इस लेख में हम शीतकारी प्राणायाम पर चर्चा करेंगे। इस लेख में शीतकारी प्राणायाम के आसन को करने का तरीका और इस आसन के अभ्यास से होने वाले फायदों के बारे में बताया गया है। साथ में यह भी बताया गया है कि शीतकारी प्राणायाम करने के दौरान क्या सावधानी बरतें।
शीतकारी प्राणायाम करने का सही तरीका।
शीतकारी प्राणायाम करने की विधि।
विधि।
- यह प्राणायाम शीतली प्राणायाम की तरह ही है। लेकिन इसमें जीभ की स्थिति में अंतर होता है।
- सर्वप्रथम सिद्धासन या पद्मासन में बैठ जाएं।
- सिर, ग्रीवा और मेरुदण्ड एक सीध में रखें।
- अब अपनी जीभ के अगले भाग को पीछे की ओर इस प्रकार मोड़ें कि उसका अगला भाग ऊपरी तालू को छुए।
- अब अपनी दाँतों की पंक्तियों को एक-दूसरे से मिलाइए और होठों को फैलाइए। (चित्रानुसार)
- अब अपनी दाँतों की पंक्तियों के माध्यम से सी..सी.. की आवाज़ करते हुए श्वास लें और फेफड़ों में भरें।
- अब मुँह बंद करें और जालंधर बंध लगाएँ। (बिना बंध के भी कर सकते हैं।)
- अब बंध को शिथिल करें और नाक से धीरे-धीरे रेचक करें।
- यह इस प्राणायाम का एक चक्र पुरा हुआ।
- इस तरह 8-10 चक्र लगाएं।
श्वास का क्रम/समय।
- श्वास का क्रम और समय ऊपर विधि में बताया गया हैं।
शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए इस वीडियो की मदद लें।
शीतकारी प्राणायाम करने के फायदे।
शीतकारी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- शीतली प्राणायाम के सभी लाभ प्राप्त होते हैं।
- यह प्राणायाम भी शीतली प्राणायाम का एक प्रकार है। यह आसन शरीर के तापमान को कम करता है और शरीर को ठंडा रखता है। जिससे हमारे तंत्रिका तंत्र और अंतःस्रावी ग्रंथियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- शरीर के साथ-साथ मन को भी शान्त एवं प्रसन्न करता है।
- गर्मियों में इस प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर ठंडा रहता है।
- यह प्यास बुझाता है।
- गले, मुंह और नाक के रोगों में आराम मिलता है।
- पित्त दोष को दूर करता है।
- उच्च रक्तचाप (high blood pressure) को सामान्य करता है।
सावधानियां।
- निम्न रक्त चाप (low blood pressure) व वात-प्रकृति वाले व्यक्ति इस आसन का अभ्यास न करें।
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सारांश।
योग करना अच्छी आदत है। कभी भी जल्दी फायदे पाने के चक्कर में शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करने की कोशिश न करें। योगासनों का अभ्यास किसी भी वर्ग विशिष्ट के लोग कर सकते हैं।
शीतकारी प्राणायाम, इस योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। किन्तु हमारी मंत्रणा यही है कि कभी भी किसी अनुभवी योगाचार्य या योग विशेषज्ञ (yoga Expert) की मदद के बिना मुश्किल योगासनों का अभ्यास या आरंभ न करें। किसी योग शिक्षक की देखरेख में ही मुश्किल योगासनों का अभ्यास करें। इसके अलावा अगर कोई गंभीर बीमारी हो तो योगासन का आरंभ करने से पहले डॉक्टर या अनुभवी योगाचार्य की सलाह जरूर लें।
FAQs
Ques 1. शीतकारी प्राणायाम करने की विधि?
Ans. शीतकारी प्राणायाम करने की विधि।
- यह प्राणायाम शीतली प्राणायाम की तरह ही है। लेकिन इसमें जीभ की स्थिति में अंतर होता है।
- सर्वप्रथम सिद्धासन या पद्मासन में बैठ जाएं।
- सिर, ग्रीवा और मेरुदण्ड एक सीध में रखें।
- अब अपनी जीभ के अगले भाग को पीछे की ओर इस प्रकार मोड़ें कि उसका अगला भाग ऊपरी तालू को छुए।
- अब अपनी दाँतों की पंक्तियों को एक-दूसरे से मिलाइए और होठों को फैलाइए। (चित्रानुसार)
- अब अपनी दाँतों की पंक्तियों के माध्यम से सी..सी.. की आवाज़ करते हुए श्वास लें और फेफड़ों में भरें।
- अब मुँह बंद करें और जालंधर बंध लगाएँ। (बिना बंध के भी कर सकते हैं।)
- अब बंध को शिथिल करें और नाक से धीरे-धीरे रेचक करें।
- यह इस प्राणायाम का एक चक्र पुरा हुआ।
- इस तरह 8-10 चक्र लगाएं।
Ques 2. शीतकारी प्राणायाम करने के क्या फायदे है?
Ans. शीतकारी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने के फायदे।
- शीतली प्राणायाम के सभी लाभ प्राप्त होते हैं।
- यह प्राणायाम भी शीतली प्राणायाम का एक प्रकार है। यह आसन शरीर के तापमान को कम करता है और शरीर को ठंडा रखता है। जिससे हमारे तंत्रिका तंत्र और अंतःस्रावी ग्रंथियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- शरीर के साथ-साथ मन को भी शान्त एवं प्रसन्न करता है।
- गर्मियों में इस प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर ठंडा रहता है।
- यह प्यास बुझाता है।
- गले, मुंह और नाक के रोगों में आराम मिलता है।
- पित्त दोष को दूर करता है।
- उच्च रक्तचाप (high blood pressure) को सामान्य करता है।