• Sat. Nov 16th, 2024

    INDIA TODAY ONE

    Knowledge

    पर्यंकासन (दो प्रकार) करने की विधि, फायदे और सावधानियां – Paryankasana in Hindi.1

    पर्यंकासन
    WhatsApp Group Join Now
    Telegram Group Join Now

    हेलो दोस्तों INDIA TODAY ONE blog में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम पर्यंकासन के दोनों प्रकार के बारे में जानेंगे।

    कुछ योग शिक्षक एवं योगाचार्य पर्यंकासन को सुप्त वज्रासन के समान मानते है।

    मरण्य कण्डिका नामक शास्त्र में पद्मासन को पर्यंकासन का वर्णन मिलता है यह शास्त्र आज से लगभग 1070 वर्ष पहले लिखा गया था जो कि वर्तमान में भी उपलब्ध है।

    योग भारत की प्राचीन विधा है। इतिहास की दृष्टि से यह व्यक्त करना अत्यंत कठिन होगा कि विश्व में योग विद्या का आविर्भाव कब, कैसे और कहाँ से हुआ। यदि हम प्राचीन ग्रंथों पर नज़र डालें तो योग विद्या का उल्लेख वेदों और जैन धर्म के ग्रंथों में मिलता है। अतः कह सकते हैं। कि योग विद्या की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने योग को हजारों साल की कठिन तपस्या के बाद निर्मित किया है। आज शरीर और मन की ऐसी कोई भी समस्या नहीं है जिसका हल योग के पास न हो। इस ज्ञान को अब वैज्ञानिक मान्यता भी मिल चुकी है।

    आज लोगों का मानना है कि महर्षि पतंजलि ने योग का निरूपण किया जबकि योग के प्रथम गुरु भगवान शिव ही हैं। महर्षि पतंजलि ने तो केवल अष्टांग योग का प्रतिपादन किया जो कि यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान तथा समाधि के रूप में गृहीत है।

    योगाभ्यास के दौरान शरीर को कई बार आध्यात्मिक अनुभव भी होते हैं। ये अनुभव किसी भी इंसान के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। योग आपके जीवन को नई दिशा देता है, योग आपको खुद से मिलाने की ही एक यात्रा है।

    भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन पर्यंकासन हैं।

    इसलिए, इस लेख में हम पर्यंकासन के दोनों प्रकार के बारे में जानेंगे। पर्यंकासन क्या है, पर्यंकासन करने का सही तरीका, पर्यंकासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे। और साथ में हम योग करने के नियम, योग के प्रमुख उद्देश्य और योग का हमारे जीवन में क्या महत्व हैं इसके बारे में भी जानेंगे।

    पर्यंकासन का शाब्दिक अर्थ।

    • पर्यंकासन एक संस्कृत शब्द है जो योग में प्रयुक्त एक प्रकार के आसन को संदर्भित करता है। और पर्यंक का अर्थ विस्तर से है।

    पर्यंकासन (प्रथम प्रकार)

    पर्यंकासन (प्रथम प्रकार) करने का सही तरीका।

    पर्यंकासन (प्रथम प्रकार) करने की विधि।

    पर्यंकासन

     

    विधि।

    • सर्वप्रथम आप अपने आसन पर प्रसन्न मन से वज्रासन में बैठ जाएँ।
    • अब पीठ की तरफ़ झुकें। इस आसन में केवल सिर के ऊर्ध्वभाग को ज़मीन पर स्पर्श कराएं। पीठ और गर्दन को ऊपर उठाएँ रखें।
    • अब दोनों हाथों को सिर के पास ले जाकर चित्र अनुसार आपस में बाँध लें। और सामान्य रूप से श्वास लें।
    • इस मुद्रा में लगभग 40 से 50 सेकंड रुकें। हाथों को छोड़ दें और वापस वज्रासन में आने के बाद पैरों को एक-एक करके सीधा कर लें।

    श्वासक्रम।

    • पूर्ण आसन में धीरे-धीरे गहरा श्वसन करें। मूल अवस्था में लौटते समय श्वास लें।

    समय।

    • इस आसन में निपुण होने के बाद 50 sec. से लेकर 3 minute तक इस मुद्रा में रूके और 2 से 3 बार अभ्यास करें।

    पर्यंकासन (प्रथम प्रकार) का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।

