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    सर्वांगासन (चार प्रकार) करने की विधि, फायदे और सावधानियां – Sarvangasana in Hindi.1

    सर्वांगासन
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    भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन सर्वांगासन हैं। यह सिर, कंधा तथा गर्दन के बल किये जाने वाले आसन में एक आसन है।

    इस आसन को योगासनों का राजा भी कहा जाता है। चूँकि इस आसन के अभ्यास के दौरान शरीर के सभी अंगों से योग क्रियाएँ हो जाती हैं और पूरा शरीर लाभान्वित होता है। इसलिए इस आसन का नाम सर्वांगासन है। वैसे इस आसन का अभ्यास शीर्षासन के पश्चात् करना सबसे महत्त्वपूर्ण माना गया है।

    इसलिए, इस लेख में हम  सर्वांगासन के बारे में जानेंगे। सर्वांगासन क्या है, सर्वांगासन करने का सही तरीका, सर्वांगासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।

    सर्वांगासन का शाब्दिक अर्थ।

    • इस आसन को आसनों का राजा भी कहा जाता है। सर्वांगासन एक संस्कृत भाषा का शब्द हैं। जिसमें “सर्व” का अर्थ “पूरा, पूर्ण या सभी” है। और “अंग” का अर्थ शरीर के सभी भाग अर्थात् अंग से है। चूँकि इस आसन के अभ्यास के दौरान शरीर के सभी अंगों से योग क्रियाएँ हो जाती हैं और पूरा शरीर लाभान्वित होता है। इसलिए इस आसन का नाम सर्वांगासन है। वैसे इस आसन का अभ्यास शीर्षासन के पश्चात् करना सबसे महत्त्वपूर्ण माना गया है।

    सर्वांगासन करने का सही तरीका।

    सर्वांगासन करने की विधि।

    सर्वांगासन

    विधि।

    • सर्वप्रथम अपने आसन पर पीठ के बल लेट जाएँ।
    • अब अपने दोनों हाथ आसन पर अपनी कमर के अगल-बगल में रखें।
    • अब घुटनों को एकदम सीधा रखते हुए धीरे-धीरे दोनों पैरों को ऊपर की ओर इतना उठाएँ कि कमर और पैर लगभग समकोण बना लें।
    • अब अपने दोनों हाथों की हथेलियों को कमर पर लगाएँ और धीरे-धीरे कमर को हाथों के सहारे इतना उठाएँ कि आपकी ठुड्डी आपके सीने को छूने लगे। (चित्रानुसार)
    • चूँकि आपने अभी हाथों का अवलंबन अर्थात् सहारा लिया है तो यह सालंब सर्वांगासन कहलाएगा।
    • किन्तु पुर्ण तरह से अभ्यास हो जाने के बाद हाथों का अवलंबन अर्थात् सहारा हटा लें। तो वह सर्वांगासन कहलाएगा।
    • इस आसन को प्रतिदिन करने से आशातीत लाभ होता है।
    सालंब सर्वांगासन

    अपने दोनों हाथों की हथेलियों को कमर पर लगाएँ और धीरे-धीरे कमर को हाथों के सहारे इतना उठाएँ कि आपकी ठुड्डी आपके सीने को छूने लगे। (चित्रानुसार) चूँकि इस आसन को करने के लिए आपने अभी हाथों का अवलंबन अर्थात् सहारा लिया है तो यह सालंब सर्वांगासन कहलाएगा। 

    सर्वांगासन
    सर्वांगासन

    किन्तु इस आसन का पुर्ण तरह से अभ्यास हो जाने के बाद हाथों का अवलंबन अर्थात् सहारा हटा लें। तो वह सर्वांगासन कहलाएगा।

    सर्वांगासन
    पद्म सर्वांगासन

    पद्म सर्वांगासन लगाने के लिए सर्वांगासन की अंतिम स्थिति में पहुँचकर पद्मासन लगाएँ या पहले पद्मासन लगाएँ फिर सर्वांगासन की स्थिति में पहुँच जाए तो वह पद्म सर्वांगासन कहलाएगा।

    पद्म सर्वांगासन
    एक पाद सर्वांगासन

    एक पाद सर्वांगासन के लिए एक पैर को कमर से मोड़कर सामने सिर की तरफ़ जमीन से स्पर्श कराएं।

    एक पाद सर्वांगासन

    ध्यान।

    • इस आसन का अभ्यास करते समय सहस्रार चक्र छोड़कर सम्पूर्ण कुडलिनी का ध्यान करें। विशेष रूप से विशुद्धि चक्र पर अपना ध्यान केंद्रित करें।

