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    योगासन के नाम चित्र सहित | 200 योगासनों को करने की विधि, लाभ और सावधानियां – List of Yogasanas with Pictures

    योगासन के नाम चित्र सहित
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    इस लेख में हम योगासनों पर चर्चा करेंगे। इस लेख में लगभग क्रमबद्ध तरीके से 200 योगासन के नाम चित्र सहित और इनके अभ्यास करने की विधि, लाभ एवं सावधानियों के बारे में जानकारी दी गई है।

    यह एकदम सत्य है कि हमारे ऋषि-मुनियों का ज्ञान अथाह था। लेकिन हम हमारे ऋषि-मुनियों के ज्ञान की तुलना अपने ज्ञान से करते हैं और तर्क-वितर्क करके उनके ज्ञान को ग़लत साबित कर देते हैं या फिर हम पश्चिमी देशों के वैज्ञानिकों की बातें मान लेते हैं। यदि वे कहते हैं कि प्राचीन ऋषि-मुनियों ने गलत कहा तो हम उन्हें गलत मान लेते हैं और यदि वे कहते हैं कि आपके ऋषि-मुनियों ने सही कहा तो हम उसकी कहि बातें सही मान लेते हैं

    हम अपने दिमाग का इस्तेमाल सकारात्मक तरीके से नहीं करना चाहते। अब हम योग की बात ही कर लें,यह परंपरा हमारे भारत देश में लाखों वर्षों से चली आ रही थी। कई वर्षों पहले हमने अपनी अज्ञानता और आलस्य के कारण योगासनों पर ध्यान देना बंद कर दिया था या जब भी कोई योग करता था तो हम उस पर हंसने लगते थे। अब जब पश्चिमी देशों के लोग अपने बेहतरीन स्वास्थ्य के लिए योग अपनाने लगे हैं तो हमारी भी आँखें खुल गयी हैं।

    ये सिर्फ योगासन की बात नहीं थी बल्कि हम आज भी कई बातों पर विश्वास नहीं करते जैसे महान आत्माओं ने कहा है कि रात का खाना, शराब या मांस का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसी कई बातें हैं जिन्हें हम नजरअंदाज कर रहे हैं। अब हम अगर रात में खाना खाने का वैज्ञानिक कारण देखें तो डॉक्टर भी कहते हैं कि सोने से 4 घंटे पहले खाना खा लेना चाहिए।

    अगर हम खाना खाने के तुरंत बाद सो जाएंगे तो खाना पचेगा नहीं। यह रात भर पेट में पड़ा रहेगा और खाना सड़ जाएगा। हमारा पाचन तंत्र विटामिन और प्रोटीन को पूरी तरह से अवशोषित करने और अपना कार्य करने में असमर्थ होता है। पेट को कभी आराम नहीं मिलता। यदि भोजन नहीं पच रहा है तो वायु विकार उत्पन्न होते है, पाचन तंत्र से संबंधित समस्याएं उत्पन्न होते हैं। जिससे कई प्रकार के रोग होने की संभावना रहती है।

    इसलिए आचार्यों ने सोने से 4 घंटे पहले भोजन करने की सलाह दी है। अगर हम यहां वैज्ञानिक कारण जानेंगे तो पाएंगे कि हम उन चार घंटों में काफ़ी परिश्रम कर चुके होते हैं। जिसके कारण खाना पचने में कोई दिक्कत नहीं होती है।

    शाकाहार भोजन पर ऋषि-मुनियों ने कहा कि शाकाहार भोजन पूर्ण रूप से सुपाच्य होने के साथ-साथ हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्रदान करता है और हम कई प्रकार के पापों और दोषों से बच जाते हैं। हमारे अंदर तामसिकता का विकास नहीं होता, क्योंकि कहा जाता है कि “जैसा खाओ अन्न, वैसा बनेगा मन।” अच्छे भोजन का सेवन करने से अच्छे विचार आते है। और घर के वातावरण में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।

