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    शलभासन करने का तरीका और फायदे – Method and benefits of Shalabhasan in Hindi | 1

    शलभासन
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    हेलो दोस्तों आपका INDIA TODAY ONE blog में स्वागत है। इस लेख में हम शलभासन करने का तरीका और फायदो के बारे में जानेंगे और साथ में यह भी जानेंगे कि योगासन करने के क्या नियम होते हैं।

    शलभासन करने का सही तरीका

    • शलभासन से सम्बंधित विडियो।

    शलभासन की अवस्थाएं 

    • शलभासन – 1

    शलभासन

    • शलभासन – 2

    शलभासन

    • शलभासन – 3

    शलभासन

    शलभासन करने के फायदे

    शलभासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे 

    • शलभासन मांसपेशियों को मजबूत व लचीला बनाएं।
    1. शलभासन के नियमित अभ्यास से शरीर की कई मांसपेशियों में लचीलापन व मजबूत आती है। इसमें हाथों, जांघों, पीठ, सीने और कोर मांसपेशियां (core muscles) शामिल हैं।
    2. core muscles :- कोर की मांसपेशियों में पेट की मांसपेशियां, पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियां, आपके ग्लूट्स और यहां तक कि आपके पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां भी शामिल हैं।
    3. पेल्विक फ्लोर :- पेल्विक फ्लोर उन सभी मांसपेशियों का समूह है जो मूत्राशय (Urinary Bladder), गर्भाशय (Uterus), प्रोस्टेट (Prostate), योनि (Vagina), मलाशय (rectum), और गुदा से जुड़ी रहती हैं। पेल्विक क्षेत्र जांघ के ऊपर और नाभि के नीचे मौजूद होता है। लोगों को पेल्विक फ्लोर से जुड़ी समस्याएं तब होती हैं जब पेल्विक मसल्स काम करना बंद कर देते हैं।
    • शलभासन का प्रतिदिन अभ्यास करने से पीठ के दर्द, हल्के कटिस्नायुशूल (sciatica) और स्लिप डिस्क से पीड़ित लोगों को राहत मिलती है। लेकिन अगर समस्या गंभीर हो तो पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य से सलाह ज़रूर लें।
    1. स्लिप डिस्क :- विशेषज्ञों के अनुसार रीढ़ की हड्डियों को सहारा देने, हड्डियों को लचीला बनाकर रखने, उन्हें किसी भी तरह के झटके और चोट से बचाने के लिए छोटी-छोटी गद्देदार डिस्क होती हैं। अगर ये डिस्क किसी कारणवश सूज जाती हैं या टूट जाती हैं, तो उन्हें स्लिप डिस्क कहा जाता है।
    • यह योगासन पीठ के निचले हिस्से और गर्दन की मांसपेशियों में रक्त की आपूर्ति में सुधार लाता है।
    • शलभासन का प्रतिदिन अभ्यास करने से अनेक प्रकार की बीमारियों को ठीक किया जा सकता है।यह हमारे पाचन तंत्र से सम्बंधित समस्या को ठीक करता है, शरीर में अम्ल और क्षार के संतुलन को बनाये रखता है। यह मूत्र संबंधी विकारों को सुधारने में मदद करता है। और रीढ़ की हड्डी से सम्बंधित समस्या को दूर करता है।
    • यह सभी शलभासन की अवस्था मेरुदंड के रोगो के लिए बहुत ही लाभप्रद है।

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    योग के नियम

    अगर आप इन कुछ सरल नियमों का पालन करेंगे, तो अवश्य ही आपको योग अभ्यास का पूरा लाभ मिलेगा।

    • किसी गुरु के निर्देशन में योग अभ्यास आरम्भ करें।
    • सूर्योदय या सूर्यास्त का वक़्त योग का सही समय है।
    • योग करने से पहले स्नान ज़रूर करें।
    • योग खाली पेट करें और योग करने के 2 घंटे पहले कुछ ना खायें।
    • योग आरामदायक सूती कपड़े पहन के करे
    • तन की तरह मन भी स्वच्छ होना चाहिए योग करने से पहले सब बुरे ख़याल दिमाग़ से निकाल दें।
    • किसी शांत वातावरण और साफ जगह में योग अभ्यास करें।
    • अपना पूरा ध्यान अपने योग अभ्यास पर ही केंद्रित रखें।
    • योग अभ्यास धैर्य और दृढ़ता से करें।
    • अपने शरीर के साथ जबरदस्ती बिल्कुल ना करें।
    • धीरज रखें। योग के लाभ महसूस होने मे वक़्त लगता है।
    • निरंतर योग अभ्यास जारी रखें।
    • योग करने के 30 मिनिट बाद तक कुछ ना खायें। 1 घंटे तक न नहायें।
    • प्राणायाम हमेशा आसन अभ्यास करने के बाद करें।
    • अगर कोई मेडिकल तकलीफ़ हो तो पहले डॉक्टर से ज़रूर सलाह करें।
    • अगर तकलीफ़ बढ़ने लगे या कोई नई तकलीफ़ हो जाए तो तुरंत योग अभ्यास रोक दें।
    • योगाभ्यास के अंत में हमेशा शवासन करें।

    योग के प्रमुख उद्देश्य 

    योग के उद्देश्य :-

    • तनाव से मुक्त जीवन
    • मानसिक शक्ति का विकास करना
    • प्रकृति के विपरीत जीवन शैली में सुधार करना
    • निरोगी काया
    • रचनात्मकता का विकास करना
    • मानसिक शांति प्राप्त करना
    • सहनशीलता में वृद्धि करना
    • नशा मुक्त जीवन
    • वृहद सोच
    • उत्तम शारीरिक क्षमता का विकास करना

