हेलो दोस्तों इंडिया टुडे वन ब्लॉग में आपका स्वागत है। भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन प्लाविनी प्राणायाम हैं।
इस लेख में हम प्लाविनी प्राणायाम पर चर्चा करेंगे। इस लेख में प्लाविनी प्राणायाम के आसन को करने का तरीका और इस आसन के अभ्यास से होने वाले फायदों के बारे में बताया गया है। साथ में यह भी बताया गया है कि प्लाविनी-प्राणायाम करने के दौरान क्या सावधानी बरतें।
प्लाविनी प्राणायाम का शाब्दिक अर्थ।
- प्लाविनी प्राणायाम में “प्लावन” शब्द का अर्थ है “तैरना या उतराना”। “प्राण” जिसका अर्थ है “जीवन शक्ति” और “अयामा” जिसका अर्थ होता है “विस्तार”। इस प्राणायाम को सिद्ध करने के बाद साधक जल में आसानी से तैर लेता है।
प्लाविनी प्राणायाम करने का सही तरीका।
प्लाविनी प्राणायाम करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम सुखासन में बैठ जाएं।
- अब दोनों नासिकाओं से सांस ले। और पेट में इतनी हवा भरें कि वह गुब्बारे के समान फूल जाएं।
- अब जितना संभव हो कुम्भक करें और नासिका छिद्रों से वायु को धीरे-धीरे बाहर निकालें
- यह एक चक्र पुरा हुआ।
- इस क्रम को जितना हो सके दोहराते रहें।
श्वास का क्रम/समय।
- श्वास का क्रम और समय ऊपर विधि में बताया गया है।
प्लाविनी प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
प्लाविनी प्राणायाम करने के फायदे।
प्लाविनी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इस प्राणायाम का सिद्ध करने के बाद साधक पानी के ऊपर आराम से तैर (लेट) सकता है।
- उदर-क्षेत्र के अंग कोमल होते है पाचन तंत्र (Digestive System) मज़बूत बनता है। यह पाचन तंत्र के अवयव ठीक कर क़ब्ज़ को दूर करता है।
- इसके अभ्यास से पाचन तंत्र (Digestive System) में सुधार होता है।
- समान और अपान प्राण में संतुलन बनाता है। इनको कुपित नहीं होने देता।
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सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
प्लाविनी प्राणायाम, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. प्लाविनी प्राणायाम करने की विधि?
Ans. प्लाविनी प्राणायाम करने की विधि।
- सर्वप्रथम सुखासन में बैठ जाएं।
- अब दोनों नासिकाओं से सांस ले। और पेट में इतनी हवा भरें कि वह गुब्बारे के समान फूल जाएं।
- अब जितना संभव हो कुम्भक करें और नासिका छिद्रों से वायु को धीरे-धीरे बाहर निकालें
- यह एक चक्र पुरा हुआ।
- इस क्रम को जितना हो सके दोहराते रहें।
Ques 2. प्लाविनी प्राणायाम करने के क्या फायदे है?
Ans. प्लाविनी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इस प्राणायाम का सिद्ध करने के बाद साधक पानी के ऊपर आराम से तैर (लेट) सकता है।
- उदर-क्षेत्र के अंग कोमल होते है पाचन तंत्र (Digestive System) मज़बूत बनता है। यह पाचन तंत्र के अवयव ठीक कर क़ब्ज़ को दूर करता है।
- इसके अभ्यास से पाचन तंत्र (Digestive System) में सुधार होता है।
- समान और अपान प्राण में संतुलन बनाता है। इनको कुपित नहीं होने देता।