    श्वास का क्रम।

    • आसन का अभ्यास करते समय और वापस आते समय अंतःकुंभक करें।
    •  पूर्ण आसन पर सामान्य श्वास चलने दें।

    समय।

    • इस आसन का अभ्यास 0.5 से 5 मिनट तक कर सकते हैं। और पुर्ण तरह अभ्यास हो जाने पर समय बढ़ाएँ।

    सर्वांगासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

    सर्वांगासन करने के फायदे।

    सर्वांगासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • मूल रुप से इस आसन का प्रभाव गर्दन, थायरॉइड ग्रंथि, मेरुदंड, हृदय एवं पैरों से सम्बंधित सभी रोगों पर पड़ता है।
    • रीढ़ की हड्डी (back-bone) से जुड़ी समस्याएं जल्दी दूर होती हैं। इसके अलावा इसका नियमित अभ्यास तंत्रिका तंत्र (nervous system) के काम करने की क्षमता को बढ़ाता है।
    • गर्दन से जुड़ी कई गंभीर समस्याएं जैसे स्पॉन्डलाइटिस (Spondylitis) या गर्दन अकड़ने (Stiff Neck) जैसी समस्या दूर होती है।
      स्पॉन्डलाइटिस :- कशेरुका या वर्टिब्रा (रीढ़ की हड्डी या back-bone) में सूजन की शिकायत को ही स्पॉन्डिलाइटिस कहा जाता है। इसमें पीड़ित लोगों को गर्दन को दाएं- बाएं और ऊपर-नीचे करने में काफी दर्द होता है।
    • कंधे टोन होते हैं तथा मजबूत बनते हैं। जिन लोगों के कंधे झुके हुए होते हैं। उनके लिए यह आसन बहुत फायदेमंद होता है।
    • हृदय (Heart) और श्वसन प्रणाली (respiratory system) को मजबूत करता है।
    • इस आसन के अभ्यास से रक्त संचार में सुधार होता है। और आसन करने पर रक्त की मात्रा बढ़ जाने से ग्रंथि की कार्यक्षमता बढ़ जाती है, जिससे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
    • थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid) और हाइपोथेलेमस ग्रंथियों (hypothalamus glands) को संतुलित करता है। ताकि शरीर में उचित मात्रा में हार्मोन उत्पादन हो सके।
    • पाचन तंत्र (Digestive System) को मजबूत बनाता है। इस योगासन नियमित अभ्यास करने से पाचन ग्रंथियां उत्तेजित होती हैं। जिससे पाचन शक्ति बढ़ाती हैं। और कब्ज जैसी समस्या भी दूर होती है।
    • जिन लोगों की बुद्धि हमेशा भ्रमित रहती है, काम करने में मन नहीं लगता उनको यह आसन लगभग 6 महीने तक कम से कम 3-5 मिनट तक अवश्य करना चाहिए।
    • मिर्गी रोग (epilepsy disease) और कमज़ोर मस्तिष्क वालों के लिए यह आसन अत्यंत लाभकारी है।
    • मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए लाभप्रद आसान है। इस योगासन का नियमित अभ्यास करने से दिमाग तेज होता है। और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं दूर होती हैं। मस्तिष्क अवसाद (Depression) और चिंता जैसी मानसिक समस्याओं मुक्त होता है।
    • स्त्रियाँ इस आसन का अभ्यास करके कई रोगों से छुटकारा पा सकती है।
    • बालों का झड़ना रोकता है, चेहरे को साफ़, चमकदार व तजमय बनाता है।
    • नेत्र-ज्योति, निम्न रक्तचाप, पाचन संस्थान, रक्त-विकार व प्रमेह आदि रोगों के लिए यह नितांत उपयोगी है।
    • प्रमेह एक यौन संचारित संक्रमण है जो बैक्टीरिया नीसेरिया प्रमेह के कारण होता है। प्रमेह आमतौर पर यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है।
    • काम-विकार का शमन करता है।

    सावधानियां।

    • उच्च रक्तचाप, हृदय सम्बंधी बीमारी वाले लोग किसी योग गुरू के निर्देशन में ही इस आसन का अभ्यास करें।
    •  सर्वाइकल स्पॉण्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क एवं यकृत के विकार वाले इस आसन का अभ्यास न करें।

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    सारांश।

    योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक  योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।

    सर्वांगासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

    FAQs

    Ques 1. सर्वांगासन  करने की विधि?

