हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम भद्रासन आसन के बारे में जानकारी देंगे।
यह आसन लम्बे समय तक ध्यान (meditation) में बैठे रहने के लिए अनुकूल है और भद्र शब्द का अर्थ दृढ़, सज्जन, शिष्ट या सौभाग्यशाली होता है। अर्थात् इस आसन का अभ्यास करने से शरीर दृढ़ निरोग और सुंदर रहने के कारण इसे आसन को भद्रासन कहा जाता हैं। भद्रासन योग को अंग्रेजी में ‘Gracious Pose’ भी कहा जाता हैं। भद्रासन कई प्रकार से किया जाता हैं पर हम यहाँ पर भद्रासन का सबसे सरल और उपयोगी प्रकार की जानकारी दे रहे हैं।
योगाभ्यास के दौरान शरीर को कई बार आध्यात्मिक अनुभव भी होते हैं। ये अनुभव किसी भी इंसान के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। योग आपके जीवन को नई दिशा देता है, योग आपको खुद से मिलाने की ही एक यात्रा है।
भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन भद्रासन हैं।
इसलिए, इस लेख में हम भद्रासन के बारे में जानेंगे। भद्रासन क्या है, भद्रासन करने का सही तरीका, भद्रासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे। और साथ में हम योग करने के नियम, योग के प्रमुख उद्देश्य और योग का हमारे जीवन में क्या महत्व हैं इसके बारे में भी जानेंगे।
भद्रासन का शाब्दिक अर्थ।
- भद्रासन एक संस्कृत भाषा से लिए गया शब्द है। जो दो शब्दों से मिलकर बना है भद्र+आसन जिसमें पहला शब्द “भद्र” का अर्थ “शिष्ट” होता है और दूसरा शब्द “आसन” जिसका अर्थ होता है “मुद्रा”।
भद्रासन करने का सही तरीका।
भद्रासन करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम वज्रासन में बैठ जाएँ।
- अब धीरे-धीरे आगे से घुटनों को फैलाएँ घुटनों को जितना हो सके अधिक से अधिक फैलाने की कोशिश करें।
- चित्र अनुसार पैर की अंगुलियों को एक-दूसरे से मिलाकर नितंबों को ज़मीन से स्पर्श करा लें।
- अब दोनों हाथों को घुटनों के ऊपर ज्ञानमुद्रा की स्थिति में रखें।
- घेरण्ड संहितानुसार- दोनों एड़ियाँ अण्डकोश के नीचे उलटकर रखें फिर दोनों हाथों को पीठ के पीछे की तरफ़ ले जाकर दोनों पैर के अंगूठों को पकड़ें और जालंधर बंध करके नासिका के अग्र भाग को देखें। यह आसन सभी रोगों का नाश करने वाला है।
ध्यान।
- इस आसन को करते समय अपना ध्यान मूलाधार चक्र से आज्ञाचक्र तक केंद्रित करें।
श्वासक्रम।
- पूर्ण स्थिति में श्वास की गति सामान्य रखें।
समय।
- अपनी अनुकूलतानुसार समय लगाएँ।
भद्रासन करने के फायदे।
भद्रासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- यह आसन पैरों की मांसपेशियों, जाँघों, घुटनों एवं एड़ियाँ को मज़बूत और सशक्त होते हैं।
- इस आसन का प्रतिदिन अभ्यास करने से काम-वासना नष्ट होती हैं अतः आध्यात्मिक उन्नति में यह आसन सहायक है।
- इसके आसन अभ्यास से बवासीर, प्रमेह, अंडकोश-वृद्धि, भगंदर आदि रोगों का शमन होता है।
प्रमेह :- प्रमेह एक यौन संचारित संक्रमण है जो बैक्टीरिया नीसेरिया प्रमेह के कारण होता है, जो मूत्रमार्ग, गर्भाशय ग्रीवा, मलाशय और गले के अस्तर या झिल्ली को संक्रमित करता है, जो आँख के सामने के हिस्से (कंजक्टिवा और कॉर्निया) को कवर करते हैं। प्रमेह आमतौर पर, यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है।