    अत्यधिक वासना के कारण हम कई प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। शरीर की शक्ति और चमक नष्ट हो जाती है। चेहरे की चमक खो जाती है। चेहरा झुर्रियों से भर जाता है। शारीरिक और मानसिक कमज़ोरियाँ आती हैं। आंखे कमजोर होने लगती है। औ हाथ-पैर कमजोर हो जाते हैं। याददाश्त कमजोर हो जाती है. आधुनिक शोध से पता चला है कि अत्यधिक वासना मस्तिष्क को सिकुड़ने का कारण बनती है।

    ऐसी सैकड़ों चीजें हमारे पूज्यनीय ऋषि मुनियों, संतों, आचार्यों ने बताई यदि हम उनकी बात आत्मसात् करें तो हमारे जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन हो सकता है। हम यहाँ पर योगासनों का शरीर में क्या प्रभाव पड़ता है उसकी वैज्ञानिक विवेचना करेंगे।

    ऐसी सैकड़ों बातें हमारे पूज्य ऋषि-मुनियों और आचार्यों ने बताई हैं। अगर हम उनकी बातों को हमारे जीवन में धारण कर लें तो हमारे जीवन में बड़ा बदलाव आ सकता है। इस लेख में हम योगासनों पर चर्चा करेंगे। इस लेख में योगासनों के नाम चित्र सहित और इनके अभ्यास करने की विधि, लाभ एवं सावधानियों के बारे में जानकारी दी गई है।

    Table of Contents

    योगासन के नाम चित्र सहित और करने की विधि, लाभ एवं सावधानियां।

    यौगिक सूक्ष्म व्यायाम, यौगिक स्थूल व्यायाम, पवन मुक्तासन समूह, वायु निरोधक एवं शक्ति बंध की क्रियाओं से लाभ।

     सूक्ष्म व्यायाम, यौगिक स्थूल व्यायाम, पवन मुक्तासन समूह, वायु निरोधक एवं शक्ति बंध की क्रियाओं यह सभी हल्के व्यायाम है। जो उच्च स्तरीय व्यायाम को करने के लिए शरीर को तैयार करते हैं।

    सुबह-सुबह शरीर में कड़ापन होता है। उच्च स्तरीय व्यायाम के लिए शरीर तुरंत तैयार नहीं होता है। इसलिए हल्का व्यायाम करने से अंगों और उपांगों में लचीलापन आ जाता है। हल्के व्यायाम से हमारे पूरे शरीर के सन्धि संस्थान और जोड़ खुल जाते हैं। रक्त संचार पर्याप्त मात्रा में होने लगता है और आगे योगासन करने में कोई परेशानी नहीं होती है।

    सूक्ष्म व्यायाम, यौगिक स्थूल व्यायाम, पवन मुक्तासन समूह, वायु निरोधक एवं शक्ति बंध की क्रियाओं का अभ्यास करने से पूरे शरीर में तीव्रता आ जाती है। शरीर हल्का हो जाता है। शरीर में स्फूर्ति आती है। सन्धि संस्थान, जोड़ खुल जाने के कारण इनमें फँसी हुई वायु रक्त संचार की तीव्रता के कारण वहाँ से निकल जाती है। पूरे शरीर को एक प्रकार की नई ताज़गी, चेतनता आती है। मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बढ़ने से वह सक्रिय हो जाता है।

    इस प्रकार हमारे शरीर के सभी अंग, पैर के अंगूठे से लेकर टखने तक, पिंडली, घुटने, जांघ, नितंब, कमर, पेट, पीठ, रीढ़ की हड्डी, फेफड़े, अंगुलियां, कोहनी, कंधा, गर्दन, आंखें, सिर, पाचन अंग आदि सक्रिय हो जाते हैं और उनके विकार दूर होकर हमें स्वस्थ शरीर प्रदान करते हैं।

    पद्मासन एवं ध्यान से संबंधित योगासनों के लाभ।

    प‌द्मासन एवं ध्यान से संबंधित आसनों को करने से हमारे कुण्डलिनी चक्र की ऊर्जा जागृत होती है। कुण्डलिनी चक्र की ऊर्जा उर्ध्वमुखी होती है अतः मूलाधार से लेकर सहस्त्रधार चक्र की ऊर्जा को हम आत्मसात् अर्थात् धारण कर उनसे होने वाले सभी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। तथा जीवन में नई चेतना का उदय होता है। इस अवस्था में बैठकर ध्यान करने से हम आत्म-साक्षात्कार प्राप्त कर सकते हैं। पद्मासन में बैठने से हमारी रीढ़ की हड्डी में स्थिरता आती है, अतः बढ़ती उम्र में झुकने की समस्या नहीं होती है। पद्मासन में बैठकर ध्यान के माध्यम से हम अपनी स्मरण शक्ति को तेज कर सकते हैं।