    योग के लाभ/महत्व

    • रोज सुबह उठकर योग का अभ्यास करने से अनेक फायदे हैं योग मन, मस्तिष्क, ध्यान और शरीर के सभी अंगो का एक संतुलित वर्कआउट है जो आपके सोच-विचार करने की शक्ति व मस्तिष्क के कार्यों को बढ़ाता है तनाव को कम करता है।
    • योग मन को अनुशासित करता है।
    • जहां जीम व एक्सरसाइज आदि से शरीर के किसी विशेष अंग का विकास या व्यायाम हो पाता है वही योग करने से शरीर के समस्त अंगों का, ज्ञानेंद्रियों, इंद्रियों, ग्रंथियों का विकास और व्यायाम होता है जिससे शरीर के समस्त अंग सुचारू रूप से कार्य करते हैं।
    • प्रतिदिन योग करने से शरीर निरोगी बनता है।
    • योग का प्रयोग शारीरिक,मानसिक,बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास के लिए हमेशा से होता आ रहा है आज की चिकित्सा शोधों व डॉक्टरों ने यह साबित कर दिया है कि YOGA शारीरिक और मानसिक रूप से मानव जाति के लिए वरदान है।
    • योग एकाग्रता को बढ़ाता है। प्रतिदिन योग करने से हमारी अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रता बढ़ती है।
    • प्रतिदिन योगासन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है शरीर स्वस्थ, निरोगी और बलवान बनता है।
    • योग के द्वारा आंतरिक शक्ति का विकास होता है।
    • योग से ब्लड शुगर का लेवल स्थिर रहता है। ब्लड शुगर घटने व बढने की समस्या नहीं होती है।
    • योग कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है।
    • योग ज्ञानेंद्रियों, इंद्रियों को जागृत करता है।
    • योग डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद है।
    • योगासनों के नित्य अभ्यास से शरीर की सभी मांसपेशियों का अच्छा विकास व व्यायाम होता है जिससे तनाव दूर होता है
    • अच्छी नींद आती है भूख अच्छी लगती है पाचन तंत्र सही रहता है।
    • योगासनों के नित्य अभ्यास से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बहुत सी स्टडीज में साबित यह हो चुका है कि अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर व डायबिटीज के मरीज योग द्वारा पूर्ण रूप से स्वस्थ होते हैं।
    • कुछ योगासनों और मेडिटेशन के द्वारा अर्थराइटिस, कमर में दर्द, घुटनों में दर्द जोड़ों में दर्द आदि दर्द मे काफी सुधार होता है। गोली-दवाइयों की आवश्यकता कम हो जाती है।
    • योग बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद है। योगासनों के नित्य अभ्यास से बच्चों में मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक शक्ति का विकास होता है। जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर है वह भी मेडिटेशन के द्वारा पढ़ाई में सर्वश्रेष्ठ हो सकते है अपनी एकाग्रता में सुधार कर सकते है

    सारांश

    शलभासन का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं। इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना योगासन का आरंभ न करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।

    FAQ

    Ques 1. शलभासन करने के क्या फायदे  है?
    Ans. शलभासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे 

    • शलभासन मांसपेशियों को मजबूत व लचीला बनाएं।
    1. शलभासन के नियमित अभ्यास से शरीर की कई मांसपेशियों में लचीलापन व मजबूत आती है। इसमें हाथों, जांघों, पीठ, सीने और कोर मांसपेशियां शामिल हैं।
    2. core muscles :- कोर की मांसपेशियों में पेट की मांसपेशियां, पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियां, आपके ग्लूट्स और यहां तक कि आपके पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां भी शामिल हैं।
    3. पेल्विक फ्लोर :- पेल्विक फ्लोर उन सभी मांसपेशियों का समूह है जो मूत्राशय (Urinary Bladder), गर्भाशय (Uterus), प्रोस्टेट (Prostate), योनि (Vagina), मलाशय (rectum), और गुदा से जुड़ी रहती हैं। पेल्विक क्षेत्र जांघ के ऊपर और नाभि के नीचे मौजूद होता है। लोगों को पेल्विक फ्लोर से जुड़ी समस्याएं तब होती हैं जब पेल्विक मसल्स काम करना बंद कर देते हैं।
    • शलभासन का प्रतिदिन अभ्यास करने से पीठ के दर्द, हल्के कटिस्नायुशूल (sciatica) और स्लिप डिस्क से पीड़ित लोगों को राहत मिलती है। लेकिन अगर समस्या गंभीर हो तो पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य से सलाह ज़रूर लें।
    1. स्लिप डिस्क :- विशेषज्ञों के अनुसार रीढ़ की हड्डियों को सहारा देने, हड्डियों को लचीला बनाकर रखने, उन्हें किसी भी तरह के झटके और चोट से बचाने के लिए छोटी-छोटी गद्देदार डिस्क होती हैं। अगर ये डिस्क किसी कारणवश सूज जाती हैं या टूट जाती हैं, तो उन्हें स्लिप डिस्क कहा जाता है।
    • यह योगासन पीठ के निचले हिस्से और गर्दन की मांसपेशियों में रक्त की आपूर्ति में सुधार लाता है।
    • शलभासन का प्रतिदिन अभ्यास करने से अनेक प्रकार की बीमारियों को ठीक किया जा सकता है।यह हमारे पाचन तंत्र से सम्बंधित समस्या को ठीक करता है, शरीर में अम्ल और क्षार के संतुलन को बनाये रखता है। यह मूत्र संबंधी विकारों को सुधारने में मदद करता है। और रीढ़ की हड्डी से सम्बंधित समस्या को दूर करता है।
    • यह सभी शलभासन की अवस्था मेरुदंड के रोगो के लिए बहुत ही लाभप्रद है।

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