भगंदर :- भगंदर रोग में मरीज के गुदा के अंदर और बाहर नली में घाव या फोड़ा हो जाता है। घाव छोटा या बड़ा हो सकता है। जब यह फोड़ा फट जाता है तो इससे खून बहने लगता है। खून बहने के कारण मरीजों को गुदा द्वार के पास बहुत अधिक दर्द होता है। - इस आसन के अभ्यास से वज्रासन के भी लाभ स्वतः मिल जाते हैं। मूलाधार चक्र के उत्थान में सहायक।
सावधानियां।
- तीव्र कमर दर्द वाले इस आसन को शनैः शनैः (आराम-आराम) करें।
- अपनी क्षमता से अधिक देर तक या ज़बर्दस्ती न बैठें।
- अगर आप के घुटनों में दर्द हें तो पहले पवनमुक्तासन संबंधी क्रियाओं को करें।
नोट।
कुछ योगाचार्य भद्रासन इस प्रकार से भी करवाते है जैसे हम तितली आसन की क्रिया करते है। अंतर सिर्फ इतना है कि इसमें तितली की तरह पैरों को ऊपर नीचे नही करते। |
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सारांश।
इस आसन को शास्त्रीय हठ योग प्रदीपिका ग्रंथ में ‘सभी रोगों का नाशक’ बताया गया है। योगाचार्य की मानें तो यह आसन बहुत प्रभावी आसनों में से एक है और आपके लिए रोजाना इसका अभ्यास करना लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
भद्रासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQ
Ques 1. भद्रासन करने की विधि?
Ans. भद्रासन करने की विधि।
- सर्वप्रथम वज्रासन में बैठ जाएँ।
- अब धीरे-धीरे आगे से घुटनों को फैलाएँ घुटनों को जितना हो सके अधिक से अधिक फैलाने की कोशिश करें।
- चित्र अनुसार पैर की अंगुलियों को एक-दूसरे से मिलाकर नितंबों को ज़मीन से स्पर्श करा लें।
- अब दोनों हाथों को घुटनों के ऊपर ज्ञानमुद्रा की स्थिति में रखें।
- घेरण्ड संहितानुसार- दोनों एड़ियाँ अण्डकोश के नीचे उलटकर रखें फिर दोनों हाथों को पीठ के पीछे की तरफ़ ले जाकर दोनों पैर के अंगूठों को पकड़ें और जालंधर बंध करके नासिका के अग्र भाग को देखें। यह आसन सभी रोगों का नाश करने वाला है।
Ques 2. भद्रासन करने के क्या फायदे है?
Ans. भद्रासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- यह आसन पैरों की मांसपेशियों, जाँघों, घुटनों एवं एड़ियाँ को मज़बूत और सशक्त होते हैं।
- इस आसन का प्रतिदिन अभ्यास करने से काम-वासना नष्ट होती हैं अतः आध्यात्मिक उन्नति में यह आसन सहायक है।
- इसके आसन अभ्यास से बवासीर, प्रमेह, अंडकोश-वृद्धि, भगंदर आदि रोगों का शमन होता है।
प्रमेह :- प्रमेह एक यौन संचारित संक्रमण है जो बैक्टीरिया नीसेरिया प्रमेह के कारण होता है, जो मूत्रमार्ग, गर्भाशय ग्रीवा, मलाशय और गले के अस्तर या झिल्ली को संक्रमित करता है, जो आँख के सामने के हिस्से (कंजक्टिवा और कॉर्निया) को कवर करते हैं। प्रमेह आमतौर पर, यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है।
भगंदर :- भगंदर रोग में मरीज के गुदा के अंदर और बाहर नली में घाव या फोड़ा हो जाता है। घाव छोटा या बड़ा हो सकता है। जब यह फोड़ा फट जाता है तो इससे खून बहने लगता है। खून बहने के कारण मरीजों को गुदा द्वार के पास बहुत अधिक दर्द होता है। - इस आसन के अभ्यास से वज्रासन के भी लाभ स्वतः मिल जाते हैं। मूलाधार चक्र के उत्थान में सहायक।