     

    पद्मासन एवं ध्यान से संबंधित योगासन के नाम चित्र सहित।

    1.सुखासनसुखासन
    2.गुप्तासनगुप्तासन
    3.मुक्तासन (प्रथम प्रकार)मुक्तासन
    4.स्वास्तिकासनस्वास्तिकासन
    5.अर्ध पद्मासनअर्ध पद्मासन
    6.पद्मासनपद्मासन
    7.गुप्त पद्मासन, पतंग आसनगुप्त पद्मासन
    8.बद्ध पद्मासनबद्ध पद्मासन
    9.सिद्धासन/विजयासनसिद्धासन
    10.पर्वतासन/वियोगासनपर्वतासन
    11.योग मुद्रासनयोग मुद्रासन

     

    वज्रासन से संबंधित आसनों से लाभ।

    जब हम वज्रासन में बैठते हैं, तो यह रक्त परिसंचरण को सुचारु करके हमारे श्रोणि क्षेत्र, प्रजनन अंगों और पाचन अंगों को सुदृढ़ करता है। प्रजनन अंग के अन्य कई रोगों में लाभ पहुंचाता है। जैसे हर्निया, शिथिलता, शुक्राणु की कमी, बवासीर, अंडकोश का बढ़ना, हाइड्रोसील आदि और महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी विकारों को दूर करता है।

    वज्रासन से संबंधित योगासन के नाम चित्र सहित।

    1.वज्रासनवज्रासन
    2.आनन्द मदिरासन/पादादिरासनआनन्द मदिरासन
    3.शशांकासन/शशांक आसनशशांकासन
    4.सुप्त वज्रासनसुप्त वज्रासन
    5.पर्यंकासन (प्रथम प्रकार)पर्यंकासन
    6.उष्ट्रासनउष्ट्रासन
    7.कूर्मासन (प्रथम प्रकार)कूर्मासन
    8.भद्रासनभद्रासन
    9.मंडूकासनमंडूकासन
    10.भेकासनभेकासन
    11.उत्तान मंडूकासन (दो प्रकार)उत्तान मंडूकासन
    12.मार्जारी/मार्जार आसनमार्जरी आसन
    13.व्याघ्रासन (प्रथम प्रकार)व्याघ्रासन
    14.वीरासन (तीन प्रकार)वीरासन

    खड़े होकर किए जाने वाले आसनों से लाभ।

    खड़े होकर किए जाने वाले आसनों के अभ्यास से पिंडली एवं जंघाओं की माँसपेशियों में मज़बूती आती है जिससे गठिया, कंपकंपी, पिंडलियों में दर्द, घुटनों की समस्या आदि रोगों से राहत मिलती है। खड़े होकर किए जाने वाले आसन पीठ की मांसपेशियों में भी खिंचाव लाते हैं, जिससे वे व्यवस्थित होती हैं।

    खड़े होकर किए जाने वाले योगासन के नाम चित्र सहित।।

    1.ताड़ासनताड़ासन
    2.तिर्यक् ताड़ासन/उर्ध्व हस्तोत्तानासनतिर्यक ताड़ासन
    3.कटि चक्रासनकटि चक्रासन
    4.गतिमय दोलासनगतिमय दोलासन
    5.संकटासनसंकटासन
    6.गरुड़ासनगरुड़ासन
    7.वृक्षासन/एकपाद नमस्कारासन/उर्ध्वहस्तस्थित एकपाद विराम आसनवृक्षासन
    8.ध्रुव आसन/भागीरथ आसनध्रुवासन
    9.पाद हस्तासन/हस्तपादासनहस्त पादासन
    10.उत्तानासन (दो प्रकार)उत्तानासन
    11.काल भैरवासन (प्रथम प्रकार)काल भैरवासन
    12.उत्थित हस्त पादांगुष्ठासनउत्थित हस्त पादांगुष्ठासन
    13.शुतुरमुर्ग आसन/गज आसनशुतुरमुर्ग आसन
    14.शीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासनशीर्ष पादांगुष्ठ स्पर्शासन
    15.वीर भद्रासन/एक पादासनवीरभद्रासन-3
    16.पादांगुष्ठासन (प्रथम प्रकार)पादांगुष्ठासन
    17.अर्ध पिंच मयूरासनअर्ध पिंच मयूरासन

