Site icon INDIA TODAY ONE

द्विपाद शीर्षासन (Dwipada Shirshasana).1

द्विपाद शीर्षासन

हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस लेख में हम द्विपाद शीर्षासन के बारे में जानेंगे। द्विपाद शीर्षासन क्या है, द्विपाद शीर्षासन करने का सही तरीका, द्विपाद शीर्षासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।

द्विपाद शीर्षासन का शाब्दिक अर्थ।

द्विपाद शीर्षासन एक संस्कृत भाषा का शब्द हैं। द्विपाद शीर्षासन चार शब्दों से मिलकर बना है। द्वि+पाद+शीर्ष+आसन जिसमें द्वि मतलब दो, पाद मतलब पैर एवं शीर्ष अर्थात् सिर(मस्तिष्क) और आसन का अर्थ होता है मुद्रा। इस आसन के अभ्यास के दौरान दोनों पैरों को सिर पर रखा जाता है। इसीलिए इसे द्विपाद शीर्षासन कहते है।

द्विपाद शीर्षासन करने का सही तरीका।

द्विपाद शीर्षासन करने की विधि।

विधि।

ध्यान।

श्वास का क्रम।

समय।

द्विपाद शीर्षासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

द्विपाद शीर्षासन करने के फायदे।

द्विपाद शीर्षासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

सावधानियां।

👉 यह भी पढ़ें।

सारांश।

योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।

द्विपाद शीर्षासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

FAQs

Ques 1. द्विपाद शीर्षासन करने की विधि?

Ans. द्विपाद शीर्षासन करने की विधि।

Ques 2. द्विपाद शीर्षासन करने के क्या फायदे है?

Ans. द्विपाद शीर्षासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

 

Exit mobile version