हेलो दोस्तों आपका INDIA TODAY ONE blog में स्वागत है। इस लेख में हम विपरीत दंडासन करने का तरीका और फायदों के बारे में जानेंगे और साथ में यह भी जानेंगे कि योगासन करने के क्या नियम होते हैं।
विपरीत दंडासन करने का सही तरीका।
- विपरीत दंडासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
विपरीत दंडासन करने के फायदे।
विपरीत दंडासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- मांसपेशियों को मजबूत एवं लचीला बनाता है, विपरीत दंडासन
यह योगासन पीठ के बल पीछे की तरफ मुड़कर किया जाता है। इस योगासन के अभ्यास से कंधे, रीढ़ की हड्डी, हैमस्ट्रिंग मांसपेशियां, गर्दन, पेट की मांसपेशि और ऊसन्धि (groin) को अच्छा खिंचाव मिलता है। जिससे यह मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। और शरीर के लचीलेपन में भी सुधार लाता है।
हैमस्ट्रिंग मांसपेशि :- हैमस्ट्रिंग मांसपेशी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी है,जो दौड़ने की क्रिया में शरीर की मदद करती है। खिलाड़ियों के लगातार दौड़ते रहने से इस मांसपेशी में खासा दबाव महसूस होता है।
ऊसन्धि (groin) :- पेट के निचले हिस्से यानी कि पेडू और जांघ के बीच के भाग को ऊसन्धि (groin) कहते हैं। इसमें जननांगों के आसपास का हिस्सा भी आता है। - पीठ के निचले हिस्से (lower back) और रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ाता है, विपरीत दंडासन
इस योगाभ्यास में पीठ के बल पीछे की ओर झुकने से पीठ का निचला हिस्सा (lower back) भी खुलने लगता है। इस तरह झुकने से कमर के चारों तरफ की मांसपेशियों पर खिंचाव लगता है। और रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ता है। इस लचीलेपन का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि अधिकांश योगासनों को करने के लिए एक मजबूत पीठ और लचीली रीढ़ की हड्डी की जरूरत होती है। - दौड़ने वालों के लिए सर्वश्रेष्ठ योगासन, विपरीत दंडासन
जो लोग प्रतिदिन दौड़ते लगाते हैं उनके लिए इस योगासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। इस योगासन को करने से हैमस्ट्रिंग मांसपेशि और नितंब (hips) में खिंचाव लगता हैं। जिससे आपकी हैमस्ट्रिंग मांसपेशि को खोलने में मदद करता है। - छाती (chest) और फेफड़ों में रक्त परिसंचरण (blood circulation) बेहतर होता है।
विपरीत दंडासन का अभ्यास करते समय लंबी-लंबी श्वास लीं जाती हैं। जिससे छाती और फेफड़ों में रक्त का प्रवाह अच्छे से होता है। और फेफड़ों की कार्य क्षमता में सुधार होता है तथा छाती (chest) मजबूत बनती है - साइटिका की समस्या को कम करता है, विपरीत दंडासन
विपरीत दंडासन का प्रतिदिन अभ्यास से कटिस्नायुशूल (sciatica) जैसी समस्या से राहत मिलती हैं।
कटिस्नायुशूल (sciatica) :- sciatic nerve आपकी रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर आपके कूल्हों से लेकर पैरों तक जाती है। यह मानव शरीर की सबसे महत्वपूर्ण तंत्रिकाओं में से एक है। आमतौर पर यह दर्द लोगों को 30 साल के बाद ही होता है। sciatic nerve में हुई समस्या से जूझ रहे मरीजों को कमर दर्द, पैरों में सुन्नापन आना या दर्द का अनुभव होना आदि।साइटिका को कटिस्नायुशूल के नाम से भी जाना जाता है। - दिमाग को शांत करता है और चिंता (anxiety) लेवल को कम करता है।
चिंता (anxiety) को कम करने और दिमाग को शांत करने के लिए विपरीत दंडासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। मानसिक समस्याएं जैसे तनाव, चिंता और घबराहट आदि को दूर करने के लिए भी नियमित रूप से विपरीत दंडासन का अभ्यास फायदेमंद माना जाता है। - पाचन तंत्र (Digestive System) को सुधरता है, विपरीत दंडासन