    मध्यम समूह के योगासनों के लाभ।

    मध्यम समूह के योगासन के नाम चित्र सहित।

    1.बकासन (प्रथम प्रकार)/बक ध्यानासनबकासन
    2.कागासनकागासन
    3.मत्स्यासनमत्स्यासन
    4.सिंहासन (दो प्रकार)सिंहासन
    5.गोमुखासन (दो प्रकार) (सुप्त गोमुखासन/ध्यान वीरासन)गोमुखासन
    6.उत्कटासन (दो प्रकार)उत्कटासन
    7.गतिमय उत्कटासनगतिमय उत्कटासन
    8.कुक्कुटासनकुक्कुटासन
    9.वृषभासनवृषभासन
    10.त्रिकोणासन (तीन प्रकार)त्रिकोणासन
    11.अष्टांग नमस्कारअष्टांग नमस्कार
    12.हनुमानासनहनुमानासन
    13.अर्ध चंद्रासन (चार प्रकार) अर्ध चंद्रासन
    14.लोलासनलोलासन
    15.तुलासन/झूलासन/उत्थित पद्मासन (प्रथम प्रकार)तुलासन
    16.मेरु आकर्षणासन/सुप्त एक हस्तपाद उर्ध्वासन
    17.वशिष्ठासनवसिष्ठासन
    18.गर्भासन/गर्भ पिण्डासन/उत्तान कूर्मासनगर्भासन
    19.मुक्तासन (द्वितीय प्रकार)मुक्तासन
    20.खगासन
    21.सेतुआसन/रपटासन/विपरीत दण्डासन/पूर्वोत्तानासनपूर्वोत्तानासन
    22.खंजनासनखंजनासन
    23.विपरीत शीर्ष द्विहस्त बद्धासन/कल्याणासनविपरीत शीर्ष द्विहस्त बद्धासन

    पीछे की ओर झुककर किए जाने वाले आसनों से लाभ।

    पीछे की ओर झुक कर किये जाने वाले योगासनों से हमारे फेफड़ों का विस्तार होता है।जिससे वे अधिक मात्रा में ऑक्सीजन संग्रहित करते हैं और हमारे शरीर को नवयौवनता प्रदान करते हैं। पीछे झुकने से पेट क्षेत्र की मांसपेशियों में खिंचाव लगता है। और रक्त का संचार अच्छे प्रकार से होता है। जिससे पाचन तंत्र मजबूत होता है। और उनके अंगों को अच्छी मसाज भी हो जाती है।

    पीछे की ओर झुक कर किये जाने वाले योगासनों से हमारे मेरुदण्ड की तंत्रिकाएँ पुष्ट होती हैं। पूरा शरीर इनसे जुड़ा हुआ होता है। अतः उनके संतुलन को ठीक कर उनसे होने वाली बीमारियाँ जैसे, slip disc, sciatica, spondylitis एवं मेरुदण्ड के कई रोग आदि को ठीक करता है।

    पीछे की ओर झुककर किए जाने वाले योगासन के नाम चित्र सहित।

    1.भुजंगासनभुजंगासन
    2.उत्थान पृष्ठासन
    3.धनुरासनधनुरासन
    4.चक्रासन (अर्ध चक्रासन, अनु चक्रासन, उर्ध्व धनुरासन)चक्रासन
    5.पूर्ण चक्रासन/चक्र बंधासनपूर्ण चक्रासन
    6.सेतुबंधासन/शीर्ष पादासनसेतुबंधासन
    7.ग्रीवासनग्रीवासन

