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सेतुबंधासन (दो प्रकार) करने की विधि, फायदे और सावधानियां- Bandhasana in Hindi.1

सेतुबंधासन

भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन सेतुबंधासन हैं। यह पीछे की ओर झुककर किए जाने वाले आसनों में से एक है। अंग्रेज भाषा में इसे “Bridge Pose” कहते हैं। इस आसन के अभ्यास से सीने (Chest), गर्दन(Neck) व रीढ़ की हड्डी (back-bone) और जंघा एवं पैरों की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। तथा पाचन तंत्र के लिए भी लाभप्रद आसन है।

इसलिए, इस लेख में हम  सेतुबंधासन के बारे में जानेंगे। सेतुबंधासन क्या है, सेतुबंधासन करने का सही तरीका, सेतुबंधासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।

सेतुबंधासन का शाब्दिक अर्थ।

सेतुबंधासन करने का सही तरीका।

सेतुबंधासन की प्रथम प्रकार।

सेतुबंधासन करने की प्रथम विधि।

श्वास का क्रम।

सेतुबंधासन (प्रथम प्रकार) करने के फायदे।

सेतुबंधासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) :- हड्डियों से सम्बंधित का एक चयापचय रोग है, जिसके कारण हड्डियों के घनत्व में कमी हो जाती है। इससे प्रभावित हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है और हड्डियां अधिक नाजुक हो जाती हैं, इसलिए हड्डियों के टूटने की संभावना अधिक होती है, जिसके परिणामस्वरूप हड्डियां भंग (fracture) हो जाती हैं।

साइनसाइटिस (Sinusitis) :- आंखों के बीच और माथे, नाक और गालों की हड्डियों के पीछे की तरफ छोटे-छोटे एयर पॉकेट होते हैं, जिन्हें साइनस कहा जाता है. जब साइनस और नाक के मार्ग में सूजन आ जाती है, तो इसे साइनसाइटिस कहा जाता है।

सेतुबंधासन की द्वितीय प्रकार।

सेतुबंधासन करने की द्वितीय विधि।

ध्यान।

श्वास का क्रम।

समय।

सेतुबंधासन (द्वितीय प्रकार) करने के फायदे।

सेतुबंधासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

सेतुबंधासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

सावधानियां।

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सारांश।

योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक  योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।

सेतुबंधासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

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