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पर्यंकासन (दो प्रकार) करने की विधि, फायदे और सावधानियां – Paryankasana in Hindi.1

पर्यंकासन

हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम पर्यंकासन के दोनों प्रकार के बारे में जानेंगे।

कुछ योग शिक्षक एवं योगाचार्य पर्यंकासन को सुप्त वज्रासन के समान मानते है।

मरण्य कण्डिका नामक शास्त्र में पद्मासन को पर्यंकासन का वर्णन मिलता है यह शास्त्र आज से लगभग 1070 वर्ष पहले लिखा गया था जो कि वर्तमान में भी उपलब्ध है।

योग भारत की प्राचीन विधा है। इतिहास की दृष्टि से यह व्यक्त करना अत्यंत कठिन होगा कि विश्व में योग विद्या का आविर्भाव कब, कैसे और कहाँ से हुआ। यदि हम प्राचीन ग्रंथों पर नज़र डालें तो योग विद्या का उल्लेख वेदों और जैन धर्म के ग्रंथों में मिलता है। अतः कह सकते हैं। कि योग विद्या की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने योग को हजारों साल की कठिन तपस्या के बाद निर्मित किया है। आज शरीर और मन की ऐसी कोई भी समस्या नहीं है जिसका हल योग के पास न हो। इस ज्ञान को अब वैज्ञानिक मान्यता भी मिल चुकी है।

आज लोगों का मानना है कि महर्षि पतंजलि ने योग का निरूपण किया जबकि योग के प्रथम गुरु भगवान शिव ही हैं। महर्षि पतंजलि ने तो केवल अष्टांग योग का प्रतिपादन किया जो कि यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान तथा समाधि के रूप में गृहीत है।

योगाभ्यास के दौरान शरीर को कई बार आध्यात्मिक अनुभव भी होते हैं। ये अनुभव किसी भी इंसान के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। योग आपके जीवन को नई दिशा देता है, योग आपको खुद से मिलाने की ही एक यात्रा है।

भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन पर्यंकासन हैं।

इसलिए, इस लेख में हम पर्यंकासन के दोनों प्रकार के बारे में जानेंगे। पर्यंकासन क्या है, पर्यंकासन करने का सही तरीका, पर्यंकासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे। और साथ में हम योग करने के नियम, योग के प्रमुख उद्देश्य और योग का हमारे जीवन में क्या महत्व हैं इसके बारे में भी जानेंगे।

पर्यंकासन का शाब्दिक अर्थ।

पर्यंकासन (प्रथम प्रकार)

पर्यंकासन (प्रथम प्रकार) करने का सही तरीका।

पर्यंकासन (प्रथम प्रकार) करने की विधि।

 

विधि।

श्वासक्रम।

समय।

पर्यंकासन (प्रथम प्रकार) का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

पर्यंकासन (प्रथम प्रकार) करने के फायदे।

पर्यंकासन (प्रथम प्रकार) का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

सावधानियां।

पर्यंकासन (द्वितीय प्रकार)

पर्यंकासन (द्वितीय प्रकार) करने का सही तरीका।

पर्यंकासन (द्वितीय प्रकार) करने की विधि।

विधि।

श्वास का क्रम।

समय।

पर्यंकासन (द्वितीय प्रकार) करने के फायदे।

पर्यंकासन (द्वितीय प्रकार) का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

सावधानियां।

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सारांश।

योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक  योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं। 

पर्यंकासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

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