भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन्हीं योगासनों में से एक प्रमुख आसन मूर्धासन (crown-based pose) हैं।
इस आसन को अंग्रेजी भाषा crown-based pose कहते जाता हैं। इस आसन का अभ्यास करने से सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इससे आपकी रीढ़ की हड्डी (spinal cord) को खिंचाव लगता है। और आपको रीढ़ की हड्डी (spinal cord) से जुड़ी समस्याओं से बचने में मदद मिलती है। इससे आपके शारीरिक संतुलन में सुधार होता है और लचीलापन (flexibility) बढ़ता है। इतना ही नहीं इससे आपके रीढ़ की हड्डी (spinal cord) व हाथों सहित हैमस्ट्रिंग मांसपेशियों और कमर वाले हिस्से में भी खिंचाव मिलता है। जिससे आप fit रहते हैं।
इस आसन का नियमित अभ्यास करने से आपको anti aging benefits मिलते हैं। यानि आप हमेशा यंग नजर आते हैं। इतना ही नहीं इस आसन को करने से आपका immune system मजबूत होता है और आपकी रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा इस आसन का प्रतिदिन अभ्यास करने से women and men में hormonal imbalance को रोकने में मदद मिलती है।
इस आसन के अभ्यास से तंत्रिका तंत्र में सुधार होता है। जिससे तनाव, चिंता और अवसाद से लड़ने में मदद मिलती है। इससे गर्दन की मांसपेशियों भी मजबूत बनती है। और मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह भी बढ़ता है। इसलिए, इस लेख में हम मूर्धासन के बारे में जानेंगे। मूर्धासन क्या है, मूर्धासन करने का सही तरीका, मूर्धासन करने के फायदे और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे।
मूर्धासन करने का सही तरीका।
मूर्धासन करने की विधि।
विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर सीधे खड़े हो जाएं।
- अब दोनों पैरों के बीच लगभग 3 फीट का अन्तर बनाएं।
- अब सामने की तरफ़ झुकें और हथेलियों को ज़मीन पर रखें।
- इस अवस्था में शरीर का वजन सामान रूप से हो।
- अब सिर के सामने वाले भाग को ज़मीन पर दोनों हाथ के बीच रखें,
- इसके पश्चात दोनों हाथों को ऊपर उठाएँ और पीठ के पीछे ले जाकर एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई को पकड़ लें।
- अब दोनों पैरों की एड़ियों को उठाएँ और शरीर का पूरा वजन सिर एवं पंजो पर स्थित करें।
- अपनी क्षमता अनुसार इस मुद्रा में रुकें।
- अब वापस दोनों हाथों को ज़मीन पर रखें और मूल अवस्था में खड़े हो जाएँ।
- कुछ योगाचार्य इसको पाद प्रसारित उत्तानासन भी कहते हैं।
श्वास का क्रम।
- इस आसन के अभ्यास के दौरान सामने की तरफ़ झुकते समय श्वास छोडें
- अंतिम अवस्था में स्वभाविक श्वास लें।
- वापस मूल अवस्था में आते समय श्वास लें।
समय।
- अपनी क्षमता अनुसार इस मुद्रा में रुकें रहे। परन्तु धीरे-धीरे समय बढ़ाते जाएं। इस प्रकार शारीरिक स्थिति के अनुरूप एक या दो चक्र करें।
मूर्धासन का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
मूर्धासन करने के फायदे।
मूर्धासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इस आसन के अभ्यास के दौरान रीढ़ की हड्डी (spinal cord) व हाथों सहित पैरों की मांसपेशियों और कमर वाले हिस्से में खिंचाव मिलता है।
- रीढ़ की हड्डी (spinal cord) को खिंचाव लगता है। जिससे रीढ़ की हड्डी (spinal cord) से जुड़ी समस्याओं से मदद मिलती है।
- शारीरिक संतुलन में सुधार होता है और लचीलापन (flexibility) बढ़ता है।
- सिर में पोषक तत्व एवं रक्त का संचार भली प्रकार से होता है। जिससे मस्तिष्क संबंधी विकार शनैः शनैः दूर हो जाते है।
- सिर में पोषक तत्व एवं रक्त का संचार भली प्रकार से होता है। मस्तिष्क संबंधी विकार शनैः शनैः दूर हो जाते है।
- यह आसन ओज, तेज और चेहरे की चमक बढ़ाता है। और चेहरे की झुर्रियों को समाप्त कर देता है।
- low blood pressure वाले व्यक्ति के लिए लाभकारी आसन हैं।
- दूषित वायु को निष्काषित करता है।
सावधानियां।
- उच्च रक्तचाप (high blood pressure) एवं सिर में कोई गंभीर चोट हो (head injury) तो न करें।
- चक्कर आना (Dizziness) व कमज़ोर मस्तिष्क (weak brain) वाले इससे परहेज रखें।
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सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
मूर्धासन, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. मूर्धासन करने की विधि?
Ans. मूर्धासन करने की विधि।
- सर्वप्रथम अपने आसन पर सीधे खड़े हो जाएं।
- अब दोनों पैरों के बीच लगभग 3 फीट का अन्तर बनाएं।
- अब सामने की तरफ़ झुकें और हथेलियों को ज़मीन पर रखें।
- इस अवस्था में शरीर का वजन सामान रूप से हो।
- अब सिर के सामने वाले भाग को ज़मीन पर दोनों हाथ के बीच रखें,
- इसके पश्चात दोनों हाथों को ऊपर उठाएँ और पीठ के पीछे ले जाकर एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई को पकड़ लें।
- अब दोनों पैरों की एड़ियों को उठाएँ और शरीर का पूरा वजन सिर एवं पंजो पर स्थित करें।
- अपनी क्षमता अनुसार इस मुद्रा में रुकें।
- अब वापस दोनों हाथों को ज़मीन पर रखें और मूल अवस्था में खड़े हो जाएँ।
- कुछ योगाचार्य इसको पाद प्रसारित उत्तानासन भी कहते हैं।
Ques 2. मूर्धासन करने के क्या फायदे है?
Ans. मूर्धासन का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- इस आसन के अभ्यास के दौरान रीढ़ की हड्डी (spinal cord) व हाथों सहित पैरों की मांसपेशियों और कमर वाले हिस्से में खिंचाव मिलता है।
- रीढ़ की हड्डी (spinal cord) को खिंचाव लगता है। जिससे रीढ़ की हड्डी (spinal cord) से जुड़ी समस्याओं से मदद मिलती है।
- शारीरिक संतुलन में सुधार होता है और लचीलापन (flexibility) बढ़ता है।
- सिर में पोषक तत्व एवं रक्त का संचार भली प्रकार से होता है। जिससे मस्तिष्क संबंधी विकार शनैः शनैः दूर हो जाते है।
- सिर में पोषक तत्व एवं रक्त का संचार भली प्रकार से होता है। मस्तिष्क संबंधी विकार शनैः शनैः दूर हो जाते है।
- यह आसन ओज, तेज और चेहरे की चमक बढ़ाता है। और चेहरे की झुर्रियों को समाप्त कर देता है।
- low blood pressure वाले व्यक्ति के लिए लाभकारी आसन हैं।
- दूषित वायु को निष्काषित करता है।