    पर्यंकासन (प्रथम प्रकार) करने के फायदे।

    पर्यंकासन (प्रथम प्रकार) का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • वे सभी लाभ मिलते हैं जो वज्रासन, सुप्त वज्रासन और मत्स्यासन से मिलते हैं।
    • श्वास रोगी के लिए लाभप्रद आसान है।
    • इस आसन का अभ्यास करने से पृष्ठीय क्षेत्र पूर्णतः फैलते हैं, जिससे फुफ्फुस अच्छी तरह फैल जाते हैं। श्वास संबंधी समस्या दूर होती है।
    • गर्दन के स्नायु (Muscle) तन जाती हैं और गल-ग्रंथि (laryngeal gland) उत्तेजित हो जाती है। इस कारण यह ठीक काम करती है।
    • यह आसन थायराइड के रोग को समाप्त करता है।

    सावधानियां।

    • सुप्त वज्रासन में रखी जाने वाली सावधानियां को ध्यान में रखें।
    • वापस मूल अवस्था (वज्रासन की अवस्था) में आने के बाद ही पैरों को आगे फैलाएँ अन्यथा घुटने के जोड़ खिसक सकते हैं।
    • साइटिका/तीव्र कमर दर्द, घुटने के दर्द, स्लिप डिस्क वाले व्यक्ति धैर्य पूर्वक करें।
    • स्लिप डिस्क :- रीढ़ में हर डिस्क के दो भाग होते हैं- एक नरम, भीतरी हिस्सा और दूसरा, कठोर आउटर रिंग. अक्सर इंजरी या वीकनेस की वजह से डिस्क का भीतरी हिस्सा आउटर रिंग से बाहर निकल जाता है. मेडिकल भाषा में इसे स्लिप डिस्क कहा जाता है
    • अपनी क्षमता से अधिक देर तक या ज़बर्दस्ती न बैठें।
    • अगर आप के घुटनों में दर्द हें तो पहले पवनमुक्तासन संबंधी क्रियाओं को करें।

    पर्यंकासन (द्वितीय प्रकार)

    पर्यंकासन (द्वितीय प्रकार) करने का सही तरीका।

    पर्यंकासन (द्वितीय प्रकार) करने की विधि।

    पर्यंकासन

    विधि।

    • सर्वप्रथम अपने आसन पर सामने की तरफ़ दोनों पैरों को फैलाकर लेट जाएँ।
    • अब बाईं तरफ़ करवट लेकर बाएँ पैर को घुटने से थोड़ा मोड़ लें।
    • अब बायाँ हाथ बाएँ पैर पर चित्रानुसार रख लें और हथेली से सिर को सहारा दें। (चित्रानुसार)
    • अब दाहिना पैर सीधा सामने की तरफ फैला लें और दाहिने हाथ को दाहिने पैर की जंघा पर रखें। (चित्रानुसार)
    • अब यही क्रिया पैर बदलकर दोहराएं।

    श्वास का क्रम।

    • अभ्यास के दौरान पैरों को उठाते समय श्वास लें।
    • आसन की पूर्ण अवस्था में गहरा श्वास-प्रश्वास करें परन्तु धीमा करें।
    • वापस मूल अवस्था में लौटते समय श्वास छोड़ें।

    समय।

    • इस आसन का अभ्यास आधे से 1 मिनट करें।

    पर्यंकासन (द्वितीय प्रकार) करने के फायदे।

    पर्यंकासन (द्वितीय प्रकार) का नियमित अभ्यास करने के फायदे।

    • इस आसन के अभ्यास से जांघ, कमर, पीठ, मेरुदण्ड, ग्रीवा, वक्षःस्थल व पाचन तंत्र पर  विशेष प्रभाव पड़ता हैं। अतः सभी अंग अधिक क्रियाशील हो जाते हैं। अर्थात् इन सभी अंगों के लिए यह लाभप्रद आसान है।

    सावधानियां।

    • इस आसन का अभ्यास वही साधक करें जो द्विपाद शिरासन को सफलतापूर्वक कर लेते हैं
    • लचीले शरीर वाले साधक अभ्यास करें।

    👉 यह भी पढ़ें

    सारांश।

    योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक  योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं। 

    पर्यंकासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    error: Content is protected !!

    Discover more from INDIA TODAY ONE

    Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

    Continue reading