हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम मार्जरी आसन के बारे में जानकारी देंगे।
वेदों और जैन धर्म के प्राचीन भारतीय ग्रंथों को पढ़ने से पता चलता हैं कि प्रतिदिन योगासनों का अभ्यास करने से हमारे जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। योग का नियमित अभ्यास न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। प्रतिदिन योग अभ्यास करने से अनेक गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। आज हम इस आर्टिकल में मार्जरी आसन की बात करेंगे।
योगाभ्यास के दौरान शरीर को कई बार आध्यात्मिक अनुभव भी होते हैं। ये अनुभव किसी भी इंसान के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। योग आपके जीवन को नई दिशा देता है, योग आपको खुद से मिलाने की ही एक यात्रा है।
भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन मार्जरी आसन हैं।
इसलिए, इस लेख में हम मार्जरी आसन के बारे में जानेंगे। मार्जरी आसन क्या है, मार्जरी आसन करने का सही तरीका, मार्जरी आसन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे। और साथ में हम योग करने के नियम, योग के प्रमुख उद्देश्य और योग का हमारे जीवन में क्या महत्व हैं इसके बारे में भी जानेंगे।
मार्जरी आसन का शाब्दिक अर्थ।
- मार्जरी आसन/मार्जार आसन। आप इस आसन को दोनों नामों में से किसी भी नाम से बुला सकते हैं। मार्जारी आसन एक संस्कृत भाषा का शब्द है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है मार्जरी+आसन। जिसमें “मार्जरी” शब्द का अर्थ “बिल्ली” होता है। और “आसन” जिसका अर्थ होता है “मुद्रा”। इस आसन को करने वाला व्यक्ति एक बिल्ली के समान दिखाई देता है। मार्जरी आसन को अंग्रेजी में “Cat pose” के नाम से बुलाया जाता है।
मार्जरी आसन करने का सही तरीका।
मार्जरी आसन करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम वज्रासन में बैठ जाएँ।
- अब चित्र अनुसार दोनों घुटनों के बल खड़े होते हुए दोनों हाथों के पंजों को ज़मीन पर रखें और हाथ की कोहनियाँ सीधी हो। तथा पैरों की स्थिति चित्रानुसार हो। यह इस आसन को क्रियान्वित (implemented) करने की तैयारी है।
- इसके पश्चात श्वास लेते हुए मेरुदण्ड (पीठ) को नीचे की तरफ झुकाएँ। और गर्दन को ऊपर की तरफ़ करें।
- अब ठीक इसके विपरीत श्वास छोड़ते हुए मेरुदण्ड को ऊपर की तरफ ले जाएँ एवं गर्दन नीची करते हुए ठुड्डी (chin) को छाती से स्पर्श कराएँ।
- विशेष लाभ के लिए श्वास छोड़ते हुए पेट को सिकोड़ें अर्थात् अंदर की तरफ़ खींचें।
श्वासक्रम/समय
- श्वास का क्रम ऊपर विधि में बताया गया है। श्वास-प्रश्वास की क्रिया करते समय विशेष ध्यान दें। इस क्रिया को 8-10 बार दोहराएँ।
मार्जरी आसन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
मार्जरी आसन करने के फायदे
मार्जरी आसन का नियमित अभ्यास करने के फायदे :-
- मार्जरी आसन के अभ्यास से कमर, मेरुदण्ड एवं गर्दन अच्छा व्यायाम (excercise) होता है। जिससे यह आसन कमर, मेरुदण्ड एवं गर्दन को सुगठित कर उन्हें लचीला एवं निरोगी रखता है।
- इस आसन के अभ्यास से कंधों और कलाईयों कि क्षमता भी बढ़ाती है।
- यह आसन क़ब्ज़ की समस्या को दूर करता है एवं पेट की अतिरिक्त चर्बी का कम करता है।
- महिलाओं के लिए यह अतिप्रभावकारी आसन है।
- इसके अभ्यास से फेफड़ों को भी पर्याप्त लाभ मिलता है।
सावधानियाँ
- मेरुदण्ड और कमर के तीव्र दर्द से पीड़ित व्यक्ति इस क्रिया को शनैः शनैः (आराम-आराम) क्रियान्वित करें।
- अगर आप के घुटनों में दर्द हें तो पहले पवनमुक्तासन संबंधी क्रियाओं को करें।
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सारांश।
योगाभ्यास के दौरान शरीर को कई बार आध्यात्मिक अनुभव भी होते हैं। ये अनुभव किसी भी इंसान के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। योग आपके जीवन को नई दिशा देता है, योग आपको खुद से मिलाने की ही एक यात्रा है।
मार्जरी आसन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQ
Ques 1. मार्जरी आसन करने की विधि?
Ans. मार्जरी आसन करने की विधि।
- सर्वप्रथम वज्रासन में बैठ जाएँ।
- अब चित्र अनुसार दोनों घुटनों के बल खड़े होते हुए दोनों हाथों के पंजों को ज़मीन पर रखें और हाथ की कोहनियाँ सीधी हो। तथा पैरों की स्थिति चित्रानुसार हो। यह इस आसन को क्रियान्वित (implemented) करने की तैयारी है।
- इसके पश्चात श्वास लेते हुए मेरुदण्ड (पीठ) को नीचे की तरफ झुकाएँ। और गर्दन को ऊपर की तरफ़ करें।
- अब ठीक इसके विपरीत श्वास छोड़ते हुए मेरुदण्ड को ऊपर की तरफ ले जाएँ एवं गर्दन नीची करते हुए ठुड्डी (chin) को छाती से स्पर्श कराएँ।
- विशेष लाभ के लिए श्वास छोड़ते हुए पेट को सिकोड़ें अर्थात् अंदर की तरफ़ खींचें।
Ques 2. मार्जरी आसन करने के क्या फायदे है?
Ans. मार्जरी आसन का नियमित अभ्यास करने के फायदे :-
- मार्जरी आसन के अभ्यास से कमर, मेरुदण्ड एवं गर्दन अच्छा व्यायाम (excercise) होता है। जिससे यह आसन कमर, मेरुदण्ड एवं गर्दन को सुगठित कर उन्हें लचीला एवं निरोगी रखता है।
- इस आसन के अभ्यास से कंधों और कलाईयों कि क्षमता भी बढ़ाती है।
- यह आसन क़ब्ज़ की समस्या को दूर करता है एवं पेट की अतिरिक्त चर्बी का कम करता है।
- महिलाओं के लिए यह अतिप्रभावकारी आसन है।
- इसके अभ्यास से फेफड़ों को भी पर्याप्त लाभ मिलता है।