हेलो दोस्तों आपका INDIA TODAY ONE blog में स्वागत है। हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस लेख में हम दुर्वासासन के बारे में जानेंगे। दुर्वासासन क्या है, दुर्वासासन करने का सही तरीका, दुर्वासासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे। यह आसन उन साधकों को करना चाहिए जो उच्च अभ्यास के आसनों में अभ्यस्त हैं।
दुर्वासासन करने का सही तरीका।
दुर्वासासन करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर दोनों पैरों को सामने की तरफ फैलाकर बैठ जाइए।
- अब अपने दाहिने पैर को सिर के पिछले भाग पर कंधे का सहारा लेकर रखिए। (चित्रानुसार)
- अब बांए पैर को मोड़ते हुए हाथों का सहारा लेते हुए उकडू बैठें और धीरे-धीरे संतुलन बनाते हुए अपने बांए पैर पर खड़े हो जाएँ। (चित्रानुसार)
- अब हाथों से नमस्कार मुद्रा में रखें।
- जब तक खड़े रह सकते हों, खड़े रहें।
- अब धीरे-धीरे सजगता के साथ वापस मूल अवस्था आएं।
- अब पैर बदलकर यही क्रिया वापस दोहराएं।
- इसी आसन में जब हाथों को फैला दिया जाए तो उसको यान आसन कहते हैं।
ध्यान।
- इस आसन का अभ्यास करते समय अपना ध्यान अनाहत चक्र पर केंद्रित करें।
श्वास का क्रम।
- अभ्यास के दौरान खड़े होते समय श्वास लें।
- पूर्ण अवस्था में श्वास की गति सामान्य रखें।
- वापस बैठते समय श्वास छोड़ें।
समय।
- अपनी क्षमता अनुसार रूके।
दुर्वासासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
दुर्वासासन करने के फायदे।
दुर्वासासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इस आसन का अभ्यास करने से शरीर के निचले व ऊपरी हिस्से की मांसपेशियों में गहरा खिंचाव लगता है। और इन्हें मजबूत बनाता है।
- इस आसन का नियमित अभ्यास करने से जीवन में संतुलन/विनम्रता आती हैं।
- शारीरिक संतुलन व body posture (शरीर मुद्रा) में सुधार होता है।
- अभ्यास करने वाले साधक को स्वाभिमानी बनाता है। मृदुभाषी होता है। अर्थात् वाणी में मधुरता/विनम्रता आती हैं।
- शरीर के सभी हिस्सों में रक्तस्राव बढ़ता है, जिससे सभी अंगों को पर्याप्त मात्रा में रक्त मिल पाता है।
- तंत्रिका तंत्र (Nervous system) में सुधार करता है
- पैरों का असमय कांपना बंद होता है।
- इस आसन का अभ्यास करने से पैरों की जांघ, पिंडली और हैमस्ट्रिंग व क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियों में खिंचाव लगता है और वे मजबूत एवं लचीली बनती हैं।
- हैमस्ट्रिंग मांसपेशि :- हैमस्ट्रिंग मांसपेशी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी है,जो दौड़ने की क्रिया में शरीर की मदद करती है। खिलाड़ियों के लगातार दौड़ते रहने से इस मांसपेशी में खासा दबाव महसूस होता है।
- क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां :- यह जांघ के सामने की मांसपेशियों का एक समूह है। क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां का उपयोग विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को करने के लिए करते हैं, जैसे :- दौड़ना, किक करना (to kick), कूदना और चलना आदि है।
- सामान्य कमर दर्द से राहत मिलती है एवं मेरुदण्ड लचीला बनता है।
- हड्डियों को मजबूत बनाता है।
- एकाग्रता बढाने में मदद करता है।
- उदर प्रदेश के अवयवों को सुचारु करता है।
- चिंता, तनाव व डिप्रेशन जैसे लक्षणों को कम करके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है।
सावधानियां।
- प्रथम बार करने वाले साधन दीवार आदि का सहारा लें।
- कटिस्नायुशूल(sciatica), मेरुदण्ड, heart patient एवं कमर से अत्यधिक पीड़ित व्यक्ति इस आसन का अभ्यास न करें।
👉 यह भी पढ़ें।
- योग क्या हैं – परिभाषा, अर्थ, प्रकार, महत्व, उद्देश्य और इतिहास।
- खाली पेट पानी पीने के 15 फ़ायदे।
- एक दिन में कितना पानी पीना चाहिए।
सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
दुर्वासासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. दुर्वासासन करने की विधि?
Ans. दुर्वासासन करने की विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर दोनों पैरों को सामने की तरफ फैलाकर बैठ जाइए।
- अब अपने दाहिने पैर को सिर के पिछले भाग पर कंधे का सहारा लेकर रखिए। (चित्रानुसार)
- अब बांए पैर को मोड़ते हुए हाथों का सहारा लेते हुए उकडू बैठें और धीरे-धीरे संतुलन बनाते हुए अपने बांए पैर पर खड़े हो जाएँ। (चित्रानुसार)
- अब हाथों से नमस्कार मुद्रा में रखें।
- जब तक खड़े रह सकते हों, खड़े रहें।
- अब धीरे-धीरे सजगता के साथ वापस मूल अवस्था आएं।
- अब पैर बदलकर यही क्रिया वापस दोहराएं।
- इसी आसन में जब हाथों को फैला दिया जाए तो उसको यान आसन कहते हैं।
Ques 2. दुर्वासासन करने के क्या फायदे है?
Ans. दुर्वासासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इस आसन का अभ्यास करने से शरीर के निचले व ऊपरी हिस्से की मांसपेशियों में गहरा खिंचाव लगता है। और इन्हें मजबूत बनाता है।
- इस आसन का नियमित अभ्यास करने से जीवन में संतुलन/विनम्रता आती हैं।
- शारीरिक संतुलन व body posture (शरीर मुद्रा) में सुधार होता है।
- अभ्यास करने वाले साधक को स्वाभिमानी बनाता है। मृदुभाषी होता है। अर्थात् वाणी में मधुरता/विनम्रता आती हैं।
- शरीर के सभी हिस्सों में रक्तस्राव बढ़ता है, जिससे सभी अंगों को पर्याप्त मात्रा में रक्त मिल पाता है।
- तंत्रिका तंत्र (Nervous system) में सुधार करता है
- पैरों का असमय कांपना बंद होता है।
- इस आसन का अभ्यास करने से पैरों की जांघ, पिंडली और हैमस्ट्रिंग व क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियों में खिंचाव लगता है और वे मजबूत एवं लचीली बनती हैं।
- हैमस्ट्रिंग मांसपेशि :- हैमस्ट्रिंग मांसपेशी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी है,जो दौड़ने की क्रिया में शरीर की मदद करती है। खिलाड़ियों के लगातार दौड़ते रहने से इस मांसपेशी में खासा दबाव महसूस होता है।
- क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां :- यह जांघ के सामने की मांसपेशियों का एक समूह है। क्वाड्रिसेप्स मांसपेशियां का उपयोग विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को करने के लिए करते हैं, जैसे :- दौड़ना, किक करना (to kick), कूदना और चलना आदि है।
- सामान्य कमर दर्द से राहत मिलती है एवं मेरुदण्ड लचीला बनता है।
- हड्डियों को मजबूत बनाता है।
- एकाग्रता बढाने में मदद करता है।
- उदर प्रदेश के अवयवों को सुचारु करता है।
- चिंता, तनाव व डिप्रेशन जैसे लक्षणों को कम करके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है।