    सिर, कंधा तथा गर्दन के बल किए जाने वाले आसनों से लाभ।

    सिर के बल किए जाने वाले आसनों के अभ्यास से मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ता है। जिससे सिर को संपूर्ण पोषण मिलता है।पीयूष ग्रंथि की कार्यप्रणाली में सुधार होता है। जिससे हमारी सोचने-समझने की शक्ति विकसित होती है। हमारे पूरे शरीर में रक्त संचार तीव्र हो जाता है। जिससे हृदय क्षेत्र सुव्यवस्थित होता है और हमारे रक्त की शुद्धता बढ़ती है। पेट, पीठ आदि अंदरूनी अंगों की कार्यप्रणाली बेहतर ढंग से काम करने लगती है। चाहे हमारी मानसिक बीमारी हो, बालों का झड़ना हो, चेहरे की सुंदरता हो या हम कह सकते हैं कि सिर और कंधों के बल पर किए जाने वाले आसन कायाकल्प का काम करते हैं।

    सिर, कंधा तथा गर्दन के बल किए जाने वाले योगासन के नाम चित्र सहित।

    1.सर्वांगासन (चार प्रकार)सर्वांगासन
    2.पद्म सर्वांगासन/एक पाद सर्वांगासनएक पाद सर्वांगासन
    3..विपरीतकरणी-मुद्रासन/विलोमासनविपरीत करणी आसन
    4.हलासनहलासन
    5.विस्तृत पाद सर्वांगासन/सुप्त कोणासनसुप्त कोणासन
    6.कर्ण पीड़ासनकर्ण पीड़ासन
    7.एक पाद शीर्षासन (दो प्रकार)एक पाद शीर्षासनएक पाद शीर्षासन
    8.सालम्ब शीर्षासनसालम्ब शीर्षासन
    9.शीर्षासनशीर्षासन
    10.पद्मासन युक्त शीर्षासन/शीर्ष पद्मासन/उर्ध्व पद्मासनऊर्ध्व पद्मासन
    11.शीर्षासन में पिंडासन युक्त ऊर्ध्व पद्मासनपिण्डासन
    12.मुक्त हस्त शीर्षासन/निरालम्ब शीर्षासनमुक्त हस्त शीर्षासन
    13.शीर्ष चक्रासनशीर्ष चक्रासन
    14.मूर्धासन/प्रसारित पाद उत्तानासनमूर्धासन

    आगे झुककर किए जाने वाले आसनों से लाभ।

    आगे झुककर किए जाने वाले आसनों के अभ्यास से उदर क्षेत्र में संकुचन होता है, जिससे उसमें अधिक दबाव पड़ता है। पीठ की कशेरुकाओं का विस्तार होता है और मांसपेशियाँ सक्रिय हो जाती हैं। मेरुदण्ड की ओर पर्याप्त मात्रा में रक्त का संचार होता है। जिससे वह अपना काम व्यवस्थित ढंग से करता है।

    उदर क्षेत्र में संकुचन और दबाव के कारण पेट के अंगों कि अच्छी मालिश हो जाती है। जिससे पाचन तंत्र से संबंधित समस्याएं दूर हो जाते हैं और किडनी, लीवर, अग्न्याशय आदि अंग मजबूत होकर स्वस्थ रहते हैं

    आगे झुककर किए जाने वाले योगासन के नाम चित्र सहित।

    1.पश्चिमोत्तानासनपश्चिमोत्तानासन
    2.गतिमय पश्चिमोत्तानासनगतिमय पश्चिमोत्तानासन
    3.पाद प्रसार पश्चिमोत्तानासन/पृष्ठ मुष्ठिबद्ध पश्चिमोत्तानासनपाद प्रसार पश्चिमोत्तानासन
    4.सुप्त जानु शीर्ष स्पर्शासन/शैथल्यासनशैथल्यासन
    5.उत्थित जानु शिरासनउत्थित जानुशिरासन
    6.उग्रासनउग्रासन
    7. जानुशीर्षासनजानुशीर्षासन
    8.महामुद्रासनमहामुद्रासन
    9.बद्ध कोणासनबद्ध कोणासन
    10.विस्तृत पाद भू-नमनासन/भूमासन/उपविष्ट कोणासनउपविष्ठ कोणासन
    11.उत्थित पादहस्तासन
    12.एकपाद पद्मोत्तानासन
    13.निरालम्ब पश्चिमोत्तानासन/उर्ध्वमुख पश्चिमोत्तानासन
    14.उत्थित हस्त-मेरुदण्डासन/उभय पादांगुष्ठासन
    15. मेरुदंडासनमेरुदंडासन