    Ans. सर्वांगासन करने की विधि।

    • सर्वप्रथम अपने आसन पर पीठ के बल लेट जाएँ।
    • अब अपने दोनों हाथ आसन पर अपनी कमर के अगल-बगल में रखें।
    • अब घुटनों को एकदम सीधा रखते हुए धीरे-धीरे दोनों पैरों को ऊपर की ओर इतना उठाएँ कि कमर और पैर लगभग समकोण बना लें।
    • अब अपने दोनों हाथों की हथेलियों को कमर पर लगाएँ और धीरे-धीरे कमर को हाथों के सहारे इतना उठाएँ कि आपकी ठुड्डी आपके सीने को छूने लगे। (चित्रानुसार)
    • चूँकि आपने अभी हाथों का अवलंबन अर्थात् सहारा लिया है तो यह सालंब सर्वांगासन कहलाएगा।
    • किन्तु पुर्ण तरह से अभ्यास हो जाने के बाद हाथों का अवलंबन अर्थात् सहारा हटा लें। तो वह सर्वांगासन कहलाएगा।
    • इस आसन को प्रतिदिन करने से आशातीत लाभ होता है।

    Ques 2. सर्वांगासन करने के क्या फायदे  है?

    Ans. सर्वांगासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • मूल रुप से इस आसन का प्रभाव गर्दन, थायरॉइड ग्रंथि, मेरुदंड, हृदय एवं पैरों से सम्बंधित सभी रोगों पर पड़ता है।
    • रीढ़ की हड्डी (back-bone) से जुड़ी समस्याएं जल्दी दूर होती हैं। इसके अलावा इसका नियमित अभ्यास तंत्रिका तंत्र (nervous system) के काम करने की क्षमता को बढ़ाता है।
    • गर्दन से जुड़ी कई गंभीर समस्याएं जैसे स्पॉन्डलाइटिस (Spondylitis) या गर्दन अकड़ने (Stiff Neck) जैसी समस्या दूर होती है।
      स्पॉन्डलाइटिस :- कशेरुका या वर्टिब्रा (रीढ़ की हड्डी या back-bone) में सूजन की शिकायत को ही स्पॉन्डिलाइटिस कहा जाता है। इसमें पीड़ित लोगों को गर्दन को दाएं- बाएं और ऊपर-नीचे करने में काफी दर्द होता है।
    • कंधे टोन होते हैं तथा मजबूत बनते हैं। जिन लोगों के कंधे झुके हुए होते हैं। उनके लिए यह आसन बहुत फायदेमंद होता है।
    • हृदय (Heart) और श्वसन प्रणाली (respiratory system) को मजबूत करता है।
    • इस आसन के अभ्यास से रक्त संचार में सुधार होता है। और आसन करने पर रक्त की मात्रा बढ़ जाने से ग्रंथि की कार्यक्षमता बढ़ जाती है, जिससे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
    • थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid) और हाइपोथेलेमस ग्रंथियों (hypothalamus glands) को संतुलित करता है। ताकि शरीर में उचित मात्रा में हार्मोन उत्पादन हो सके।
    • पाचन तंत्र (Digestive System) को मजबूत बनाता है। इस योगासन नियमित अभ्यास करने से पाचन ग्रंथियां उत्तेजित होती हैं। जिससे पाचन शक्ति बढ़ाती हैं। और कब्ज जैसी समस्या भी दूर होती है।
    • जिन लोगों की बुद्धि हमेशा भ्रमित रहती है, काम करने में मन नहीं लगता उनको यह आसन लगभग 6 महीने तक कम से कम 3-5 मिनट तक अवश्य करना चाहिए।
    • मिर्गी रोग (epilepsy disease) और कमज़ोर मस्तिष्क वालों के लिए यह आसन अत्यंत लाभकारी है।
    • मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए लाभप्रद आसान है। इस योगासन का नियमित अभ्यास करने से दिमाग तेज होता है। और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं दूर होती हैं। मस्तिष्क अवसाद (Depression) और चिंता जैसी मानसिक समस्याओं मुक्त होता है।
    • स्त्रियाँ इस आसन का अभ्यास करके कई रोगों से छुटकारा पा सकती है।
    • बालों का झड़ना रोकता है, चेहरे को साफ़, चमकदार व तजमय बनाता है।
    • नेत्र-ज्योति, निम्न रक्तचाप, पाचन संस्थान, रक्त-विकार व प्रमेह आदि रोगों के लिए यह नितांत उपयोगी है।
    • प्रमेह एक यौन संचारित संक्रमण है जो बैक्टीरिया नीसेरिया प्रमेह के कारण होता है। प्रमेह आमतौर पर यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है।
    • काम-विकार का शमन करता है।

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