इस लेख में हम जालंधर बंध पर चर्चा करेंगे। शास्त्रों में उल्लेख है कि सभी प्राणियों की नाभि में स्थित अग्नि सिर के ऊपरी भाग पर स्थित सहस्त्रदल कमल से टपकते अमृत को जलाती रहती है। अत: जालंधर बंध का अभ्यास करके साधक उस अमृत का पान कर सकता है और शाश्वत रूप से जीवित हो सकता है। अर्थात् चिरंजीवी बन सकता है। हम आपको जालंधर बंध कि विशेषता, जालंधर बंध करने का सही तरीका, जालंधर बंध करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।
जालंधर बंध का शाब्दिक अर्थ।
- जाल का अर्थ होता है जाला, जाली और बंध का अर्थ होता है बंधन अर्थात् एक को दूसरे से बाँधना, मिलाना।
जालंधर बंध करने का सही तरीका।
जालंधर बंध करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम पद्मासन, सिद्धासन, स्वास्तिकासन या भद्रासन में से किसी भी एक आसन में बैठ जाएं।
- मेरुदंड, गर्दन तथा छाती को एकदम सीधा रखें।
- अब अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखिए।
- अब लंबी श्वास लें और अंतःकुंभक करें।
- अब अपना सिर आगे की ओर झुकाएं।
- अब अपनी ठुड्डी को छाती के ऊपरी हिस्से (ऊर्ध्वभाग) में दबाएं। लेकिन छाती को ऊँचा उठाएँ ताकि ठुड्डी आसानी से छाती को छू सके।
- ग्रीवा क्षेत्र को नीचे की ओर दबाएं या धकेलें नहीं और गले की मांसपेशियों को शिथिल रखें।
- अब तब तक रुके जब तक आप सामान्य कुम्भक कर सकें।
- अब शरीर को आराम दें तथा सिर को ऊपर की ओर उठाएं व धीरे-धीरे सांस छोड़ें। यह जालन्धर बंध कहलाता है।
- इस प्रकार इस प्रक्रिया को 5-10 बार दोहराएं।
- जालंधर बंध खड़े होकर भी किया जा सकता है।
श्वास का क्रम/समय।
- श्वास का क्रम और समय ऊपर विधि में बताया गया हैं।
दिशा।
- आध्यात्मिक लाभ हेतु अभ्यास के दौरान अपना मुख पूर्व या उत्तर कि और रखें। और पूर्व या उत्तर दिशा मुख करके अभ्यास करने से विशेष एवं जल्दी लाभ प्राप्त होते हैं।
जालंधर बंध का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
जालंधर बंध करने के फायदे।
जालंधर बंध का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इसके अभ्यास दिमाग को आराम मिलता है, मन को शांत करता है।
- अहंकार को नष्ट करता है और बुद्धि को शुद्ध करता है, विचारों में सकारात्मकता आती है।
- विशुद्धि चक्र को जागृत करता है।
- गले के दोषों को दूर कर वाणी को शुद्ध करता है।
- मानसिक अवसाद (Mental depression), चिंता (anxiety), तनाव (stress), क्रोध (anger), चिड़चिड़ापन (irritability) को दूर करता है।
- इस आसन के अभ्यास से एकाग्रता बढ़ाती है एवं स्मरण शक्ति को तेज़ करता है।
- सम्पूर्ण शरीर को निरोग रखता है, स्वस्थ रखता है।
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सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
जालंधर बंध, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. जालंधर बंध करने की विधि?
Ans. जालंधर बंध करने की विधि।
- सर्वप्रथम पद्मासन, सिद्धासन, स्वास्तिकासन या भद्रासन में से किसी भी एक आसन में बैठ जाएं।
- मेरुदंड, गर्दन तथा छाती को एकदम सीधा रखें।
- अब अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखिए।
- अब लंबी श्वास लें और अंतःकुंभक करें।
- अब अपना सिर आगे की ओर झुकाएं।
- अब अपनी ठुड्डी को छाती के ऊपरी हिस्से (ऊर्ध्वभाग) में दबाएं। लेकिन छाती को ऊँचा उठाएँ ताकि ठुड्डी आसानी से छाती को छू सके।
- ग्रीवा क्षेत्र को नीचे की ओर दबाएं या धकेलें नहीं और गले की मांसपेशियों को शिथिल रखें।
- अब तब तक रुके जब तक आप सामान्य कुम्भक कर सकें।
- अब शरीर को आराम दें तथा सिर को ऊपर की ओर उठाएं व धीरे-धीरे सांस छोड़ें। यह जालन्धर बंध कहलाता है।
- इस प्रकार इस प्रक्रिया को 5-10 बार दोहराएं।
- जालंधर बंध खड़े होकर भी किया जा सकता है।
Ques 2. जालंधर बंध करने के क्या फायदे है?
Ans. जालंधर बंध का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इसके अभ्यास दिमाग को आराम मिलता है, मन को शांत करता है।
- अहंकार को नष्ट करता है और बुद्धि को शुद्ध करता है, विचारों में सकारात्मकता आती है।
- विशुद्धि चक्र को जागृत करता है।
- गले के दोषों को दूर कर वाणी को शुद्ध करता है।
- मानसिक अवसाद (Mental depression), चिंता (anxiety), तनाव (stress), क्रोध (anger), चिड़चिड़ापन (irritability) को दूर करता है।
- इस आसन के अभ्यास से एकाग्रता बढ़ाती है एवं स्मरण शक्ति को तेज़ करता है।
- सम्पूर्ण शरीर को निरोग रखता है, स्वस्थ रखता है।