    मेरुदण्ड मोड़कर किए जाने वाले आसनों से लाभ।

    यदि हमारे शरीर का आधार स्तंभ मेरुदंड स्वस्थ होगा तो हमारा शरीर पेड़ के तने की तरह सुगठित दिखेगा। मेरुदण्ड मोड़कर किए जाने वाले आसनों के अभ्यास से हमारे आंतरिक अंगों को अच्छी मालिश हो जाती है। मांसपेशियों का अच्छा व्यायाम हो जाता है। मेरुदंड में  अधिक लचीलापन बना रहता है  मेरुदंड को मोड़कर किए जाने वाले आसन से पाचन तंत्र के अंगों का भी अच्छा व्यायाम होता है, जिससे ये अंग उत्तेजित होकर सुचारू रूप से कार्य करते हैं।

    मेरुदण्ड मोड़कर किए जाने वाले योगासन के नाम चित्र सहित।

    1.तिर्यक भुजंगासनतिर्यक् भुजंगासन
    2.अर्ध मत्स्येन्द्रासनअर्ध मत्स्येन्द्रासन
    3.पूर्ण मत्स्येन्द्रासनपूर्ण मत्स्येन्द्रासन
    4.मेरु वक्रासनमेरु वक्रासन
    5.वक्रासनवक्रासन
    6.भू-नमनासनभू-नमनासन
    7.तिर्यक कटि चक्रासन (तीन प्रकार)तिर्यक् कटि चक्रासन

    पीठ के बल किए जाने वाले योगासनों के लाभ।

    पीठ के बल किए जाने वाले योगासन के नाम चित्र सहित।

    1.पवन मुक्तासन (दो प्रकार)पवनमुक्तासनपवनमुक्तासन
    2.सुप्त पादांगुष्ठ नासा स्पर्शासन (दो प्रकार)पादांगुष्ठ नासा स्पर्शासन
    3.कंधरासन/सेतु बंधासनसेतुबंधासन
    4.द्वि-पार्श्व आसन/पार्श्व धनुरासनपार्श्व धनुरासन