पाचन तंत्र के लिए विपरीत दंडासन का अभ्यास लाभप्रद माना जाता है। इसका अभ्यास करते समय पेट पर दबाव पड़ता है। जिसकी वजह से पेट के भीतरी अंग उत्तेजित होने लगते हैं और पाचन तंत्र (Digestive System) मजबूत बनता हैं। रोजाना विपरीत दंडासन का अभ्यास करने वाले लोगों में पेट या पाचन से जुड़ी समस्याओं का खतरा नहीं रहता है। - शरीर में संतुलन में सुधार लाता है।
इस योगासन को करते समय कूल्हों के दोनों किनारों पर समान रूप से खिंचाव आता है। शरीर के संतुलन को ठीक बनाए रखने के लिए विपरीत दंडासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। - शरीर के कई अंगों को उत्तेजित (Stimulate) करता है।
हाथों को योग चटाई पर रखकर पूरे शरीर का दबाव डालने से हाथों पर मौजूद कई एक्यूप्रेशर बिंदु (acupressure point) पर दबाव पड़ता है। इन बिंदुओं को एक्यूप्रेशर चिकित्सा (acupressure therapy) में बहुत अहम माना जाता है। ये बिंदु शरीर के विभिन्न अंगों को उत्तेजित कर सकते हैं। इस तरह के दबाव से लिवर, अग्न्याशय (pancreas), किडनी, पेट और प्लीहा या तिल्ली (Spleen में Stimulate बढ़ जाता है।
पैंक्रियाज :- पैंक्रियाज पेट में स्थित एक अंग है पैंक्रियाज आपके पेट के पीछे और छोटी आंत के पास एक लंबी ग्रंथि (gland) है पैंक्रियाज के दो मुख्य काम हैं:- प्रथम एक्सोक्राइन फंक्शन जो पाचन में मदद करता है और द्वितीय एंडोक्राइन जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है.
प्लीहा या तिल्ली (Spleen) :- प्लीहा या तिल्ली (Spleen) एक अंग है जो सभी रीढ़धारी प्राणियों में पाया जाता है। मानव में तिल्ली पेट में स्थित रहता है। यह पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने का कार्य करता है तथा रक्त का संचित भंडार भी है। यह रोग निरोधक तंत्र का एक भाग है।
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योग के नियम
अगर आप इन कुछ सरल नियमों का पालन करेंगे, तो अवश्य ही आपको योग अभ्यास का पूरा लाभ मिलेगा।
- किसी गुरु के निर्देशन में योग अभ्यास आरम्भ करें।
- सूर्योदय या सूर्यास्त का वक़्त योग का सही समय है।
- योग करने से पहले स्नान ज़रूर करें।
- योग खाली पेट करें और योग करने के 2 घंटे पहले कुछ ना खायें।
- योग आरामदायक सूती कपड़े पहन के करे
- तन की तरह मन भी स्वच्छ होना चाहिए योग करने से पहले सब बुरे ख़याल दिमाग़ से निकाल दें।
- किसी शांत वातावरण और साफ जगह में योग अभ्यास करें।
- अपना पूरा ध्यान अपने योग अभ्यास पर ही केंद्रित रखें।
- योग अभ्यास धैर्य और दृढ़ता से करें।
- अपने शरीर के साथ जबरदस्ती बिल्कुल ना करें।
- धीरज रखें। योग के लाभ महसूस होने मे वक़्त लगता है।
- निरंतर योग अभ्यास जारी रखें।
- योग करने के 30 मिनिट बाद तक कुछ ना खायें। 1 घंटे तक न नहायें।
- प्राणायाम हमेशा आसन अभ्यास करने के बाद करें।
- अगर कोई मेडिकल तकलीफ़ हो तो पहले डॉक्टर से ज़रूर सलाह करें।
- अगर तकलीफ़ बढ़ने लगे या कोई नई तकलीफ़ हो जाए तो तुरंत योग अभ्यास रोक दें।
- योगाभ्यास के अंत में हमेशा शवासन करें।
योग के प्रमुख उद्देश्य
योग के उद्देश्य :-
- तनाव से मुक्त जीवन
- मानसिक शक्ति का विकास करना
- प्रकृति के विपरीत जीवन शैली में सुधार करना
- निरोगी काया
- रचनात्मकता का विकास करना
- मानसिक शांति प्राप्त करना
- सहनशीलता में वृद्धि करना
- नशा मुक्त जीवन
- वृहद सोच
- उत्तम शारीरिक क्षमता का विकास करना
योग के लाभ/महत्व
- रोज सुबह उठकर योग का अभ्यास करने से अनेक फायदे हैं योग मन, मस्तिष्क, ध्यान और शरीर के सभी अंगो का एक संतुलित वर्कआउट है जो आपके सोच-विचार करने की शक्ति व मस्तिष्क के कार्यों को बढ़ाता है तनाव को कम करता है।
- योग मन को अनुशासित करता है।
- जहां जीम व एक्सरसाइज आदि से शरीर के किसी विशेष अंग का विकास या व्यायाम हो पाता है वही योग करने से शरीर के समस्त अंगों का, ज्ञानेंद्रियों, इंद्रियों, ग्रंथियों का विकास और व्यायाम होता है जिससे शरीर के समस्त अंग सुचारू रूप से कार्य करते हैं।
