधिक नाजुक हो जाती हैं, इसलिए हड्डियों के टूटने की संभावना अधिक होती है, जिसके परिणामस्वरूप हड्डियां भंग (fracture) हो जाती हैं।

सावधानियां।

अल्सर :- अल्सर एक प्रकार के घाव होते हैं जो पेट, आहारनाल या आँतों की अंदरूनी सतह पर विकसित हैं। पेट में क्षत या छाले होने को चिकित्सकीय भाषा में अल्सर कहते हैं। जिस जगह पर अल्सर होता है उसके आधार पर इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे पेट में होने वाले अल्सर को ‘gastric ulcer’ कहा जाता है, उसी तरह छोटी आंत के अगले हिस्से में होने वाले अल्सर को ‘duodenal ulcer’ कहा जाता है।

हार्निया :- जब आपके पेट की मसल्स कमजोर हो जाती है, और मांसपेशी या ऊत्तक में छेद के माध्यम से कोई अंग उभरकर बाहर की तरफ आने लगते है, तो उसे हर्निया कहते हैं। हर्निया की बीमारी सामान्य रूप से पेट में होती है, लेकिन यह नाभी, जांघ के उपरी हिस्से या कमर के आस-पास कही भी हो सकता है।

 

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सारांश।

योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक  योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।

चक्रासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

 

FAQs

 

Ques 1. चक्रासन करने की विधि?

Ans. चक्रासन करने की विधि।

 

Ques 2. चक्रासन करने के क्या फायदे  है?

Ans. चक्रासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

कार्डियोवैस्कुलर हार्ट डिजीज (cardiovascular heart disease) :- दिल और रक्त वाहिकाओं के विकारों के कारण होती हैं। इनमें कोरोनरी हृदय रोग, स्ट्रोक, हाइपरटेंशन, जन्मजात हृदय रोग तथा दिल का फेल होना शामिल है।

ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) :- हड्डियों से सम्बंधित का एक चयापचय रोग है, जिसके कारण हड्डियों के घनत्व में कमी हो जाती है। इससे प्रभावित हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है और हड्डियां अधिक नाजुक हो जाती हैं, इसलिए हड्डियों के टूटने की संभावना अधिक होती है, जिसके परिणामस्वरूप हड्डियां भंग (fracture) हो जाती हैं।

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