    उच्च अभ्यास एवं संतुलन के आसन।

    उच्च अभ्यास एवं संतुलन के योगासन के नाम चित्र सहित।

    1.कूर्मासन (दो प्रकार)कूर्मासन
    2.कंदपीड़ासन / कंदासनकंदपीडासन
    3.नाभि पीड़ासननाभि पीड़ासन
    4.धनुराकर्षणासन/आकर्ण धनुरासन (प्रथम प्रकार)आकर्ण धनुरासन
    5.आकर्ण धनुरासन (द्वितीय प्रकार)आकर्ण धनुरासन
    6.आकर्ण धनुरासन (तृतीय प्रकार) / धनुष बाण चालन क्रियाआकर्ण धनुरासन
    7.पृष्ठासनपृष्ठासन
    8.कपोतासन (प्रथम एवं द्वितीय प्रकार)कपोतासन
    9.परिघासनपरिघासन
    10.मूलबंधासनमूलबंधासन
    11.वृश्चिकासन/पूर्ण वृश्चिक आसनवृश्चिकासन
    12.उत्थित वृश्चिक आसनउत्थित वृश्चिक आसन
    13.नटराज आसन (दो प्रकार)नटराज आसन
    14.वातायनासनवातायनासन
    15.तोलांगुलासन (दो प्रकार)तोलांगुलासन
    16.द्वि-हस्त भुजासनद्वि-हस्त भुजासन
    17.हंसासनहंसासन
    18.मयूरासन/पद्म मयूरासन/मयूरी आसन (दो प्रकार)मयूरासन
    19.उर्ध्व प्रसारित एकपादासनउर्ध्व प्रसारित एकपादासन
    20.पद्म पर्वतासन या गोरक्षासन (प्रथम प्रकार)पद्म पर्वतासन
    21.गोरक्षासन (द्वितीय प्रकार)गोरक्षासन
    22.उर्ध्व कुक्कुटासन/पद्म बकासनउर्ध्व कुक्कुटासन
    23.पादांगुष्ठासन (द्वितीय प्रकार)पादांगुष्ठासन
    24.जानुशिर एक-पाद स्कंधासन/एक पाद शीर्षासन/स्कंदासनएक पाद शीर्षासन
    25.शीर्ष जानुस्पर्शासनशीर्ष जानुस्पर्शासन
    26.अर्ध बद्ध पद्मोत्तानासनअर्धबद्ध पद्मोत्तानासन
    27.अष्टवक्रासनअष्टवक्रासन
    28.टिट्टिभासनटिट्टिभासन
    29.शिव-लिंगकारासनशिव-लिंगकारासन
    30. पिन्च मयूरासन/उत्थित शीर्षासनपिन्च मयूरासन
    31.सांख्यासनसांख्यासन
    32.धराजासन (फ्लेग पोस्चर)/एक पाद शीर्ष स्पर्शासन/कायोत्सर्ग स्थित एक पाद शीर्षासन/उर्ध्व एक पादतल शीर्ष स्पर्शासन
    33.दुर्वासासन/उत्थित एक पाद शिरासन/उत्थित एक पाद स्कंधासनदुर्वासासन
    34.कश्यापासनकश्यापासन
    35.पूर्ण शलभासनपूर्ण शलभासन
    36.पर्यंकासन (द्वितीय प्रकार)पर्यंकासन
    37.द्विपाद शीर्षासन/द्विपाद स्कंधासनद्विपाद शीर्षासन
    38. उत्थित  द्विपाद शीर्षासन /उत्थित द्विपाद ग्रीवासनउत्थित द्विपाद शीर्षासन
    39.काल भैरवासन (द्वितीय प्रकार)भैरवासन
    40.विश्वामित्रासनविश्वामित्रासन
    41.द्विपाद कंधरासनद्विपाद कंधरासन
    42.प्रणवासन/योगनिद्रासन/सुप्त गर्भासनयोगनिद्रासन

    प्राणायाम और शवासन की विशेषता।

    • योगासन या योग की किसी भी क्रिया के अंत में हमेशा शवासन करें। शवासन करने से अभ्यास क्रिया में आया हुआ किसी भी प्रकार का तनाव दूर होकर प्रसन्नता का एहसास होता है।
    • प्राणायाम हमेशा आसन का अभ्यास करने के बाद करें।
    1.योगासन या योग की किसी भी क्रिया के अंत में हमेशा शवासन करें।शवासन
    2.प्राणायाम हमेशा आसन का अभ्यास करने के बाद करें।प्राणायाम

    प्राणायाम के प्रकार।

    1.नाड़ी-शोधन प्राणायाम नाड़ी-शोधन प्राणायाम
    2अनुलोम-विलोम प्राणायामनाड़ी-शोधन प्राणायाम
    3.सूर्य भेदन प्राणायामसूर्य भेदन प्राणायाम
    4.उज्जायी प्राणायामउज्जायी प्राणायाम
    5.शीतली प्राणायामशीतली प्राणायाम
    6.भस्त्रिका प्राणायामभस्त्रिका प्राणायाम
    7.उद्गीथ प्राणायामउद्गीथ प्राणायाम
    8.भ्रामरी प्राणायामभ्रामरी प्राणायाम
    9.मूर्च्छा प्राणायाममूर्च्छा प्राणायाम
    10.केवली प्राणायामकेवली प्राणायाम
    11.चंद्र-भेदन प्राणायामचंद्रभेदी प्राणायाम
    12.शीतकारी प्राणायामशीतकारी प्राणायाम
    13.कपाल-भाति प्राणायामकपालभाति प्राणायाम
    14.प्लाविनी प्राणायामप्लाविनी प्राणायाम

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    सूर्य नमस्कारसूर्य नमस्कार

     

    सारांश।

    योग की ताकत को न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया ने माना है। इसलिए हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाना अच्छे स्वास्थ्य की ओर आपका पहला कदम हो सकता है। योग का जो विस्तार है वह बहुत अधिक है। भारत के महान योग गुरुओं और तपस्वियों ने मनुष्य के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है।

    योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक  योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं। 

    हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।

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