- प्रतिदिन योग करने से शरीर निरोगी बनता है।
- योग का प्रयोग शारीरिक,मानसिक,बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास के लिए हमेशा से होता आ रहा है आज की चिकित्सा शोधों व डॉक्टरों ने यह साबित कर दिया है कि YOGA शारीरिक और मानसिक रूप से मानव जाति के लिए वरदान है।
- योग एकाग्रता को बढ़ाता है। प्रतिदिन योग करने से हमारी अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रता बढ़ती है।
- प्रतिदिन योगासन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है शरीर स्वस्थ, निरोगी और बलवान बनता है।
- योग के द्वारा आंतरिक शक्ति का विकास होता है।
- योग से ब्लड शुगर का लेवल स्थिर रहता है। ब्लड शुगर घटने व बढने की समस्या नहीं होती है।
- योग कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है।
- योग ज्ञानेंद्रियों, इंद्रियों को जागृत करता है।
- योग डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद है।
- योगासनों के नित्य अभ्यास से शरीर की सभी मांसपेशियों का अच्छा विकास व व्यायाम होता है जिससे तनाव दूर होता है
- अच्छी नींद आती है भूख अच्छी लगती है पाचन तंत्र सही रहता है।
- योगासनों के नित्य अभ्यास से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बहुत सी स्टडीज में साबित यह हो चुका है कि अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर व डायबिटीज के मरीज योग द्वारा पूर्ण रूप से स्वस्थ होते हैं।
- कुछ योगासनों और मेडिटेशन के द्वारा अर्थराइटिस, कमर में दर्द, घुटनों में दर्द जोड़ों में दर्द आदि दर्द मे काफी सुधार होता है। गोली-दवाइयों की आवश्यकता कम हो जाती है।
- योग बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद है। योगासनों के नित्य अभ्यास से बच्चों में मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक शक्ति का विकास होता है। जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर है वह भी मेडिटेशन के द्वारा पढ़ाई में सर्वश्रेष्ठ हो सकते है अपनी एकाग्रता में सुधार कर सकते है।
सारांश
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
विपरीत दंडासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQ
Ques 1. विपरीत दंडासन करने के क्या फायदे है?
Ans. विपरीत दंडासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- मांसपेशियों को मजबूत एवं लचीला बनाता है, विपरीत दंडासन
यह योगासन पीठ के बल पीछे की तरफ मुड़कर किया जाता है। इस योगासन के अभ्यास से कंधे, रीढ़ की हड्डी, हैमस्ट्रिंग मांसपेशियां, गर्दन, पेट की मांसपेशि और ऊसन्धि (groin) को अच्छा खिंचाव मिलता है। जिससे यह मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। और शरीर के लचीलेपन में भी सुधार लाता है।
हैमस्ट्रिंग मांसपेशि :- हैमस्ट्रिंग मांसपेशी हिप से लेकर घुटने तक जांघों के पीछे मौजूद मांसपेशी है,जो दौड़ने की क्रिया में शरीर की मदद करती है। खिलाड़ियों के लगातार दौड़ते रहने से इस मांसपेशी में खासा दबाव महसूस होता है।
ऊसन्धि (groin) :- पेट के निचले हिस्से यानी कि पेडू और जांघ के बीच के भाग को ऊसन्धि (groin) कहते हैं। इसमें जननांगों के आसपास का हिस्सा भी आता है। - पीठ के निचले हिस्से (lower back) और रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ाता है, विपरीत दंडासन
इस योगाभ्यास में पीठ के बल पीछे की ओर झुकने से पीठ का निचला हिस्सा (lower back) भी खुलने लगता है। इस तरह झुकने से कमर के चारों तरफ की मांसपेशियों पर खिंचाव लगता है। और रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ता है। इस लचीलेपन का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि अधिकांश योगासनों को करने के लिए एक मजबूत पीठ और लचीली रीढ़ की हड्डी की जरूरत होती है। - दौड़ने वालों के लिए सर्वश्रेष्ठ योगासन, विपरीत दंडासन
जो लोग प्रतिदिन दौड़ते लगाते हैं उनके लिए इस योगासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। इस योगासन को करने से हैमस्ट्रिंग मांसपेशि और नितंब (hips) में खिंचाव लगता हैं। जिससे आपकी हैमस्ट्रिंग मांसपेशि को खोलने में मदद करता है। - छाती (chest) और फेफड़ों में रक्त परिसंचरण (blood circulation) बेहतर होता है।
विपरीत दंडासन का अभ्यास करते समय लंबी-लंबी श्वास लीं जाती हैं। जिससे छाती और फेफड़ों में रक्त का प्रवाह अच्छे से होता है। और फेफड़ों की कार्य क्षमता में सुधार होता है तथा छाती (chest) मजबूत बनती है - साइटिका की समस्या को कम करता है, विपरीत दंडासन
विपरीत दंडासन का प्रतिदिन अभ्यास से कटिस्नायुशूल (sciatica) जैसी समस्या से राहत मिलती हैं।
कटिस्नायुशूल (sciatica) :- sciatic nerve आपकी रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर आपके कूल्हों से लेकर पैरों तक जाती है। यह मानव शरीर की सबसे महत्वपूर्ण तंत्रिकाओं में से एक है। आमतौर पर यह दर्द लोगों को 30 साल के बाद ही होता है। sciatic nerve में हुई समस्या से जूझ रहे मरीजों को कमर दर्द, पैरों में सुन्नापन आना या दर्द का अनुभव होना आदि।साइटिका को कटिस्नायुशूल के नाम से भी जाना जाता है। - दिमाग को शांत करता है और चिंता (anxiety) लेवल को कम करता है।
चिंता (anxiety) को कम करने और दिमाग को शांत करने के लिए विपरीत दंडासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। मानसिक समस्याएं जैसे तनाव, चिंता और घबराहट आदि को दूर करने के लिए भी नियमित रूप से विपरीत दंडासन का अभ्यास फायदेमंद माना जाता है। - पाचन तंत्र (Digestive System) को सुधरता है, विपरीत दंडासन
पाचन तंत्र के लिए विपरीत दंडासन का अभ्यास लाभप्रद माना जाता है। इसका अभ्यास करते समय पेट पर दबाव पड़ता है। जिसकी वजह से पेट के भीतरी अंग उत्तेजित होने लगते हैं और पाचन तंत्र (Digestive System) मजबूत बनता हैं। रोजाना विपरीत दंडासन का अभ्यास करने वाले लोगों में पेट या पाचन से जुड़ी समस्याओं का खतरा नहीं रहता है। - शरीर में संतुलन में सुधार लाता है।
इस योगासन को करते समय कूल्हों के दोनों किनारों पर समान रूप से खिंचाव आता है। शरीर के संतुलन को ठीक बनाए रखने के लिए विपरीत दंडासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। - शरीर के कई अंगों को उत्तेजित (Stimulate) करता है।
हाथों को योग चटाई पर रखकर पूरे शरीर का दबाव डालने से हाथों पर मौजूद कई एक्यूप्रेशर बिंदु (acupressure point) पर दबाव पड़ता है। इन बिंदुओं को एक्यूप्रेशर चिकित्सा (acupressure therapy) में बहुत अहम माना जाता है। ये बिंदु शरीर के विभिन्न अंगों को उत्तेजित कर सकते हैं। इस तरह के दबाव से लिवर, अग्न्याशय (pancreas), किडनी, पेट और प्लीहा या तिल्ली (Spleen में Stimulate बढ़ जाता है।
पैंक्रियाज :- पैंक्रियाज पेट में स्थित एक अंग है पैंक्रियाज आपके पेट के पीछे और छोटी आंत के पास एक लंबी ग्रंथि (gland) है पैंक्रियाज के दो मुख्य काम हैं:- प्रथम एक्सोक्राइन फंक्शन जो पाचन में मदद करता है और द्वितीय एंडोक्राइन जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है.
प्लीहा या तिल्ली (Spleen) :- प्लीहा या तिल्ली (Spleen) एक अंग है जो सभी रीढ़धारी प्राणियों में पाया जाता है। मानव में तिल्ली पेट में स्थित रहता है। यह पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने का कार्य करता है तथा रक्त का संचित भंडार भी है। यह रोग निरोधक तंत्र का एक भाग है।